रेप पीड़िता को हाईकोर्ट ने मनोधैर्य योजना के तहत मुआवजा देने का दिया निर्देश

रेप पीड़िता को हाईकोर्ट ने मनोधैर्य योजना के तहत मुआवजा देने का दिया निर्देश

Tejinder Singh
Update: 2021-03-22 16:19 GMT
रेप पीड़िता को हाईकोर्ट ने मनोधैर्य योजना के तहत मुआवजा देने का दिया निर्देश

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने मानसिक रुप से कमजोर दुष्कर्म का शिकार नाबालिग  को गर्भपात की अनुमति देते हुए उसे मनोधैर्य योजना के तहत मुआवजा प्रदान करने का भी निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति एसएस शिंदे व न्यायमूर्ति मनीष पीटले की खंडपीठ ने पुलिस को मुआवजे के लिए जरुरी दस्तावेज जिला विधि सेवा प्राधिकरण के सामने रखने को कहा है। और प्राधिकरण को शीघ्रता से बिना विलंब किए मुआवजे की प्रक्रिया को पूरा का निर्देश दिया है। जिससे पीड़िता को मुआवजे की रकम जल्दी उपलब्ध हो सके।

नियमानुसार 20 सप्ताह से अधिक के भ्रूण का गर्भपात अदालत की अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता है। इसलिए पीड़िता के घरवालों ने इस संबंध में कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि उनकी बेटी मानसिक रुप से कमजोर है। इसलिए जब वे उसे डाक्टर के पास ले गए तो उन्हें अपनी बेटी के 20 सप्ताह से अधिक गर्भवती होने की जानकारी मिली। इससे पहले खंडपीठ के सामने पीड़िता को लेकर मेडिकल बोर्ड द्वारा तैयार की गई जांच रिपोर्ट पेश की गई। रिपोर्ट में मानवता के आधार पर पीडिता के गर्भपात का सुझाव दिया गया था। इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने खंडपीठ से पीड़िता को राज्य सरकार द्वारा दुष्कर्म पीड़िता के मुआवजे के लिए लिए बनाई गई मनोधैर्य योजना के तहत मुआवजा प्रदान करने का भी निवेदन किया। 

मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने पीड़िता के गर्भपात की अनुमति दे दी। इसके साथ ही खंडपीठ ने पुलिस को गर्भपात के बाद भ्रूण के रक्त के नमूने लेने को कहा है। ताकि बाद में डीएनए जांच की जा सके। खंडपीठ ने मामले से जुड़ी मेडिकल रिपोर्ट को सुरक्षित रखने को कहा है। जिसका मुकदमे की सुनवाई के दौरान इस्तेमाल किया जा सके। 

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