78 फीसदी लोगों की भाषा की उपेक्षा मानवाधिकार का है उलंघन, इन्हें बचाए सरकार

78 फीसदी लोगों की भाषा की उपेक्षा मानवाधिकार का है उलंघन, इन्हें बचाए सरकार

Tejinder Singh
Update: 2019-11-21 11:57 GMT
78 फीसदी लोगों की भाषा की उपेक्षा मानवाधिकार का है उलंघन, इन्हें बचाए सरकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। हिंदी सहित अन्य भारतीय भाषाओं के विकास को लेकर मुंबई विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष डॉ करुणाशंकर उपाध्याय सहित अन्य हिंदी सेविओं ने नई दिल्ली में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ रमेशचंद्र पोखरियाल "निशंक" से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल में प्रोफेसर उपाध्याय के अलावा डॉ नरेश मिश्र (रोहतक), डॉ. आनंदप्रकाश त्रिपाठी (सागर), डॉ.आलोक पांडेय (दिल्ली) तथा डाॅ. एच.एन. वाघेला (भावनगर) शामिल थे। डॉ. इस दौरान उपाध्याय ने आग्रह किया कि हिंदी के संदर्भ में भारतीय संविधान के प्रावधानों को ठीक से लागू किया जाए। उन्होंने कहा कि इस देश की 78 प्रतिशत जनता हिंदी बोलने अथवा समझने में सक्षम है और यदि सरकारों, विश्वविद्यालयों तथा न्यायालय के कामकाज में वह प्रतिष्ठा सहित आसीन नहीं है तो यह इस देश के 78 प्रतिशत लोगों के मानवाधिकार का उल्लंघन है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि विश्व के जितने भी विकसित राष्ट्र हैं उनमें केवल चार की ही भाषा अंग्रेजी है। शेष राष्ट्रों ने अपनी भाषा के बल पर विकास किया है।

डॉ उपाध्यय ने बताया कि हमने इजरायल, दक्षिण कोरिया और जापान का उदाहरण दिया। इस अवसर पर श्री पोखरियाल ने कहा कि हम हिंदी और भारतीय भाषाओं के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस दिशा में बड़ा प्रयास करने की जरुरत है। हम पूरा सहयोग करेंगे। आज हिंदी और भारतीय भाषाओं के विद्वानों को संगठित होकर आवाज़ उठाने की जरूरत है। हमें एकजुट होकर अंग्रेजी के खतरे  को समझना होगा। इस समय हिंदी और भारतीय भाषाओं के अनुकूल सरकार है। आप अपने प्रयास को देशव्यापी स्वरूप दीजिए। इस मौके पर डॉ.करुणाशंकर उपाध्याय ने अपनी पुस्तक ‘हिंदी का विश्व संदर्भ’मानव संसाधन विकास मंत्री को भेंट की।

डॉ उपाध्यय ने बताया कि हमने इजरायल, दक्षिण कोरिया और जापान का उदाहरण दिया। इस अवसर पर श्री पोखरियाल ने कहा कि हम हिंदी और भारतीय भाषाओं के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस दिशा में बड़ा प्रयास करने की जरुरत है। हम पूरा सहयोग करेंगे। आज हिंदी और भारतीय भाषाओं के विद्वानों को संगठित होकर आवाज़ उठाने की जरूरत है। हमें एकजुट होकर अंग्रेजी के खतरे  को समझना होगा। इस समय हिंदी और भारतीय भाषाओं के अनुकूल सरकार है। आप अपने प्रयास को देशव्यापी स्वरूप दीजिए। इस मौके पर डॉ.करुणाशंकर उपाध्याय ने अपनी पुस्तक ‘हिंदी का विश्व संदर्भ’मानव संसाधन विकास मंत्री को भेंट की।

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