1600 साल पुराने गणपति मठ में विराजे विघ्नहर्ता, 972 साल से निभाई जा रही परंपरा

1600 साल पुराने गणपति मठ में विराजे विघ्नहर्ता, 972 साल से निभाई जा रही परंपरा

Bhaskar Hindi
Update: 2018-09-13 11:32 GMT
1600 साल पुराने गणपति मठ में विराजे विघ्नहर्ता, 972 साल से निभाई जा रही परंपरा

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा/पांढुर्ना। शहर के बीचों बीच शारदा मार्केट में स्थित करीब 1600 साल पुराने श्री वीरशैव लिंगायत मठ संस्थान जो गणपति मठ के नाम से चर्चित है। यहां पुरातन परंपरा का निर्वहन करते हुए आस्था और भक्तिभाव से भगवान गणेश की स्थापना की गई। मठाधिपति श्री वीररूद्रमुनी शिवाचार्य महाराज स्वामी के अनुसार इस मठ में 972 सालों से गणेशोत्सव मनाने की परंपरा कायम है। श्रीगणेश की स्थापना और पूजन के प्रमाण यहां मौजूद है। मध्यप्रदेश राज्य में पांढुर्ना शहर में ही यह एकमात्र गणपति मठ है।

हर साल एक जैसी प्रतिमा
सालों की परंपरा के अनुसार मठ में स्थापित करने के लिए भगवान गणेश की प्रतिमा का आकार, रूप, बनावट सालों से एक जैसा ही है। यहां स्थापित की जाने वाली गणेश प्रतिमा के निर्माण में भी कई सालों से एकरूपता निभाई जा रही है। पिछले कई वर्षों से शहर के मूर्तिकार एन.खोड़े इस प्रतिमा को आकार दे रहे हैं।

श्रद्धालुओं की मान्यता
आज घर - घर में प्रथम पूज्य भगवान गणेश की स्थापना हो रही है। लोगों ने अपने आराध्य का भक्ति भाव से आह्वान कर उन्हें विधिविधान से प्रतिष्ठित किया। सभी घरों में दस दिवसीय आयोजन चलेगा और विविध धार्मिक आयोजन किए जाएंगे। गणपति मठ से क्षेत्रवासियों की आस्था जुड़ी हुई है। गणेशोत्सव के दौरान आराधना करने के लिए श्रद्धालु भक्ति भाव के साथ यहां पहुंचते हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि भगवान गणेश उनकी मनोकामना पूरी करते हैं। गणेशोत्सव में रोजाना हजारों श्रद्धालु यहां गणेशजी के अनुपम रूप का दर्शन करने के लिए आते हैं।

मनाया जाएगा दस दिवसीय उत्सव
इस साल भी गणपति मठ में दस दिवसीय उत्सव मनाया जाएगा। यहां विविध धार्मिक आयोजन के अलावा श्री गणपति अथर्व शीर्षपाठ और शिव महापुराण का आयोजन होगा। 22 सितंबर को महापूजन और महाआरती के साथ महाप्रसाद बंटेगा और उत्सव का समापन होगा। मध्यप्रदेश राज्य में पांढुर्ना शहर में ही यह एकमात्र गणपति मठ है।

 

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