कांग्रेस में भी हुआ भितरघात, केवलारी की परंपरागत सीट इसी कारण हारे

कांग्रेस में भी हुआ भितरघात, केवलारी की परंपरागत सीट इसी कारण हारे

Bhaskar Hindi
Update: 2018-12-13 11:45 GMT
कांग्रेस में भी हुआ भितरघात, केवलारी की परंपरागत सीट इसी कारण हारे

डिजिटल डेस्क, सिवनी। भाजपा के सत्ता से बाहर होने पर उनकी पार्टी में हुए भितरघात की काफी चर्चा हो रही है, किेंतु कांग्रेस में भी यह स्थिति बनी रही। सिवनी की केवलारी विधानसभा जो कांग्रेस की परम्परागत सीट थी वह भितरघात के कारण ही कांग्रेस के हाथ से चली गई। इसी तरह जबलपुर की पनागर सीट भी कांग्रेस के कार्यकत्ताओं की बेरूखी तथा उनके द्वारा किए गए भितरघात के कारण ही यहां से कांग्रेस प्रत्याशी को सबसे लम्बी हार का सामना करना पड़ा।

क्या हुआ केवलारी क्षेत्र में
जिस तीर से शिकार कर कल तक कांग्रेस केवलारी क्षेत्र में अपना वर्चस्व कायम रखती आयी थी, वही तीर पलटकर इस बार कांग्रेस को ही घायल कर गया। इन चर्चाओं में लोगों का कहना है कि केवलारी क्षेत्र में कांग्रेस के द्वारा लगातार ही लोगों को भ्रमित कर और भाजपाईयों को किसी तरह साधकर भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगवायी जाती रही थी। इन्ही हथकंडों से इस सीट को कांग्रेस ने अपना गढ़ बना लिया था। इस बार क्षेत्र में एक ही चर्चा चल रही थी कि पहली बार भाजपा के द्वारा ऐसा प्रत्याशी उतारा गया है जो कांग्रेस पर हर मामले में भारी पड़ा। अप्रत्याशित चुनाव परिणाम में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की अहम भूमिका रही। 1993 के विधान सभा चुनावों से केवलारी सीट पर कांग्रेस के स्व.हरवंश सिंह या उनके पुत्र रजनीश सिंह का कब्जा बरकरार रहा था।

जनता से दूर हो गए थे रजनीश सिंह
पिछले चुनावों के कुछ माह पहले ही विधान सभा उपाध्यक्ष रहे स्व.हरवंश सिंह का निधन हो गया था। इसके बाद कांग्रेस के द्वारा इस सीट पर उनके पुत्र रजनीश सिंह को मैदान में उतारा गया था। उनके सामने भाजपा के चार बार के विधायक और पूर्व मंत्री डॉ.ढाल सिंह बिसेन थे। इन चुनावों में रजनीश सिंह ने विजय हासिल की थी। इस बार के चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रत्याशी राजेन्द्र राय ने कांग्रेस की जीत के समीकरण को बिगाड़ दिया। गोंगपा ने 21694 वोट हासिल किये, यह सेंध कांग्रेस के वोट बैंक में ही लगी मानी जा रही है, जिससे कांग्रेस के रजनीश सिंह को हार का सामना करना पड़ा। इसके अलावा भीतरघात और पार्टी के कार्यकत्र्ताओं में अंदरूनी गुटबाजी का खामियाजा भी रजनीश सिंह को भुगतना पड़ा।

 

Similar News