बक्सवाहा के जंगल में खनन पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक 

केन्द्र व राज्य सरकार और पुरातत्व विभाग से मांगा जवाब बक्सवाहा के जंगल में खनन पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक 

Bhaskar Hindi
Update: 2021-10-26 13:18 GMT
बक्सवाहा के जंगल में खनन पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक 

डिजिटल डेस्क जबलपुर । मप्र हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस आरवी मलिमथ और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बैंच ने छतरपुर जिलें के बक्सवाहा जंगल में खनन पर रोक लगा दी है। डिवीजन बैंच ने निर्देश दिया है कि हाईकोर्ट की अनुमति के बिना बक्सवाहा जंगल में किसी भी प्रकार की खनन संबंधी कार्रवाई नहीं की जाए। इसके साथ ही पुरातत्व विभाग सहित केन्द्र एवं राज्य सरकार को जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। मामले की अगली सुनवाई 8 नवंबर को नियत की गई है।  नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के अध्यक्ष पीजी नाजपांडे की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि आदित्य बिड़ला ग्रुप की एस्सेल माइनिंग कंपनी को बक्सवाहा के जंगल में 382 हेक्टेयर जमीन पर हीरा खनन के लिए लीज दी गई है। याचिका में कहा गया है कि पुरातत्व विभाग जबलपुर द्वारा 10 से 12 जुलाई तक किए गए सर्वे में बक्सवाहा के जंगल में 25 हजार वर्ष पुरानी पाषाण युग की रॉक पेटिंग मिली है। इसके साथ ही चंदेल और कल्चुरी युग की मूर्तियां और स्तम्भ मिले है। अधिवक्ता सुरेन्द्र वर्मा ने तर्क दिया कि यदि बक्सवाहा के जंगल में हीरा खनन की अनुमति दी गई कि पुरातात्विक महत्व की संपदा नष्ट हो सकती है। 
बक्सवाहा का जंगल टाइगर कॉरीडोर 
दिल्ली निवासी एवं यूनाइटेड नेशन के पूर्व कंसलटेंट रमित वसु की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि बक्सवाहा का जंगल नौरादेही और पन्ना टाइगर रिजर्व के बीच का टाइगर कारीडोर है। बक्सवाहा के जंगल में हीरा खनन होने से टाइगर कॉरीडोर समाप्त हो जाएगा। अधिवक्ता अंशुमन सिंह ने तर्क दिया कि टाइगर कारीडोर में खनन के लिए नेशनल टाइगर कंजरवेशन अथॉरिटी की अनुमति नहीं ली गई है। सुनवाई के बाद डिवीजन बैंच ने बक्सवाहा के जंगल में खनन पर रोक लगा दी है।
 

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