कचरा डंपिंग के लिए मुंबई मनपा को अंतिम मौका, राजधानी में दो गुना बढ़ी पानी की समस्या

कचरा डंपिंग के लिए मुंबई मनपा को अंतिम मौका, राजधानी में दो गुना बढ़ी पानी की समस्या

Tejinder Singh
Update: 2019-04-09 16:12 GMT
कचरा डंपिंग के लिए मुंबई मनपा को अंतिम मौका, राजधानी में दो गुना बढ़ी पानी की समस्या

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कचरा डंपिग के लिए समुचित व्यवस्था न बनाने को लेकर नाराजगी जाहिर की है। हाईकोर्ट ने कहा कि मुंबई देश की वित्तीय राजधानी है यहां रोजाना बडे पैमाने पर कचरा इकट्ठा किया जाता है लेकिन नियमों के तहत इस कचरे का निस्तारण नहीं किया जाता है। यह कहते हुए हाईकोर्ट ने मुंबई महानगरपालिका को देवनार डंपिंग ग्राउंड में रोजाना 450 मैट्रिक टन कचरा डंप करने की अनुमति प्रदान कर दी है। हाईकोर्ट ने कहा कि मनपा यहां सिर्फ 31 दिसंबर 2019 तक ही कचरा जमा कर सकती है। इसके बाद वह कचरे की डंपिग के लिए वैकल्पिक व्यवस्था बनाए। हम कचरा डंपिंग व्यवस्था बनाने के लिए मनपा को आखरी मौका दे रहे है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को भी मुंबई मनपा को कचरा निस्तारण  प्लांट के लिए जमीन आवंटित करने की दिशा में उचित कदम उठाने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति अभय ओक व न्यायमूर्ति एमएस शंकलेचा की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया। इससे पहले हाईकोर्ट ने अप्रैल 2013 में देवनार व मुलुंड डंपिग ग्राउंड में कचरे की डंपिंग पर अंतरिम रोक लगा दी थी। क्योंकि मनपा के पास सालिड वेस्ट मैनेटमेंट एक्ट के तहत कचरे की डंपिग लेकर व्यवस्था नहीं थी। इसलिए मनपा ने अंतरिम तौर पर देवनार में कचरा डंपिंग करने की अनुमति मांगी थी। जिसे मंगलवार को खंडपीठ ने प्रदान कर दिया।  खंडपीठ ने कहा कि वे इस बार मनपा को आखरी मौका दे रहे है। मनपा सिर्फ 31 दिसंबर 2019 तक ही वहां पर रोजाना 450 मैट्रिक टन कचरा डंप कर सकती है। खंडपीठ ने कहा कि मुंबई देश की वित्तीय राजधानी है। यह रोजाना काफी कचरा निकलता है। जिसका नियमों के तहत कचरे का निस्तारण नहीं किया जाता है। 

मुंबई में दो गुनी हो गई पानी की समस्या

इसके अलावा सबसे अमीर महानगर पालिका मुंबई (बीएमसी) में पानी की समस्या विकराल होती जा रही है। पिछले दो सालों में जल आपूर्ति से जुड़ी शिकायत बढ़कर लगभग दोगुनी हो गईं हैं। इसके अलावा जलनिकासी, सड़क, अपशिष्ट प्रबंधन, शौचालय, प्रदूषण, स्कूल, जायदाद से जुड़ी समस्याओं से भी मुंबईकर परेशान हैं। मुंबई महानगर पालिका प्रशासन आम लोगों की शिकायतों के निपटारे के लिए औसतन 46 दिन का समय लेता है जबकि सिटिजन चार्टर के मुताबिक इनका निपटारा तीन दिन में होना चाहिए। गैर सरकारी संस्था प्रजा फाउंडेशन की एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। प्रजा फाउंडेशन के प्रबंध ट्रस्टी निताई मेहता ने बताया कि साल 2016 में लोगों की ओर से बीएमसी को 81 हजार 555 शिकायतें मिलीं थीं जो साल 2018 में बढ़कर 1 लाख 16 हजार 658 हो गईं। सबसे ज्यादा जल आपूर्ति की शिकायतें बढ़ीं हैं। साल 2017 में जलआपूर्ति से जुड़ी 6 हजार 959 शिकायतें मुंबईकरों ने दर्ज की थी जो साल 2018 में 82 फीदसी बढ़कर 12 हजार 647 हो गईं। मुंबई से साल 2018 में सड़क से जुड़ी 13458, इमारत से जुड़ी 21014, जलनिकासी से जुड़ी 20641, अपशिष्ट प्रबंधन से जुड़ी 14494, लाइसेंस से जुड़ी 14203 शिकायतें आम नागरिकों की ओर से मिलीं थीं। सबसे कम 58 शिकायतें स्कूलों को लेकर की गईं हैं। बीएमसी का दावा है कि उसने साल 2018 में 83 फीसदी शिकायतों का निपटारा किया है जबकि 2016 में सिर्फ 58 फीसदी शिकायतों का ही निपटारा हो पाता था। इसके अलावा बीएमसी महिलाओं और विकलांगों के लिए शौचालय उपलब्ध कराने के मामले में भी फिसड्डी साबित हो रही है।  
खराब हो रही है मुंबई की हवा

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में वायु प्रदूषण के चलते सांस लेना दूभर होता जा रहा है। प्रजा द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई महानगर में साल 2018 में एक भी दिन ऐसा नहीं था जब हवा की गुणवत्ता अच्छी रही हो। जबकि साल 2016 में 65 दिनों और साल 2017 में 45 दिनों हवा की गुणवत्ता अच्छी थी। 
 

Tags:    

Similar News