जब चौराहों और बस्तियों में जाकर दिखाया गया रेन हार्वेस्टिंग का लाइव डेमो

जब चौराहों और बस्तियों में जाकर दिखाया गया रेन हार्वेस्टिंग का लाइव डेमो

Tejinder Singh
Update: 2018-07-15 12:38 GMT
जब चौराहों और बस्तियों में जाकर दिखाया गया रेन हार्वेस्टिंग का लाइव डेमो

डिजिटल डेस्क, नागपुर। पानी के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। यह प्रकृति की देन है। भविष्य में पानी की विकराल समस्या को देखते हुए इसकी एक-एक बूंद का जतन होना चाहिए। इसी सोच को लेकर शहर के 56 वर्षीय प्रभात धाड़ीवाल ने जागरूकता अभियान चलाने का बीड़ा उठाया है। उन्होंने स्वयं के खर्च से एक मोबाइल डेमो वाहन तैयार किया है। इसके माध्यम से वह लोगों को पानी बचाने और बरसात का पानी संग्रहीत करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। पिछले 15 दिनों से रोज वह अपना वाहन लेकर शहर के किसी अलग-अलग चौराहे, उद्यान, स्कूल, कॉलेज व बस्तियों में पहुंच जाते हैं और वहां दो-तीन घंटे लोगों में पानी के प्रति जागरूकता फैलाते हैं।

शौक से कर रहे हैं
पानी के प्रति जागरूकता फैलाने का काम प्रभात शौक से कर रहे हैं। उन्हें इस काम के लिए किसी ने बताया नहीं बल्कि स्वयंप्रेरित होकर उन्होंने यह बीड़ा उठाया है। पिछले कुछ सालों से वे अखबार और अन्य समाचार माध्यमों से जलसंकट की खबरें पढ़ते और सुनते आ रहे थे लेकिन कभी बरसात के पानी को संग्रहित कर उसके उपयोग के बारे पढ़ा-सुना नहीं था। इसलिए उन्हें लगा कि बरसात के पानी को संग्रहीत करना चाहिए। उसके उपयोग के लिए उपाययोजना करनी चाहिए। दो साल पहले उन्होंने इसके विकल्प तलाशना शुरू किया। तब उन्हें रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सबसे आसान तरीका दिखायी दिया। उन्होंने इसके प्रति लाेगों को जागरूक करने का निर्णय लिया। डेढ़ साल से मौखिक रूप से लोगों को जागरूक कर रहे थे।

इस तरह तैयार हुई मोबाइल वैन
इसी साल प्रभात के दिमाग में एक और आइडिया आया कि क्यों न लोगों को रेन वॉटर हार्वेस्टिंग का लाइव डेमाे दिखाया जाए। ताकि लोग इस प्रक्रिया को आसानी से समझ सकें। इसलिए उन्होंने एक छोटा टेंपो खरीदा। इस टेंपों के भीतर दो मंजिला मकान बनाया। इस मकान की छत पर बरसात का पानी गिराते हुए दिखाया गया है। बाद में यह पानी किस तरह नीचे आता है, साफ कैसे होता है, किस तरह कचरा और साफ पानी अलग-अलग होता है, यह दिखता है। सीमेंट छत का मकान या कवेलु के मकान दोनाें में आसान तरीके से रेन वाॅटर हार्वेस्टिंग की जा सकती है। यह वाहन उन्होंने बंगलुरु में तैयार करवाया है। इस वाहन को बनाने के लिए उन्हें 7 लाख रुपए खर्च करने पड़े।

7 लाख रुपए खर्च कर बनवाया विशेष टेम्पो
जहां पानी नहीं है, वहां पानी की बूंद-बूंद की कद्र की जाती है लेकिन जहां पानी है वहां उसकी बर्बादी की कोई सीमा नहीं है। दुनिया के अनेक देश ऐसे हैं जहां पानी नहीं है। भारत के ही अनेक भागों में पानी देखने के लिए आंखें तरस जाती हैं। नागपुर शहर के कुछ इलाके भी ऐसे ही हालातों से जूझ रहे हैं। जिले के अनेक हिस्सों में लोग सालभर जलसंकट से परेशान रहते हैं। गर्मियों के दिनों में हालत और खराब हो जाती है। पानी के लिए मीलों दूर तक जाना पड़ता है। नागरिकों को टैंकर के भरोसे सीमित पानी से गुजारा करना पड़ता है।

बरसात का पानी बचाने लोगों को कर रहे जागरुक
हाल ही में विदर्भ सिंचाई विकास महामंडल ने मनपा को शहर के लिए पानी के नये स्रोत खोजने को कहा है। सभी जानते हैं कि पानी प्रकृति की देन है, इसे किसी फैक्टरी में पैदा नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद इसकी बर्बादी नहीं थम रही है। दिन ब दिन पानी की समस्या और विकराल रूप ले रही है। इसे बचाने के लिए शहर के एक शख्स स्वयं प्रेरित होकर एक योजना पर काम शुरू कर दिया है।

यह व्यक्ति एक मोबाइल वैन के जरिए लोगों को पानी का महत्व और बरसात का पानी कैसे बचाया जाए? इसकी जानकारी दे रहा है। वे चौराहों और बस्तियों में जाकर रेन वॉटर हार्वेस्टिंग का लाइव डेमो दिखाते हैं। इसके लिए उन्होंने छोटे टेम्पो पर डेमो मॉडल तैयार किया है। इस पर 7 लाख रुपए खर्च हुए हैं। इसे देखकर कोई भी व्यक्ति पानी बचाने की प्रक्रिया को आसानी से समझ सकता है। विदर्भ में यह अपने तरह का अनूठा और पहला प्रयोग है।

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