अदालत हाईटेंशन पर गरम और एडमिशन पर सख्त, एक मामले में कुलसचिव को कोर्ट में हाजिर होने का आदेश

अदालत हाईटेंशन पर गरम और एडमिशन पर सख्त, एक मामले में कुलसचिव को कोर्ट में हाजिर होने का आदेश

Tejinder Singh
Update: 2019-08-23 09:34 GMT
अदालत हाईटेंशन पर गरम और एडमिशन पर सख्त, एक मामले में कुलसचिव को कोर्ट में हाजिर होने का आदेश

डिजिटल डेस्क, नागपुर। हाईवोल्टेज विद्युत तारों के समीप अनधिकृत निर्माणकार्य करने वाले लोगों पर क्या कार्रवाई की जाए, इसका जवाब देने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने अगली सुनवाई में संबंधित विभागों के अधिकारियों को स्वयं पेश होेकर उत्तर प्रस्तुत करने को कहा है। हाईकोर्ट में उपजिलाधिकारी, मनपा उपायुक्त, नासुप्र, महावितरण व एसएनडीएल अधीक्षक अभियंताओं को हाजिर होना होगा। इस मामले में मदद के लिए एक विशेष समिति भी गठित की गई थी। समिति ने शहर में अनेक निर्माणकार्य नियमों के विरुद्ध पाए। शहर में बगैर सोचे-समझे हुए इस विकास के लिए समिति ने नासुप्र और मनपा काे काफी हद तक जिम्मेदार बताया है, वहीं अनधिकृत निर्माणकार्यों में बिजली आपूर्ति करने के लिए महावितरण और एसएनडीएल को भी जिम्मेदार ठहराया। समिति ने कोर्ट को पूर्व मंे बताया था कि उन्हें 3,934 परिसरों में बिजली नियमों को उल्लंघन होते हुए पाया गया  था। इसमें 3100 रिहायशी, 650 व्यावसायिक और 122 औद्योगिक इकाइयों का समावेश है। इसमें से 90 प्रतिशत लोगों ने मंजूर प्रारूप का उल्लंघन करके निर्माणकार्य किया है। समिति ने इन लोगों पर जुर्माना लगाने के साथ ही हाईटेंशन तारों पर इनसुलेटर लगाने, अंडरग्राउंड केबलिंग करने या फिर उनकी दिशा बदलने मंे से कोई एक विकल्प चुनने की सिफारिश की है। मामले में एड. श्रीरंग भंडारकर न्यायालयीन मित्र की भूमिका मंे हैं। मनपा की ओर से एड. सुधीर पुराणिक, एसएनडीएल की ओर से एड.मोहन सुदामे और महावितरण की ओर से एड.ए.एम.काजी ने पक्ष रखा। शहर में 3284 नागरिकों ने बिजली के तारों के समीप अनधिकृत निर्माणकार्य किया है। अब कुछ जगह तारों को नई दिशा देनी होगी, कुछ तारों काे अंडरग्राउंड करना होगा और कुछ निर्माणकार्य तोड़ने पड़ेंगे। इस पूरे काम में 26 करोड़ 41 लाख रुपए का खर्च आएगा। समिति ने यह खर्च महावितरण, महापारेषण, स्पैनको एसएनडीएल, जिलाधिकारी, मनपा और उल्लंघनकर्ताओं से वसूलने की सिफारिश की है। कोर्ट ने स्थानीय निकायों से जवाब मांगा है। बता दें कि शहर में कुछ वर्ष पूर्व दो छोटे बच्चों की हाईटेंशन तारों के संपर्क में आने से मृत्यु हो गई थी। इसके बाद भी ऐसे अन्य मामले सामने आए थे। जिसके बाद कोर्ट ने सूू-मोटो जनहित याचिका दायर की थी। 

 

कुलसचिव, अधिष्ठाताओं को कोर्ट में हाजिर होने का आदेश

वहीं राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के कुलसचिव और अधिष्ठाताओं को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने आगामी सोमवार को कोर्ट में हाजिर होने के आदेश दिए हैं। 132 कॉलेजों में शिक्षक व सुविधाएं नहीं होने के नाम पर विश्वविद्यालय ने वहां प्रथम वर्ष प्रवेश प्रतिबंधित कर दिए थे, जिसके खिलाफ महिला विकास संस्था व अन्य 19 शिक्षा संस्थाओं ने हाईकोर्ट की शरण ली है। गुरुवार को  नागपुर विश्वविद्यालय द्वारा प्रस्तुत जवाब से असंतुष्ट हाईकोर्ट ने उक्त अधिकारियों को खुद हाजिर रहकर विवि की भूमिका साफ करने को कहा है। यदि अधिकारी सुनवाई में हाजिर नहीं हुए, तो फिर कोर्ट विवि कुलगुरु को हाजिर होने का आदेश जारी करेगा। याचिकाकर्ता के अनुसार नागपुर विवि ने उनके यहां पाठ्यक्रम में पढ़ाने के लिए फुल टाइम शिक्षक नहीं होने का कारण बताते हुए प्रवेश प्रतिबंधित किया, लेकिन उनके यहां मान्यता प्राप्त शिक्षक उपलब्ध हैं, जो अध्यापन करने के लिए सक्षम हैं। विवि का स्वयं का नियम है कि ये शिक्षक दो विषय से ज्यादा नहीं पढ़ा सकते, इसलिए इन्हें फुल टाइम शिक्षक का दर्जा नहीं मिलेगा। कॉलेजों की दलील है कि शिक्षकों के पद रिक्त होने पर नागपुर विवि ने अपने विभागों मंे तो कांट्रैक्ट शिक्षकों की नियुक्ति की, लेकिन कॉलेजों को ऐसा करने से रोक दिया। कॉलेजों की दलील है कि उन्हें भी कांट्रैक्ट शिक्षकों की नियुक्ति करने के अधिकार होना चाहिए। इस तरह कॉलेजो की यह भी दलील है कि मौजूदा समय में 5000-6000 रुपए की कोर्स फीस में फुल टाइम शिक्षक नियुक्त करने पर पाठ्यक्रम का खर्च 50 हजार रुपए के पार पहुंच जाएगा। ऐसी तमाम स्थितियों को मद्देनजर रखकर संस्थाओं ने प्रवेश पर से प्रतिबंध हटाने के आदेश विवि को जारी करने की प्रार्थना हाईकोर्ट से की है। मामले मंे याचिकाकर्ता की ओर से एड. भानुदास कुलकर्णी ने पक्ष रखा।

 

 

Tags:    

Similar News