जलापूर्ति लाइन में जगह-जगह लीकेज, पानी में आराम फरमा रहीं भैसें

जलापूर्ति लाइन में जगह-जगह लीकेज, पानी में आराम फरमा रहीं भैसें

Tejinder Singh
Update: 2019-05-27 11:37 GMT
जलापूर्ति लाइन में जगह-जगह लीकेज, पानी में आराम फरमा रहीं भैसें

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जलापूर्ति लाइन में जगह-जगह लीकेज होने से पानी बह रहा है। खुली जगह पानी जमा होने से भैसों को फायदा हो रहा है, जो भैंसों की अरामगाह में तब्दील हो रही है। जब्कि पानी की किल्लत से वैसे ही लोग परेशान हैं। लेकिन अबतक इस बात का पता नहीं चल सका है कि पानी आखिर कहां से रिस रहा है। तकरीबन 6 वर्ष पूर्व बेसा, बेलतरोडी, घोगली, शंकरपुर, हुडकेश्वर (खु), पिपला, खरबी, बहादुरा, कापसी, गोन्हीसिम, कापसी (खु) सहित नरसाला व हुडकेश्वर में जलापूर्ति के लिए महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण द्वारा 25,855.62 लाख का एस्टीमेट राज्य सरकार को मंजूरी के लिए भेजा गया था, साथ ही निधि का प्रावधान करने का भी अनुरोध किया गया था। इस प्रस्ताव को 11 जून 2012 को मंजूरी देते हुए सरकार द्वारा पेरी अर्बन योजना के तहत 232.74 करोड़ की लागत से 10 गांवों में जलापूर्ति का लक्ष्य रखा गया जबकि हुडकेश्वर व नरसाला ग्राम नागपुर महानगर पालिका की सीमा में शामिल कर लिया गया। हुडकेश्वर और नरसाला में जलापूर्ति मनपा द्वारा की जाने लगी है। इस योजना को तकनीकी मंजूरी मार्च 2013 में मिली। निधि का प्रावधान होने के बाद इस योजना को अमल में लाने के लिए 10 गांवों में 22 टंकियां बनाने तथा रामा डैम से सभी गांवों तक तकरीबन 65 किलोमीटर लंबी पाइप लाइन बिछाने का काम शुरू किया गया। इसके जरिए रामा डैम से 47.5 एमएलडी पानी लिया जाना था। 10 गांवों के लोगों को नल कनेक्शन के जरिए यह पानी मिलना था लेकिन पाइप लाइन में कई जगह लीकेज होने से लोगों तक अपेक्षित पानी नहीं पहुंच पा रहा है। यही नहीं पिपला बेसा मार्ग पर पाइप लाइन में रिसाव के कारण एक छोटा तालाब तैयार हो गया है जिसमें भैंसें तैरती रहती हैं।

लीकेज का नहीं चल रहा पता

इस जलापूर्ति योजना को पूर्ण करने में एड़ी चोटी का जोर लगाने का दावा करने वाले दिग्गज इंजीनियर भी अब तक यह पता नहीं लगा सके कि पानी कहां से रिस रहा है। लीकेज दुरुस्ती के लिए अनेक बार इस इलाके में जमीन की खुदाई की गई लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। गत वर्ष मुख्यमंत्री देवंेद्र फडणवीस द्वारा इस जलवाहिनी का उद्घाटन किया गया था। इसी दौरान लीकेज ठीक करने के लिए पाइप लाइन का कुछ हिस्सा बदला भी गया था बावजूद इसके लीकेज दुरुस्त नहीं हुआ। अब महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण के अधिकारियों ने भी इस लीकेज से ध्यान हटा लिया है तथा पाइप लाइन से रिसकर बर्बाद हो रहे पीने के पानी को बचाने का किसी भी तरह से प्रयास नहीं हो रहा है।

पेरी अर्बन योजना के तहत नागपुर शहर से लगे 10 गांवों में जलापूर्ति के लिए राज्य सरकार द्वारा 232.74 करोड़ रुपए खर्च किए गए। 22 टंकियां बनाई गईं तथा रामा डैम से 65 किलोमीटर लंबी पाइप लाइन बिछायी गई। लेकिन ग्रामीणों की प्यास अब तक नहीं बुझी है क्योंकि पूरा पानी उन तक पहुंच ही नहीं रहा है। पाइप लाइन में कई लीकेज होने से जगह-जगह पानी का रिसाव हो रहा है। इस रिसाव से हजारों लीटर पीने का पानी बर्बाद हो रहा है। ग्रामीण जहां पानी के लिए दर-दर भटक रहे हैं वहीं रिसाव से जमा पानी में भैंसंे आनंद उठाती हैं। महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण के अभियंता रिसाव को ठीक नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि इन्हें अब तक यही पता नहीं है कि कहां-कहां से रिसाव हो रहा है।
 

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