स्वच्छता में इंदौर नंबर वन, नागपुर के पिछड़ने के हैं कई कारण, जनजागरण महज खानापूर्ति

स्वच्छता में इंदौर नंबर वन, नागपुर के पिछड़ने के हैं कई कारण, जनजागरण महज खानापूर्ति

Anita Peddulwar
Update: 2020-01-11 11:04 GMT
स्वच्छता में इंदौर नंबर वन, नागपुर के पिछड़ने के हैं कई कारण, जनजागरण महज खानापूर्ति

डिजिटल डेस्क, नागपुर । स्वच्छ भारत अभियान में इंदौर लगातार अपना स्थान नंबर वन बनाए हुए हैं। नागपुर की रैंकिंग में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। नागपुर को नंबर वन बनाने के लिए आम नागरिक और सरकारी अमले को हाथ में हाथ डालकर आगे बढ़ना होगा। स्वच्छता के मामले में इंदौर और नागपुर के बीच काफी फासला है। इसे कम करने के लिए आम नागरिकों की भागीदारी जरूरी है। नागरिकों को स्वच्छता अभियान से जोड़ने के लिए जनप्रतिनिधि को पहल करनी होगी, तभी जाकर देश के नक्शे में नागपुर को स्वच्छ शहर की पहचान मिल सकेगी। संयुक्त प्रयास के बिना स्वच्छ नागपुर का सपना, सपना बनकर रह जाएगा।

इंदौर की खूबी
गीला, सूखा कचरा अलग-अलग संकलन
100 प्रतिशत कचरे पर प्रक्रिया की व्यवस्था
कॉलाेनियों में होम कंपोस्ट, बर्तन व थैला बैंक
सूखा कचरा खरीदी कर नागरिकों का प्रोत्साहन
जीरो वेस्ट इवेंट का आयोजन
12 तरह का सूखा कचरा मशीन से अलग छांटने की व्यवस्था
मलबे का निपटारा करने के लिए प्लांट
ईंट और पेवर ब्लॉक बनाने के लिए कचरे का उपयोग
कचरे से कंपोस्ट खाद और सीएनजी ईंधन बनाने की व्यवस्था

नागपुर की खामी
गीला, सूखा कचरा एकत्रित संकलन में कमी
कचरे पर प्रक्रिया की पर्याप्त व्यवस्था नहीं
प्लास्टिक पर पूरी तरह रोक लगाने में नाकाम 
जनजागरण के नाम पर केवल खानापूर्ति
सूखे कचरे की छंटनी की व्यवस्था नहीं
कंपोस्ट खाद बनाने की नाकाफी व्यवस्था
ईंट और पेवर ब्लॉक में उपयोग नहीं
सीएनजी ईंधन बनाने की कोई व्यवस्था नहीं

यह भी एक पहलू
इंदाैर में स्वच्छता के प्रति आम नागरिक जागरूक हैं। ऐसा नहीं है कि वहां के लोगों में पहले से जागरूकता रही। सरकारी अमले से लेकर जनप्रतिनिधियों ने दिन-रात महेनत कर लोगों के दिलों में स्वच्छता का महत्व कूट-कूट कर भर दिया। आज लोग खुद जागरूक हो गए। सड़क पर कचरा या गंदगी फैलाना तो दूर, दूसराें की हरकत पर भी पैनी नजर रखते हैं। यदि कोई रास्ते पर गंदगी फैला रहा है, तो उसी को साफ करने पर मजबूर किया जाता है। नागपुर में जागरूकता का अभाव है। शहर में 3 स्वयंसेवी संस्थाएं लोगों में बरसों से जनजागरण कर रही हैं। दो स्वयंसेवी संस्थाएं नि:शुल्क सेवा दे रही हैं। एक स्वयंसेवी संस्था को मनपा की तिजोरी से सालाना लाखों रुपए भुगतान िकया जा रहा है। मनपा का स्वयंसेवी संस्थाओं पर कोई नियंत्रण नहीं है। उनके काम का लेखा-जोखा भी उपलब्ध नहीं है। स्वच्छता का महत्व समझ नहीं पाने से लोग खुलेआम सड़कों पर गंदगी करते हैं। कोई रोक-टोक करने वाला नहीं है।

एनडीएस के भरोसे निगरानी
शहर में गंदगी फैलाने वालों पर निगरानी रखने के िलए मनपा ने उपद्रव शोध दल (एनडीएस) का गठन किया है। दल में 87 जवान कार्यरत थे। 114 जवानों की भरती की गई है। मनपा के 10 जोन हैं। सभी जोन में एनडीएस की टीम कार्यरत है। उनके कंधों पर 21 प्रकार की जिम्मेदारियां हैं। गंदगी फैलाने वालों पर कार्रवाई करने के अधिकार भी उन्हीं को दिए गए हैं। 20 जवानों के भरोसे जोन में गंदगी फैलाने वालों पर नजर रखी जा रही है।

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