प्यार, धोखा और शादी, जानिए इस कुंवारी मां के साथ क्या-क्या हुआ?

प्यार, धोखा और शादी, जानिए इस कुंवारी मां के साथ क्या-क्या हुआ?

Anita Peddulwar
Update: 2018-05-10 09:16 GMT
प्यार, धोखा और शादी, जानिए इस कुंवारी मां के साथ क्या-क्या हुआ?

डिजिटल डेस्क, नागपुर। प्यार, धोखा और तमाम उठापटक के बीच शादी । वह भी कुंवारी मां की। नन्ही बच्ची का जब  डीएनए टेस्ट हुआ उसके बाद ही उसके पिता ने अपनाया। यह एक ऐसी घटना है जिसमें युवती को शारीरिक ही नहीं मानसिक प्रताड़ना और समाज के ताने तक सहने पड़े। विवाहपूर्व संबंधों में हुई बेटी और मां को अपनाने की हामी भरने से जिलासत्र न्यायालय द्वारा सुनाई गई उम्रकैद की सजा हाईकोर्ट ने रद्द कर दी। न्यायालय के निर्णय से सात साल पहले एक-दूसरे से जुदा हुए प्रेमी युगल ने नई जिंदगी की शुरुआत करने का निर्णय लिया है। 

यह है वाकया 
आरोपी प्रदीप बावने (28) याचिकाकर्ता का ममेरा भाई है। चंद्रपुर जिले की कोरपना तहसील अंतर्गत नांदा फाटा निवासी है। याचिकाकर्ता दिसंबर 2010 में अपने मामा के घर नांदा फाटा गई थी। उस समय उसकी उम्र 16 वर्ष थी। आरोपी के साथ उसके शारीरिक संबंध प्रस्थापित होने से गर्भवती हो गई। यह बात उसने पहले अपने माता-पिता को बताई। मामले का हल निकालने के लिए गांव में पंचायत बैठाई गई। बैठक में दोनों ने विवाह रचाने के लिए रजामंदी दे दी। गांव के विट्ठल मंदिर में विवाह कराना तय हुआ। ऐन वक्त पर आरोपी विवाह रचाने के लिए मंदिर नहीं पहुंचा। आरोपी द्वारा विवाह करने से मुकर जाने पर 19 नवंबर 2011 को गड़चांदूर पुलिस थाने में शिकायत की गई। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भादंवि की धारा 376, 417 के तहत मामला दर्ज कर जिला सत्र न्यायालय चंद्रपुर में आरोप पत्र पेश किया। इस बीच, 5 मई 2012 को याचिकाकर्ता ने बेटी को जन्म दिया। 

डीएनए टेस्ट में सामने आई सचाई 
डीएनए जांच करने पर लड़की आराेपी और याचिकाकर्ता की होने का सिद्ध हो गया। जिला सत्र न्यायालय चंद्रपुर ने आरोपी को 25 अक्टूबर 2017 को धारा 376 के तहत दोषी करार देकर उम्रकैद तथा 50 हजार रुपए जुर्माना व धारा 417 के तहत एक साल कैद तथा 10 हजार जुर्माने की सजा सुनाई। आरोपी ने न्यायालय के फैसले को हाईकोर्ट के नागपुर खंडपीठ में चुनौती दी। सुनवाई दौरान न्यायालय में प्रतिज्ञापत्र दिया, जिसमें बताया कि याचिकाकर्ता मेरी रिश्तेदार है और मेरे घर में रहती थी। उसे और बच्चे को अपनाने की हामी भरने पर न्यायालय ने उम्रकैद रद्द कर दी। आरोपी की ओर से एड. राजेंद्र डागा ने अदालत में पैरवी की।  

सहमति से बने रिलेशनशिप, इसलिए दोषमुक्त 
दोनों के बीच प्रेम संबंध थे। शारीरिक संबंध सहमति से प्रस्थापित होने के चलते आरोपी की उम्रकैद रद्द की गई है। वहीं धारा 417 के तहत दोषी करार दिया गया। आरोपी ने सुनवाई दौरान जेल में काटा कालावधि पर्याप्त बताते हुए, उसे रिहा कर दिया। 

जुर्माने की रकम एफडी  में 
आरोपी को 50 हजार रुपए जुर्माना लगाया गया है। हाईकोर्ट ने जुर्माने की रकम 6 साल के लिए बच्ची के नाम एफडी करने के जिला सत्र न्यायालय को आदेश दिए। एफडी की मुदत समाप्त होने के बाद रकत याचिकाकर्ता को देने के लिए कहा गया। 
 

Similar News