डायरिया से मर गए 5 लाख से ज्यादा के कडकऩाथ

24 लाख के प्रोजेक्ट पर जड़ा ताला, हैचरी मशीन कबाड़ में डायरिया से मर गए 5 लाख से ज्यादा के कडकऩाथ

Bhaskar Hindi
Update: 2021-12-03 17:44 GMT
डायरिया से मर गए 5 लाख से ज्यादा के कडकऩाथ

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। झाबुआ के कडकऩाथ से जिले वासियों को ज्यादा मुनाफा दिलाने की योजना फेल हो गई। 5 लाख से ज्यादा के कडकऩाथ डायरिया से मर गए। लाखों की मशीनरी कबाड़ में तब्दील हो रही है। अधिकारियों की अनदेखी के कारण 24 लाख रुपए के इस प्रोजेक्ट की बंदरबाट हो गई। आज यहां कडकऩाथ की जगह वनराज पाले जा रहे हैं।
जानकारी अनुसार साल 2013-14 में छिंदवाड़ा जिले को नक्सलप्रभावित जिले की श्रेणी में रखा गया था। इस दौरान इंटीग्रेटेड एक्शन प्लान के तहत पोल्ट्री व हैचरी फार्म का प्रोजेक्ट पास हुआ था। जिसमें झाबुआ के कडकऩाथ के जरिए पोल्ट्री व्यवसाय से जुड़े लोगों की आय बढ़ाने की योजना थी। लम्बी जद्दोजहद के बाद यह प्रोजेक्ट कृषि विज्ञान केंद्र को मिला था। मार्च 2014 में 24 लाख 62 हजार की लागत से यह प्रोजेक्ट शुरु हुआ था। लेकिन साल 2020 में पोल्ट्री फार्म में मौजूद 540 कडकऩाथ मर गए। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि डायरिया की वजह से फार्म में मौजूद कडकऩाथ की मौत हो गई।  
यह था प्रोजेक्ट
इंटीग्रेटेड एक्शन प्लान की मद से कृषि विज्ञान केंद्र में वर्ष 2014-15 में कडक़ नाथ के लिए हैचरी व पोल्ट्री फार्म का निर्माण 24 लाख 62 हजार रुपए की लागत से हुआ था। शुरुआती दौर में झाबुआ से कडकऩाथ के 500 चूजे लाए गए थे। इनमें से 300 चूजे ही जीवित रहे। 2020 तक कृषि विज्ञान केंद्र ने इन चूजों को पालकर 18 हजार 70 चूजे बेचे, करीब 6 लाख से ज्यादा के मुर्गी-मुर्गा भी बेचे थे।
फैक्ट फाइल
- 6 साल में 18,070 चूजे किए गए थे उत्पादित
- 60 रुपए से 80 रुपए तक बिका है एक चूजा
- 6 लाख 97 हजार रुपए के बेचे मुर्गा-मुर्गी
- 5,000 हजार अंडों को हैच करने की क्षमता वाली है मशीन
- पोल्ट्री फार्म में बनाया गया शेड महज 600 की क्षमता वाला
दो विभागों के बीच उलझकर डूब गया प्रोजेक्ट
महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट्स को पाने के लिए पशुपालन विभाग ने पुरजोर कोशिश की थी। इस प्रोजेक्ट के तहत पशुपालन विभाग ने महज हैचरी मशीन की मांग की थी। शेष इंफ्रास्ट्रक्चर विभाग के पास पहले से मौजूद था। लेकिन यह प्रोजेक्ट कृषि विज्ञान केंद्र के पास पहुंच गया। दोनों विभागों के बीच मची खींचतान के बाद तत्कालीन कलेक्टर ने एग्रीकल्चर, कृषि अनुसंधान केंद्र और पशुपालन विभाग के अधिकारियों की समन्वय समिति बनाई थी। पशुपालन विभाग से एक पशु चिकित्सक व दो वेक्सीनेटर उपलब्ध कराए गए थे।
प्रोजेक्ट बंद होने से उठ रहे सवाल
- पोल्ट्रीफार्मिंग में कुशल विभाग को क्यों नहीं दी जिम्मेदारी
- अचानक बंद हुए इस प्रोजेक्ट की जांच क्यों नहीं की गई
- बंद पड़े प्रोजेक्ट को शुरु करने व्यवस्था क्यों नहीं बनाई
- कबाड़ होती मशीनरी का सदुपयोग करने व्यवस्था क्यों नहीं बना रहे
इनका कहना है
मुझे अभी इस प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी मिली है। कुछ समय पहले डायरिया से फार्म में मौजूद 500 से ज्यादा कडकऩाथ की मौत हो चुकी है। नए सिरे से फार्म को शुरु करने के लिए प्रयास किया जा रहा है। फिलहाल यहां वनराज प्रजाति का पालन किया जा रहा है।
-सुंदरलाल अलावा, पोल्ट्री प्रोजेक्ट इंचार्ज

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