सरकारें बदली पर नहीं बदले हालात, किसान आत्महत्या के मामले में नागपुर जिला सबसे आगे

सरकारें बदली पर नहीं बदले हालात, किसान आत्महत्या के मामले में नागपुर जिला सबसे आगे

Tejinder Singh
Update: 2019-02-25 15:55 GMT
सरकारें बदली पर नहीं बदले हालात, किसान आत्महत्या के मामले में नागपुर जिला सबसे आगे

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  किसान आत्महत्या के मामले में सरकार की उपाययोजनाओं के दावे को चुनौती देती रिपोर्ट सामने आयी है। आत्महत्या का दौर थम नहीं रहा है। हद तो यह है कि बीते 4 वर्ष में नागपुर विभाग में किसान आत्महत्या के मामले बढ़े हैं। उसमें भी नागपुर जिले में सबसे अधिक आत्महत्या के मामले दर्ज किए गए हैं। विभाग ही नहीं राज्य में सबसे पिछड़ा कहलाने वाला गडचिरोली जिला आंकड़ो के लिहाज से राहत पा रहा है। गडचिरोली जिले में किसान आत्महत्या के सबसे कम प्रकरण दर्ज किए गए है। खास बात यह है कि गडचिरोली में किसान आत्महत्या के जो प्रकरण दर्ज किए गए हैं उनमें से करीब 80 प्रतिशत प्रकरण अपात्र ठहराए गए हैं। सूचना अधिकार के तहत सामाजिक कार्यकर्ता अभय कोलारकर को विभागीय आयुक्त कार्यालय से दी गई जानकारी में जो तथ्य सामने आया है वह काफी चौंकानेवाला है। 2001 से लेकर 2018 तक किसान आत्महत्या के प्रकरण सालाना बढ़ते जा रहे हैं।

4007 किसान आत्महत्या,20.45 करोड़ की राहत

विभागीय आयुक्त कार्यालय के अनुसार 2001 से 2018 तक नागपुर विभाग में किसान आत्महत्या के 4007 प्रकरण दर्ज किए गए हैं। इनमें 1935 प्रकरण अपात्र ठहराए गए हैं। 27 प्रकरण लंबे समय से लंबित है। आत्महत्या करनेवाले किसान परिवार को 20.45 करोड रुपये की सहायता सरकार ने दी है। नागपुर विभाग में 6 जिले नागपुर, वर्धा, चंद्रपुर, गडचिरोली, भंडारा व गोंदिया का समावेश है। आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो नागपुर के बाद सर्वाधिक किसान आत्महत्या चंद्रपुर जिले में हुई है। किसान आत्महत्या के मामले को लेकर 2014 के चुनाव में राज्य में सत्ता में बदलाव का आव्हान किया गया था। कांग्रेस व राकांपा के नेतृत्व की सरकार लगातार 10 वर्ष तक इस मसले को लेकर विपक्ष के निशाने पर थी। सत्ता बदलने के बाद भी स्थिति नहीं बदली है। सरकार के आंकड़ों को ही देखें तो 2014 के बाद हर जिले में किसान आत्महत्या के प्रकरण बढ़े है।
 

Similar News