हाईकोर्ट ने दुष्कर्म की शिकार 13 साल की नाबालिग को दी गर्भपात की इजाजत

हाईकोर्ट ने दुष्कर्म की शिकार 13 साल की नाबालिग को दी गर्भपात की इजाजत

Tejinder Singh
Update: 2018-04-09 15:19 GMT
हाईकोर्ट ने दुष्कर्म की शिकार 13 साल की नाबालिग को दी गर्भपात की इजाजत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने दुष्कर्म का शिकार 13 साल दस महीने की एक नाबालिग लड़की को 24 सप्ताह के भ्रूण का गर्भपात कराने की अनुमति दे दी है। अनुमति दिए जाने की मांग को लेकर लड़की के पिता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। सोमवार को जस्टिस नरेश पाटील व जस्टिस अनूजा प्रभुदेसाई की बेंच के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका के मुताबिक लड़की के पिता के पडोसी ने जुलाई 2017 में लड़की का अपहरण किया था और वह उसे लेकर गायब हो गया था। इस घटना के बाद लड़की के पिता ने उल्हासनगर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। मामले की छानबीन के बाद पुलिस ने लड़की व उसे भागकर ले गए शख्स को  17 मार्च 2017 को पकड़ा था और लड़की  उसके पिता को सौपा था। 

घरवालों को गर्भवती होने की जानकारी मिली 
घर आने के बाद लड़की के घरवालों को उसके गर्भवती होने की जानकारी मिली। फिर लड़की को अस्पताल ले जाए गया। जहां डाक्टरों ने बताया कि लड़की के पेट में जो भ्रूण पल रहा है वह 24 सप्ताह का है। इसलिए हम अदालत की अनुमति के बिना गर्भपात नहीं कर सकते है। मेडिकल टर्मिनेशन आफ प्रेग्नेंसी कानून के तहत डाक्टरों को सिर्फ 20 सप्ताह तक के भ्रूण का गर्भपात करने की इजाजत है। इसलिए लड़की के पिता व बेटी बचाओ नामक गैर सरकारी संस्था ने मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की।

सुनवाई के दौरान लड़की के पिता की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि पुलिस ने जब लड़की को पकड़ा था उस समय पुलिस को लड़की के गर्भवति गोने की जानकारी थी। फिर भी पुलिस ने लड़की के घरवालों को यह जानकारी नहीं दी। यदि उस समय लड़की के घरवालों को पता चल जाता तो उसके घरवालों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता। 

डॉक्टरों की रिपोर्ट पर फैसला 
इन दलीलों को सुनने व डॉक्टरों की रिपोर्ट पर गौर करने के बाद बेंच ने लड़की को गर्भपात कराने की अनुमति दे दी और मंगलवार को जेजे अस्पताल जाने को कहा।  इस दौरान बेंच ने कहा कि इस तरह के मामले को लेकर जागरुकता फैलाई जाए। इसके साथ ही सरकार व गैर सरकारी को इस बात का अध्यययन करने के लिए कहा  कि क्या पास्को व बाल न्याय कानून में ऐसे मामलों को लेकर दिशा-निर्देश मौजूद है। बेंच ने कहा कि यदि दिशा-निर्देश नहीं मौजूद होगे तो हम दिशा- निर्देश बनाएगे। हाईकोर्ट ने फिलहाल इस मामले की सुनवाई दो सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी है। 
 

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