खेल खेल में मुंबई के सैकड़ों बच्चों ने सीखे सड़क पर सुरक्षा के गुर, साथ ही जानिए नागपुर की ट्रैफिक व्यवस्था पर ग्राउंड रिपोर्ट

खेल खेल में मुंबई के सैकड़ों बच्चों ने सीखे सड़क पर सुरक्षा के गुर, साथ ही जानिए नागपुर की ट्रैफिक व्यवस्था पर ग्राउंड रिपोर्ट

Tejinder Singh
Update: 2019-02-10 14:15 GMT
खेल खेल में मुंबई के सैकड़ों बच्चों ने सीखे सड़क पर सुरक्षा के गुर, साथ ही जानिए नागपुर की ट्रैफिक व्यवस्था पर ग्राउंड रिपोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। सावधानी सड़कों पर हादसों को रोकने में बेहद अहम साबित हो सकती है। इसीलिए सड़क सुरक्षा सप्ताह के दौरान मुंबई ट्रैफिक पुलिस ने सेफ किड्स फाउंडेशन नाम के एनजीओ के साथ मिलकर सैकड़ों बच्चों को सुरक्षा नियमों की जानकारी दी। बच्चों की दिलचस्पी बनी रहे इसलिए उन्हें खेलखेल में सड़क सुरक्षा से जुड़े नियमों की जानकारी दी गई। सेफ किड्स फाउंडेशन की प्रबंध निदेशक और ट्रस्टी रूपा कोठारी ने कहा कि यह बेहद गंभीर विषय है। सड़क सुरक्षा सिर्फ एक सप्ताह तक सीमित होने के बजाय हमारे जीवन का हिस्सा होना चाहिए। हमें हमेशा इस बात की सतर्कता बरतनी चाहिए कि सड़क पर लापरवाही ही दुर्घटना की वजह है। कोठारी के मुताबिक सड़क सुरक्षा को स्कूली शिक्षा के दौरान एक विषय के रुप में बच्चों को पढ़ाया जाना चाहिए। सड़क सुरक्षा सप्ताह के दौरान मुंबई ट्रैफिक पुलिस के जवानों ने चिल्ड्रन ट्रैफिक्स पार्क कूपरेज में प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान 300 बच्चों को विभिन्न खेलों के जरिए सुरक्षा संबंधी नियम समझाए। कार्यक्रम में मुंबई पुलिस कमिश्नर सुबोध जायसवाल और संयुक्त पुलिस आयुक्त (ट्रैफिक)  अमितेश कुमार ने भी बच्चों को सड़क पर सुरक्षा के लिहाज से बरती जाने वाली सावधानियों की जानकारी दी। साल 2019 का सड़क सुरक्षा सप्ताह चार फरवरी से 10 फरवरी के बीच मनाया गया। इस साल 30 वां सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाया गया जिसका ध्येय वाक्य रहा ‘सड़क सुरक्षा जीवन रक्षा’। 

नागपुर की ट्रैफिक व्यवस्था पर भास्कर ग्राउंड रिपोर्ट : कागजी खानापूर्ति तक सीमित रहा विभाग, असली मुद्दे अब भी कायम

उधर उपराजधानी में  ट्रैफिक व्यवस्था संभालने में विभाग इतना नाकाम साबित हुआ कि खुद हाईकोर्ट को इस पर संज्ञान लेते हुए कई बार दिशा-निर्देश जारी करने पड़े। बेकाबू ट्रैफिक व्यवस्था की स्थिति का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है। शहर की ट्रैफिक व्यवस्था बुरी तरह चरमराई हुई है। लोग रोजाना घंटों जाम में फंस रहे हैं। ऐसे चौराहे जहां थोड़ी सी समझदारी से आए दिन के जाम से मुक्ति मिल सकती थी, वहां की व्यवस्था भगवान भरोसे छोड़ दी गई है। लोग रोज एक जैसी समस्या से दो-चार हो रहे हैं। यातायात व्यवस्था सुचारू रहे और आमलोगों को जाम से जूझना न पड़े, इसके लिए विभिन्न चौक-चौराहों पर यातायात पुलिस की तैनाती होती है। यातायात व्यवस्था संभालने को लेकर लगाए गए कर्मियों की थोड़ी सी भी लापरवाही का भरपूर फायदा ऑटोचालक से लेकर बाकी के वाहन चालक जमकर उठाते हैं और खामियाजा पैदल चलने वालों से लेकर इमरजेंसी सेवा के वाहनों को झेलना पड़ता है। वे चौराहे जहां सुबह-शाम ट्रैफिक जाम की स्थिति बनती है। लोग चारों ओर से गुत्थम-गुत्था नजर आते हैं। पीक अावर्स में यदि एक ट्रैफिक सिपाही भी वहां तैनात कर दिया जाए तो इस स्थिति से बचा जा सकता है। बच्चे से लेकर बड़े तक रोजाना होने वाली ट्रैफिक अव्यवस्था से परेशान हैं। उनका कीमती समय रोजाना इसी समस्या के कारण बर्बाद हो रहा है, जबकि यह समय वे अन्य कामों के लिए दे सकते थे। दूसरी तरफ, ट्रैफिक विभाग का पूरा ध्यान चालानी कार्रवाई कर रेवेन्यू बढ़ाने और ‘ऊपरी’ कमाई तक सीमित हैं। यहां तक कि खुद कोर्ट ने भी माना है कि विभाग व्यवस्था संभालने में नकाम रहा। ट्रैफिककर्मी व्यवस्था से ज्यादा मोबाइल में व्यस्त रहते हैं और चौराहों से दूर नजर आते हैं।

हकीकत...चंद कदमों का फासला किलोमीटर में बदल गया

समाधान तो दूर, उस तरफ देखने तक को विभाग तैयार नहीं। शहर में एेसे कई चौराहे हैं, जहां निर्माणकार्य होने की वजह से रास्ता तो रोक दिया, मगर लोग उसके आस-पास के इलाकों में कैसे जाएंगे, इसकी व्यवस्था करना ही विभाग भूल गया। इस कारण चंद कदमों का फासला किलोमीटर में बदल गया। हमारा रोज का दो से ढ़ाई घंटा सिटी बस में सफर करने मंे बीत जाता है। मेट्रो के कारण एक ही सिग्नल पर तीन बार बस रूकती है। अगर यह समय हमें मिल जाए तो हम आराम भी कर सकते हैं और पढ़ाई भी।

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