पुलिस रिक्त पद भरने की मांग से जुड़ा हलफनामा न दायर करने पर हाईकोर्ट नाराज

पुलिस रिक्त पद भरने की मांग से जुड़ा हलफनामा न दायर करने पर हाईकोर्ट नाराज

Tejinder Singh
Update: 2020-03-06 15:43 GMT
पुलिस रिक्त पद भरने की मांग से जुड़ा हलफनामा न दायर करने पर हाईकोर्ट नाराज

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने पुलिस महकमे में रिक्त पदों को भरने व पुलिसकर्मियों के लिए ब्यूरो ऑफ  पुलिस रिसर्च  एंड डेवलपमेंट की सिफारिसों को लागू करने की मांग को लेकर दायर याचिका के जवाब में हलपनामा न दायर करने पर नाराजगी जाहिर की है। हाईकोर्ट में अहमदनगर निवासी भास्कर काले की ओर से दायर जनहित याचिका पर सनवाई च रही हैं। याचिका में मांग की गई है कि पुलिस महकमे में रिक्त पदों को भरने का निर्देश दिया जाए। इसके साथ ही पुलिसकर्मियों को पेशगत तनाव व मानसिक बीमारी  से बचाने के लिए ब्यूरो आफ पुलिस एंड रिसर्च डेवलपमेंट की सिफारिसों को लागू किया जाए। इस रिपोर्ट में पुलिसकर्मियों के लिए आठ घंटे की ड्युटी पर लगान की सिफारिस की गई हैं। याचिका में कहा गया है कि पुलिसकर्मियों को बेहतक तकनीकि सहयोग प्रदान किया जाए। क्योंकि पुलिसकर्मी जितने तकनीक के इस्तेमाल में सहज होगे उन पर काम का बोझ काम होगा और उनकी कार्यक्षमता बढेगी। याचिका में पुलिस महकमें में 30 हजार पद रिक्त हैं। जबकि यहां का जनसंख्या पुलिस अनुपात काफी कम हैं। एक लाख लोगों के लिए सिर्फ 145 पुलिसकर्मियों के पद मंजूर किए गए हैं। याचिका में कहा गया है कि हाल के दिनों अपराध का स्वरुप बदला है। इसके साथ ही अपराध भी काफी तेजी से बदल रहे है। ऐसे में जरुरी है कि पुलिसकर्मियों की संख्या को बढाया जाए। अपराध नियंत्रण,कानून व्यवस्था को सुचारु रखने के साथ पुलिस के पास बंदोबस्त व दूसरीकई जिम्मेदारियां होती है। पुलिसकर्मियों की कमी के चलते पुलिसवालों को रोजाना आठ घंटे से अधिक ड्युटी करनी पड़ती हैं। याचिका में पुलिसकर्मियों की परेशानी को दूर करने के लिए राज्य पुलिस आयोग बनाने का निर्देश देने की मांग की गई हैं। शुक्रवार को यह याचिका कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश बीपी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति एनआर बोरकर की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रही अधिवक्ता माधवी अयप्पन ने कहा कि पिछले साल कोर्ट ने इस मामले में सरकार को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया गया था लेकिन सरकार ने अब तक हलफनामा नहीं दायर किया हैं। इस बात को जानने के बाद खंडपीठ ने अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए सरकार को याचिका में उठाए गए मुद्दे को लेकर चार सप्ताह के भीतर हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। 

 

हाफकीन इंस्टीट्यूट की निदेशक की याचिका हाईकोर्ट ने किया खारिज 

बांबे हाईकोर्ट ने हाफकिन इंस्टीट्युट की सहायक निदेशक की याचिका को खारिज कर दिया हैं। याचिका में सहायक निदेशक डाक्टर निशिगंधा नाइक ने राज्य सरकार के सेवानिवृत्त से जुड़े नियम को चुनौती दी थी। याचिका में दावा किया गया था कि वह इंस्टीट्युट की कार्यकारी निदेशक के रुप में कार्य कर रही थी। और निदेशक के सेवानिवृत्त की उम्र 62 साल है। इस लिहाज से उसे 58 साल की उम्र में सेवानिवृत्त करने का सरकार का निर्णय  अवैध है। इसलिए इसे रद्द किया जाए। क्योंकि संस्थान की गवर्निंग काउंसिल ने सेवानिवृत्त की उम्र 62 साल तय की थी। न्यायमूर्ति नितिन जामदार व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ के सामने नाइक की याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान सरकारी वकील पूर्णिमा कंथारिया ने कहा कि हमने गर्वनिंग काउंसिल की बैठक निर्णय को सहमति नहीं दी थी। इसलिए याचिकाकर्ता को नियमों के तहत ही सेवानिवृत्त किया गया हैं। 
 

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