इस उम्मीद में मूर्तियां बना रहा हूं कि शायद आखिरी समय खरीदार आ जाएं

इस उम्मीद में मूर्तियां बना रहा हूं कि शायद आखिरी समय खरीदार आ जाएं

Anita Peddulwar
Update: 2020-07-22 14:23 GMT
इस उम्मीद में मूर्तियां बना रहा हूं कि शायद आखिरी समय खरीदार आ जाएं

डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र के सैकड़ों मुर्तिकारों को हर साल राज्य के सबसे लोकप्रिय त्योहार गणेशोत्सव का इंतजार होता है। क्योंकि बाप्पा की मूर्तियां बनाकर वे अपने और अपने परिवार के लिए रोटी का जुगाड़ करते हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते हालात ऐसे हो गए हैं कि बीते सालों के मुकाबले 20 फीसदी भी बुकिंग नहीं हुई है। अब मुर्तिकार सरकार से गणेशोत्सव के लिए छूट देने की गुहार लगा रहे हैं। ठाणे जिले के उल्हासनगर स्थित जय काली मां कलागृह में हर साल कई मुर्तिकार बाप्पा की मूर्तियां बनाते थे, लेकिन इस साल गजानन मालवनकर अकेले ही काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 50 साल का हो चुका हूं, जब से होश संभाला है बप्पा की मूर्तियां बनाकर ही गुजर बसर कर रहा हूं, इतने खराब हालत कभी नहीं थे। बड़ी मूर्तियों पर पाबंदी लगा दी गई है। प्रशासन सार्वजनिक मंडलों को इजाजत नही दे रहा है। इस साल अब तक केवल 25 मूर्तियों की बुकिंग हुई है। फिर भी इस उम्मीद में मूर्तियां बनाए जा रहा हूं कि शायद आखिरी समय खरीदार आ जाएं। मालवनकर ने कहा कि मैंने खुद मुख्यमंत्री उद्वव ठाकरे को खत लिखकर गणेशोत्सव के लिए लॉकडाउन में राहत देने की मांग की है। हालांकि अब तक इसका कोई जवाब नहीं आया। अथर्व कला मंदिर के मूर्तिकार पंकज तातावडेकर ने कहा कि आम लोग भी असमंजस में हैं कि सरकार उत्सव के लिए किसी तरह की छूट देगी या नहीं इसलिए वे भी मूर्तियों की अग्रिम बुकिंग नही करा रहे हैं। बुकिंग नही है इसके बाद भी हम इस काम मे जुटे हुए है। उम्मीद है बाप्पा के आशीर्वाद से सब ठीक हो जाएगा।

मिट्टी की मूर्तियों की मांग बढ़ी

सरकार ने इस बार  सार्वजनिक गणेश पंडालों की मूर्तियों की ऊंचाई 4 फुट और घरेलू मूर्तियों की ऊंचाई 2 फुट रखने की इजाजत दी है। इसका फायदा यह हुआ है कि मिट्टी की इको फ्रेंडली मूर्तियों की मांग बढ़ गई है। सिर्फ मिट्टी की मूर्तियां बनाने  वाले बाला खांडारे ने बताया कि बीते साल के मुकाबले उन्हें इस साल ज्यादा काम मिला है। लोगों में पर्यावरण को लेकर जागरूकता आ रही है। साथ ही सरकार ने भी छोटी मूर्तियां स्थापित करने का आदेश दिया है, ऐसे में लोग इस बार मिट्टी की मूर्तियों की मांग कर रहे हैं। मूर्तियों का विसर्जन भी इस बार आसपास बनाए गए कृत्रिम तालाबों में करना है इसलिए भी लोग मिट्टी की मूर्तियां ही स्थापित करना चाहते हैं। मूर्तिकार पंकज तातावडेकर ने भी कहा कि इस बार मिट्टी की मूर्तियों की इतनी मांग है कि मिट्टी कम पड़ जा रही है क्योंकि लॉकडाउन के चलते माल आने में परेशानी हो रही है।

 
 

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