हाईकोर्ट ने कहा- स्कूली बच्चों को न हो परेशानी, कमेटी 20 दिसंबर तक दे अपनी राय

एसटी कर्मचारियों की हड़ताल रहेगी जारी हाईकोर्ट ने कहा- स्कूली बच्चों को न हो परेशानी, कमेटी 20 दिसंबर तक दे अपनी राय

Tejinder Singh
Update: 2021-11-22 15:45 GMT
हाईकोर्ट ने कहा- स्कूली बच्चों को न हो परेशानी, कमेटी 20 दिसंबर तक दे अपनी राय

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (एसटीमहामंडल) की जारी हड़ताल को देखते हुए कहा है कि कोरोना की स्थिति नियंत्रित होने के बाद कक्षा 8 वीं से 12 वी के बीच प्रत्यक्ष रुप से स्कूलों शुरु हो गई। इसलिए इस बात का ध्यान रखा जाए कि बच्चों को स्कूल जाने में कोई परेशानी न हो। जबकि  कोर्ट के निर्देश के तहत हड़ताली कर्मचारियों की मांग पर विचार करने के लिए बनाई गई कमेटी को 20 दिसंबर से पहले अपनी प्रारंभिक राय देने का निर्देश दिया है। इससे पहले कोर्ट में एसटी कर्मचारियों का संगठन हड़ताल पर अटल नजर आया। लिहाजा कर्मचारियों की हड़ताल फिलहाल जारी रहेगी। हड़ताली कर्मचारियों की मांग है कि उनके साथ राज्य सरकार के कर्मचारियों जैसा बरताव किया जाए। 

न्यायमूर्ति पीबी वैराले व न्यायमूर्ति एसएम मोडक की खंडपीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि यदि हड़ताली कर्मचारी  हिंसा करते है या एसटी के परिचालन में अवैध तरीके से बांधा निर्माण कर सकते है तो एसटी महामंडल कर्मचारियों के खिलाफ पुलिस में शिकायत कर सकती है। खंडपीठ ने कर्मचारियों को भी अवैध कार्रवा की स्थिति में शिकायत करने की छूट दी है। 

इससे पहले खंडपीठ ने कहा कि डेढ साल के लंबे इंतजार के बाद कक्ष 8 वीं से 12 वीं के बीच प्रत्यक्ष रुप से स्कूलों खुली है। ग्रमीण इलाकों में बस सेवा बाधित होने के कारण बच्चों की पढाई प्रभावित नहीं होनी चाहिए। उन्हें पैदल जाने के लिए नहीं कहा जा सकता है। इसलिए कर्मचारी संगठन कोई हिंसक गतिविधि में संलिप्त न हो। कर्मचारी संगठन इस मामले में संतुलन बना कर रखे। क्योंकि राज्य सरकार कर्मचारी संगठनों की बात सुनने के लिए तैयार नजर आ रही है। 

जीवन से बड़ा कुछ नहीं,आत्महत्या न करे कर्मचारी

खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान एसटी कर्मचारियों के आत्महत्या करने को लेकर चिंता जाहिर की। खंडपीठ ने कहा कि जीवन से बड़ा कुछ नहीं है। कर्मचारी आत्महत्या जैसा आत्मघाती कदम न उठाए। इससे उनका पूरी परिवार प्रभावित होगा। सरकार उनकी मांग पर विचार कर रही है। खंडपीठ ने आजाद मैदान में प्रदर्शनकारी हार्टअटैक से मौत होने की बात को जानने के बाद राज्य सरकार को वहां पर डाक्टरों की टीम तैनात करने व सेहत बिगड़ने पर कर्मचारियों को अस्पताल में भेजने का निर्देश दिया। खंडपीठ को बताया गया कि अब तक करीब 40 कर्मचारी आत्महत्या कर चुके है। 

नक्सली लोग आंदोलन में घूस रहे

सुनवाई के दौरान कर्मचारियों की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता गुणरत्न सदाव्रते ने कहा कि एसटी कर्मचारियों के आंदोलन में नक्सली घूस रहे है। इसके अलावा शिवेसना के कार्यकर्ता कर्मचारियों पर दबाव बना रहे है। पुलिस को इसे देखने के लिए कहा जाए। उन्होंने कहा कि कर्मचारी किसी भी हिंसक गतिविधि में शामिल नहीं है। वे शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे है। फिर भी उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। निलंबन की कार्रवाई के चलते दो कर्मचारियों की हार्टअटैक से मौत हो गई है। दो और कर्मचारियों ने आत्महत्या की है। अब तक करीब 40 कर्मचारी आत्महत्या कर चुके है। उन्होंने कहा कि कर्मचारी अपनी हड़ताल पर अभी भी अटल है।  वहीं एसटी महामंडल की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ एसयू कामदार ने कहा कि हड़ताली कर्मचारी ऐसे कर्मचारियों को काम पर आने से रोक रहे है जो स्वेच्छा से काम पर आना चाहते है। वे हिंसक गतिविधियों संलिप्त है। इसलिए एसटी कर्मचारियों को एसटी डिपो से दूर रहकर प्रदर्शन करने दिया जाए। इस पर खंडपीठ ने एसटी महांडल को कोई कानून का उल्लंघन होने पर कार्रवाई करने को कहा।  

 

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