न्यायाधीश के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश पर हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप करने से किया इंकार

न्यायाधीश के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश पर हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप करने से किया इंकार

Tejinder Singh
Update: 2018-05-31 13:57 GMT
न्यायाधीश के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश पर हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप करने से किया इंकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने एक न्यायाधीश के खिलाफ विभागीय जांच शुरु करने के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है। अधिकारों व पद के दुरुपयोग के आरोपों को लेकर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने जांच के आदेश दिए थे। इसके खिलाफ जलाना जिले में कार्यरत सिविल जज जूनियर डिविजन असिफ तहसीलदार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

याचिका में दावा किया गया था कि नियमों के विपरती जाकर उनके खिलाफ जांच का आदेश दिया गया है। क्योंकि अपवाद जनक स्थिति में ही ऐसी जांच का निर्देश दिया जा सकता है। किंतु जस्टिस आरएम सावंत व जस्टिस एसवी कोतवाल की खंडपीठ ने सुनवाई के बाद याचिका को खारिज कर दिया। न्यायाधीश तहसीलदार के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग को लेकर जालना जिले के प्रधान न्यायाधीश को एक शिकायत मिली थी जिसे उन्होंने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के पास भेजा था। इसके बाद हाईकोर्ट की अनुशासनात्मक कमेटी ने जालना के प्रधान न्यायाधीश को मामले की जांच करने का निर्देश दिया था।

आदेश देने से पहले न्यायाधीश तहसीलदार से भी जवाब मांगा गया लेकिन कमेटी को उनका जवाब संतोषजनक नहीं लगा। न्यायाधीश तहसीलदार पर आरोप था कि उसने जालना में अपने रहने के लिए निजी मकान पांच हजार रुपए के महीने के किराए पर लिया और रिकार्ड में किराए को 6 हजार रुपए दर्शया। इसके अलावा उन पर  पत्नी के इलाज के खर्च की प्रतिपूर्ति के लिए फर्जी दस्तावेज देने का आरोप था। याचिकाकर्ता न्यायाधीश पर उस गाड़ी के वाहनचालक के साथ मारपीट करने का आरोप था जो उनकी बेटी को स्कूल ले जाता और ले आता था। मामले से जुड़े तथ्यों और नियमों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि कानूनी दायरे में रहकर याचिकाकर्ता के खिलाफ जांच का आदेश दिया गया है।

यह आदेश जांच का आदेश देनेवाली कमेटी के अधिकार क्षेत्र में आता है। लिहाजा हम इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगे। यह कहते हुए खंडपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया।   

 

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