सेक्सुअली हैरेसमेंट बर्दाश्त नहीं, आईसीसी और स्पेशल सेल का होगा गठन,यूजीसी के आदेश

सेक्सुअली हैरेसमेंट बर्दाश्त नहीं, आईसीसी और स्पेशल सेल का होगा गठन,यूजीसी के आदेश

Anita Peddulwar
Update: 2019-10-30 06:03 GMT
सेक्सुअली हैरेसमेंट बर्दाश्त नहीं, आईसीसी और स्पेशल सेल का होगा गठन,यूजीसी के आदेश

डिजिटल डेस्क, नागपुर। उच्च शिक्षा संस्थानों में छात्राओं और महिला कर्मचारियों के लिए सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण की अनिवार्यता पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग सख्त हुआ है। यूजीसी ने राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय समेत देश भर के शिक्षा संस्थानों को अपने यहां इंटरनल कंप्लेट कमेटी (आईसीसी) और स्पेशल सेल का गठन करने के आदेश दिए हैं। यहां लिंगभेद और हिंसा से जुड़े मसले हल किए जाएंगे। साथ ही साथ लिंगभेद विरोधी जागरूकता के लिए विविध उपक्रम भी चलाए जाएंगे।

सुरक्षित वातावरण मिले
 यूजीसी के अनुसार, महिलाओं में उच्च शिक्षा का स्तर बढ़ाने की पहली शर्त यह है कि उच्च शिक्षा संस्थानों में उनके लिए सुरक्षित और साफ-सुथरा वातावरण हो। इसके लिए उच्च शिक्षा के मौजूदा ढांचे में अाईसीसी और स्पेशल सेल जैसे घटक जरूरी है। इसके बाद ही गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा और रिसर्च का उद्देश्य सफल हो सकता है। यूजीसी मानता है कि शिक्षा संस्थानों मंे इन प्रयासों के माध्यम से समाज मंे भी महिलाओं के लिए एक सुरक्षित वातावरण तैयार होगा। ऐसे में विश्वविद्यालय और कॉलेज कैंपस में छात्राओं और महिला कर्मचारियों से जुड़े मसले हल करने के लिए इस प्रकार की कमेटी और सेल जरूरी है। 
नोटिफिकेशन जारी  : नोटिफिकेशन में यूजीसी ने साफ किया है कि वे यौन हिंसा प्रतिबंधात्मक कानून के प्रावधान को सख्ती से लागू करना चाहते हैं। साथ ही यौनाचार और अन्य प्रकरणों की स्टूडेंस ग्रीवियंस रिड्रेसल पोर्टल पर शिकायतों को बढ़ावा देना चाहते हैं। यूजीसी ने नागपुर विवि समेत सभी शिक्षा संस्थानों को नि:शुल्क हेल्पलाइन नंबर 1800-111-656 नोटिस बोर्ड और अन्य जगह लगाने को कहा है।

प्राथमिक शिक्षकों को मिलेगा पहचान-पत्र
राज्य सरकार के समग्र अभियान -2019-20 के तहत पहली से आठवीं कक्षा तक के सभी प्राथमिक शिक्षकों को पहचान-पत्र दिए जाएंगे। महाराष्ट्र प्राथमिक शिक्षा परिषद की राज्य प्रकल्प संचालक वंदना कृष्णा ने नागपुर समेत प्रदेश भर की जिला परिषद और मनपा शिक्षा विभाग को यह आदेश जारी किया है। राज्य में करीब 3 लाख 68 प्राथमिक शिक्षक हैं। समग्र अभियान के तहत सरकार ने यह या उपक्रम शुरू करने का निर्णय लिया है। सरकार इस पर 50 रुपए प्रति पहचान-पत्र यानी कुल 1 करोड़ 93 लाख रुपए खर्च करने की तैयारी कर रही है। इसका उद्देश्य प्राथमिक शिक्षकों को एक पहचान देना है। परिपत्रक में कहा गया है कि, पहचान-पत्र का प्रारूप राज्य प्राथमिक शिक्षक परिषद द्वारा तय किया गया है। ऐसे में राज्य भर मंे सभी प्राथमिक शिक्षकों को एक समान पहचान-पत्र दिए जाएंगे। पहचान-पत्र तैयार करने का काम शैक्षणिक सत्र 2019-20 के आखिर तक पूरा किया जाना है। 

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