कृषि भूमि वापस मांग रहे आदिवासी किसान, नहीं लौटाई तो राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु की मांग

कृषि भूमि वापस मांग रहे आदिवासी किसान, नहीं लौटाई तो राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु की मांग

Anita Peddulwar
Update: 2018-07-12 09:14 GMT
कृषि भूमि वापस मांग रहे आदिवासी किसान, नहीं लौटाई तो राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु की मांग

डिजिटल डेस्क, कोरपना(चंद्रपुर)। अपनी कृषि भूमि वापस मांग रहे आदिवासी किसानों ने भूमि वापस नहीं मिली तो राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु की मांग करेंगे। माणिकगढ़ पहाड़ी के नीचे बसे कुसुंबी गांव के कोलाम आदिवासियों ने अपने हक की जमीन वापस लौटाकर देने की मांग सरकार से की है। मांग पूरी न होने पर उन्होंने आत्मदाह या फिर जलसमाधि लेने की अनुमति राष्ट्रपति से मांगी है। 

बता दें कि गत कई वर्षों से अधिकार की कृषि भूमि वापस लौटाने की मांग को लेकर उनका आंदोलन चल रहा है। इस मांग को लेकर गत माह इस समुदाय के 52 परिवारों ने आदिवासी देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना कर माणिकगढ़ कंपनी प्रबंधन व सरकार को सद्बुद्धि देकर उन्हें भूमि वापस लौटाकर देने की प्रार्थना की। 

बता दें कि माणिकगढ़ पहाड़ी के नीचे बसे ग्राम कुसुंबी के 52 आदिवासी परिवारों की भूमि माणिकगढ़ सीमेंट कंपनी की सब-कंपनी दी सेंचुरी टेक्सटाईल एंड इंडस्ट्रीज के लिए सन् 1986 के दौरान अवैध रूप से ले ली गई थी। जमीन आवंटन का सही रिकार्ड नहीं बनाए जाने से माणिकगढ़ कंपनी ने कुसुंबी गांवठान व इसके समीपस्थ 63.62 हेक्टेयर आदिवासियों की भूमि लेकर उन्हें 9.42 लाख रुपए का मुआवजा दे दिया, तब से भूमि पाने के लिए आदिवासियों का संघर्ष शुरू है।

आदिवासियों की मांग है कि यह भूमि उनकी अधिकृत जमीन होकर इसे लौटाई जाए, पर यह मामला सरकार द्वारा सुलझाया ही नहीं जा रहा है। आदिवासियों को जमीन वापस देने की मांग को लेकर जनसत्याग्रह आदिवासी संगठन ने राजुरा उपविभागीय कार्यालय के सामने गत 18 मई को थाली बजाओ आंदोलन किया था। गत 10 जून को आदिवासियों ने इष्ट देवता की पूजा कर माणिकगढ़ प्रबंधन और सरकार को सद्बुद्धि देने की प्रार्थना की। फिर भी सरकार ने उनकी मांग को गंभीरता से नहीं लिया। इसके बाद आदिवासी संगठन ने मांग मनवाने के लिए 28 जून को नागपुर संभागीय कार्यालय के सामने ढोल बजाओ आंदोलन किया, पर उन्हें न्याय नहीं मिला। अब मांग पूरी न होने पर आदिवासियों ने सरकार से आत्मदाह व जलसमाधि लेने की अनुमति मांगी है। उपरोक्त मांग का ज्ञापन राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, जिलाधीश व स्थानीय पुलिस निरीक्षक को भिजवाया गया है।

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