यहां रावण की महापूजा में जुटे सैंकड़ों लोग, उठायी दहन पर प्रतिबंध की मांग

यहां रावण की महापूजा में जुटे सैंकड़ों लोग, उठायी दहन पर प्रतिबंध की मांग

Bhaskar Hindi
Update: 2017-09-20 16:40 GMT
यहां रावण की महापूजा में जुटे सैंकड़ों लोग, उठायी दहन पर प्रतिबंध की मांग

डिजिटल डेस्क, नागपुर। आदिवासी समुदाय ने बुधवार को लंकापति रावण की महापूजा की। परंपरा के अनुसार 45 भूमकाओं यानि पुजारियों ने पूजन संपन्न कराया। ऊंटखाना मैदान में आयोजित रावण पूजा में विदर्भ से बड़ी संख्या में आदिवासी शामिल हुए। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के अध्यक्ष गोंडराजा वासुदेवशहा टेकाम ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस दौरान बिरसा क्रांति दल के संस्थापक दशरथ मडावी ने कहा कि आदिवासियों का उज्ज्वल इतिहास सामने लाकर उनमें आत्मसम्मान जगाने के लिए ये आयोजन किया गया है। उन्होंने गोंड राजा बख्तबुलंद शाह उईके का स्मारक बनाने और रावण दहन पर कानूनी प्रतिबंध की भी मांग की। साथ ही दशहरे के दिन हर गांव में रावण पूजा करने का आह्वान किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि किनवट के पूर्व विधायक भीमराव केराम ने इसे ऐतिहासिक बताया। अतिथि के रूप में मधुकर उईके, दिनेश बाबूराव मडावी, एड. एल.के. मडावी, डा. नामदेवराव किरसान, किरण कुमरे, दिलीप मडावी, गुलाब कुडमेथे, डी.बी. अंबुरे, प्रकाश शेडमाखे, पांढरकवड़ा नप के अध्यक्ष भाऊराव मरापे उपस्थित थे। संचालन ब्रह्मानंद मडावी तथा उत्तम कनाके ने किया। आभार वसंत कनाके ने माना।

यहां होती है रावण की पूजा

महाराष्ट्र के अमरावती में रावण को भगवान की तरह पूजा जाता है। गढ़चिरोली में आदिवासी रावण का पूजन करते हैं। फाल्गुन पर्व धूमधाम से मनाते हैं, आदिवासी रावण और उसके पुत्र को देवता मानते हैं। इसके अलावा मध्यप्रदेश के मंदसौर में रावण को पूजा जाता है। जानकारों के मुताबिक यहां रावण धर्मपत्नी मंदोदरी का मायका था। उज्जैन के चिखली गांव में भी रावण की पूजा होती है। यूपी के बिसरख गांव में रावण का मंदिर है, जो उनका ननिहल बताया जाता है। आंध्रप्रदेश के काकिनाड में भी रावण का मंदिर बना है। जोधपुर में भी रावण की मूर्ती स्थापित है। कर्नाटक की मालवल्ली तालुका में लोग रावण को पूजते हैं। कर्नाटक के कोलार में भी रावण की शिवभक्त के रूप में पूजा होती है।

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