इन हालातों में जुड़ने से पहले ही टूट रही रिश्तों की डोर

इन हालातों में जुड़ने से पहले ही टूट रही रिश्तों की डोर

Tejinder Singh
Update: 2021-06-20 10:19 GMT
इन हालातों में जुड़ने से पहले ही टूट रही रिश्तों की डोर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बीते डेढ़ वर्ष से जारी कोरोना महामारी के कारण कई परिवारों की आर्थिक स्थिति बुरी तरह प्रभावित हुई है। नए रिश्तों की डोर बंधने से पहले ही टूटने लगी है। युवा स्वयं को वैवाहिक जिम्मेदारी संभालने में सक्षम नहीं मान रहे। सगाई विवाह तक नहीं पहुंच पा रही। यहां तक कि शहर के समुपदेशन केंद्रों तक ऐसे मामले पहुंचने लगे हैं। महानगरपालिका और समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत ऐश्वर्य बहुउद्देशीय संस्था द्वारा संचालित नंदनवन स्थित अनुसुयाबाई काले महिला समुपदेशन केंद्र में हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया। 

जिम्मेदारी उठाने तैयार नहीं युवक 

नंदनवन निवासी 28 वर्षीय विवेक और दिघोरी निवासी शिवानी (दोनों परिवर्तित नाम) का रिश्ता वर्ष 2020 में तय हुआ था। विवेक इवेंट मैनेजमेंट क्षेत्र में था। फरवरी 2020 में सगाई हुई और मई 2020 में विवाह होना था। मार्च में लॉकडाउन लगा, तो सारे समारोह और सार्वजनिक कार्यक्रम प्रतिबंध के दायरे में आ गए। विवाह की तारीख बढ़ा दी गई, लेकिन लॉकडाउन लंबा खिंच गया। दूसरी तरफ, विवेक का व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुआ और उसकी आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो गई। आर्थिक हालात लगातार बिगड़ती चली गई। सगाई को डेढ़ साल बीत गए तो विवेक ने युवती के परिवार को हकीकत बताई और शादी के लिए आर्थिक रूप से सक्षम न होने की जानकारी दी। परिवार सन्न रह गया। विवाह तोड़ने के कारणोें पर उन्हें भरोसा नहीं हुआ, जबकि विवेक ने ईमानदारी से अपनी बात रखी थी। उसका मानना था कि किसी की जिंदगी बर्बाद करने से बेहतर है, उसकी जिंदगी से हट जाना। अंतत: समुपदेशन का सहारा लेना पड़ा। 

दोनों के लिए यही सही फैसला

समुपदेशन केन्द्र की संचालिका शालिनी सक्सेना ने बताया कि जब शिवानी ने परिजनों ने मामला बताया, तो हमने विवेक को केन्द्र बुलाया। विवेक की स्थिति समझते हुए युवती को समझाया गया कि यदि उसका होने वाला पति आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है, तो यह एक गंभीर मसला है। यदि विवेक स्वयं को आर्थिक रूप से सक्षम नहीं मानता, तो उस पर वैवाहिक जिम्मेदारी उठाने का दबाव नहीं डाला जा सकता। हो सकता है शादी के बाद तलाक की स्थिति बन जाए। समुपदेशक ने शिवानी को समझाया कि विवेक की समझदारी में कोई गलती नहीं। शिवानी के सामने पूरा भविष्य पड़ा है। उसे निश्चित तौर पर एक सक्षम और समझदार जीवनसाथी मिलेगा। मामले से जुड़े सभी पक्षों ने स्थिति को समझ कर इस मसले को रफा-दफा कर आगे बढ़ जाने का फैसला लिया।

सही समुपदेशन जरूरी

शालिनी सक्सेना के अनुसार कोरोना काल में हमारी मनोस्थिति पर भी आघात हुआ है। विवाह जीवन का एक बड़ा फैसला होता है। ऐसे में युवक-युवती और उनके परिवार जब भी ऐसी स्थिति में फंसे, ताे उन्हें सही समुपदेशन की जरूरत है, ताकि वे बेहतर निर्णय ले सकें। हमने उक्त मामले में यही कार्य किया है।

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