दाभोलकर - पानसरे मामले की जानकारी लीक होने से हाईकोर्ट नाराज, एटीएस को फटकार 

दाभोलकर - पानसरे मामले की जानकारी लीक होने से हाईकोर्ट नाराज, एटीएस को फटकार 

Tejinder Singh
Update: 2018-10-10 12:46 GMT
दाभोलकर - पानसरे मामले की जानकारी लीक होने से हाईकोर्ट नाराज, एटीएस को फटकार 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर व गोविंद पानसरे मामले से जुड़ी जानकारी को सार्वजनिक करने के लिए अातंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने एटीएस के अधिकारियों को आगाह करते हुए कहा कि वे इस प्रकरण को लेकर कोर्ट की ओर से दिए गए आदेशों को पढ़े और जांच के दौरान मिलनेवाली जानकारी को लोगों के बीच उजागर न करें। क्योंकि अभी जांच अहम पडाव पर हैं। इससे पहले दाभोलकर मामले की जांच कर रही सीबीआई ने बुधवार को कोर्ट को सूचित किया  कि वह 18 नवंबर 2018 तक इस मामले को लेकर कोर्ट में आरोपपत्र दायर कर देगी। सीबीआई ने इस प्रकरण में सात आरोपियों को हिरासत में लिया है। इन्ही सातों आरोपियों को बेगलूरु में पत्रकार गौरी लंकेश हत्या मामले में भी गिरफ्तार किया गया है। 

दाभोलकर-पानसरे मामले की जांच कोर्ट की निगरानी में हो इस तरह की मांग को लेकर उनके परिजनों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। बुधवार को न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति बीपी कुलाबावाला की खंडपीठ के सामने यह याचिका सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान सीबीआई की ओर से पैरवी कर रहे एडिशनल सालिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि सीबीआई दाभोलकर मामले की जांच जल्द से जल्द पूरा कर लेगी और 18 नवंबर तक कोर्ट में आरोपपत्र दायर कर देगी। 

इस बीच पानसरे मामले की जांच कर रही एसआईटी की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक मुंदरगी ने कहा कि एसआईटी इस मामले में कुछ आरोपियों की हिरासत मिलने का इंतजार कर रही है। जो फिलहाल सीबीआई की हिरासत में है। एक सप्ताह के भीतर एसआईटी को आरोपियों की हिरासत मिलने की उम्मीद है। इससे पहले सीबीआई व एसआईटी ने खंडपीठ के सामने मामले को लेकर प्रगति रिपोर्ट पेश की। जिस पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 22 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी और एटीएस प्रमुख को आगाह किया कि वे दाभोलकर पानसरे मामले की जानकारी को सार्वजनिक न करें। गौरतलब है कि अंधविश्वास के प्रति लोगों में जागरुकता फैलाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर की साल 2013 में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी जबकि पानसरे की साल 2015 में हत्या हुई थी।  

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