क्या अभी भी है कोरोना के लिए पहले जैसी कड़ी पाबंदियों की जरुरत

हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा  क्या अभी भी है कोरोना के लिए पहले जैसी कड़ी पाबंदियों की जरुरत

Tejinder Singh
Update: 2022-03-21 15:40 GMT
क्या अभी भी है कोरोना के लिए पहले जैसी कड़ी पाबंदियों की जरुरत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि पहले की तुलना में मौजूदा समय में कोरोना संक्रमण दर उतनी तेज नहीं है ऐसे में राज्य सरकार से हम जानना चाहते हैं कि कोरोना के चलते जितनी कड़ी पाबंदिया पहले (साल2020-2021) लगाई गई थी क्या उतनी कड़ी पंबदियां वर्तमान में प्रासंगिक व न्यायसंगत है। सोमवार मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ यह बात लोकल ट्रेन में सिर्फ कोविडरोधी दोनों टीके की खुराक लेनेवाले लोगों को यात्रा करने की अनुमति के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कही। वर्तमान में जिन्होंने कोरोना का एक टीका लिया है उन्हें लोकल ट्रेन से यात्रा करने की इजाजत नहीं है। 

खंडपीठ के सामने सामाजिक कार्यकर्ता फिरोज मिठीबोरवाला की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में मुख्य रुप से राज्य सरकार की ओर से 1 मार्च 2022 को जारी स्टेंडर्ड आपरेटिंग प्रोसिजर(एसओपी) को चुनौती दी गई है। जिसके लोकल ट्रेन में कोरोना का दोनों टीका न लेनेवालों के यात्रा करने पर रोक लगाई गई है। याचिका के मुताबिक यह पाबंदी मनमानीपूर्ण व मौलिक अधिकारों का हनन है। याचिका में कहा गया है कि एक तरह से राज्य सरकार टीकाकरण को बाध्य कर रही है। जबकि केंद्र सरकार ने टीकाकरण को ऐच्छिक किया है। 

सोमवार को खंडपीठ के सामने राज्य सरकार ने हलफनामा दायर कर साफ किया कि विशेषज्ञों की राय के आधार पर एक टीका लेनेवालों को लोकल ट्रेन में यात्रा को लेकर पाबंदी लगाई गई है।व्यापक रुप से किए गए टीकाकरण के चलते ही कोरोना की तीसरी लहर के दौरान ज्यादा आपातपूर्ण स्थिति का सामना नहीं करना पड़ा है। 

इस पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि रेलवे अधिनियम के अंतर्गत रेलवे प्रशासन किसी यात्री के ट्रेन में प्रवेश पर पाबंदी लगा सकती है लेकिन क्या राज्य सरकार के पास आपदा प्रबंधन कानून के तहत ऐसा अधिकार है। इसके अलावा पहले की तुलना में मौजूदा समय में कोरना संक्रमण दर उतनी तेज नहीं है, ऐसे में कोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा है कि कोरोना के चलते जितनी कड़ी पाबंदिया पहले लगाई गई थी क्या उतनी कड़ी पंबदियां वर्तमान में प्रासंगिक व न्यायसंगत है। राज्य सरकार इस बारे में मंगलवार को अपना रुख स्पष्ट करे। 

 

Tags:    

Similar News