50 करोड़ रुपए देना भूल गई सरकार, कैसे उज्जवल होगा 'शिक्षा का अधिकार'

50 करोड़ रुपए देना भूल गई सरकार, कैसे उज्जवल होगा 'शिक्षा का अधिकार'

Bhaskar Hindi
Update: 2017-09-11 13:02 GMT
50 करोड़ रुपए देना भूल गई सरकार, कैसे उज्जवल होगा 'शिक्षा का अधिकार'

डिजिटल डेस्क, नागपुर। RTE अर्थात शिक्षा का अधिकार कानून क्या वाकई गरीब बच्चों को शिक्षा दिलाने में कामयाब हुआ? यह यक्ष-प्रश्न बन गया है। सरकार ने कानून बनाकर विद्यार्थियों को प्रवेश तो दिला दिए, लेकिन उनका शालेय शुल्क फूटी कौड़ी स्कूलों को अदा नहीं किया। नागपुर जिले की बात करें तो 3 साल में स्कूलों का RTE अनुदान 50 करोड़ रुपए सरकार पर बकाया है। लिहाजा, स्कूलों ने विरोध कर RTE अंतर्गत प्रवेश देने से मना कर दिया था। मान्यता रद्द करने की धमकी मिली तो मजबूरी में तैयार हुए।

प्रवेश निश्चित करने राउंड लिए गए
शैक्षणिक वर्ष 2012 अंतर्गत महाराष्ट्र में RTE प्रवेश प्रक्रिया शुरू की गई। शिक्षा का अधिकार कानून अंतर्गत गैर-अनुदानित अंग्रेजी स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित की गईं। शालेय शिक्षा विभाग द्वारा इन सीटों को भरा गया। विद्यार्थियों के ऑनलाइन आवेदन मंगवाए गए थे। प्राप्त आवेदनों की पड़ताल के बाद विद्यार्थियों के प्रवेश निश्चित करने राउंड लिए गए। स्कूलों में उपलब्ध सीटों के आधार पर विद्यार्थियों को प्रवेश भी दिए गए। शुरुआत में सरकार ने प्रति विद्यार्थी 10 हजार 200 रुपए शिक्षा शुल्क स्कूल को अदा करने का तय किया था। बाद में इसे बढ़ाकर 12 हजार 200 और अब 14 हजार 500 रुपए किया गया। सरकार की यह घोषणा केवल कागजों तक ही सीमित रही। पिछले 3 वर्ष से जिले की किसी भी स्कूल को RTE अनुदान के रूप में फूटी कौड़ी अदा नहीं करने से जिले की स्कूलों को दिया जाने वाला अनुदान 50 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है।

बजट में अनुदान का प्रावधान नहीं
महाराष्ट्र इंग्लिश स्कूल ट्रस्ट एसोसिएशन (MESTA) के अध्यक्ष खेमराज कोंडे ने बताया कि शिक्षा मंत्री, शिक्षा विभाग सचिव से मिलकर RTE अनुदान स्कूलों को अदा करने की मांग की गई। परंतु सरकार से सकारात्मक प्रतिसाद नहीं मिला। अनुदान नहीं मिलने से पिछले वर्ष स्कूलों ने RTE अंतर्गत प्रवेश देने से मना कर दिया था। स्कूलों द्वारा प्रवेश नकारने पर सरकार ने मान्यता रद्द करने की धमकी दी थी। दबाव में आकर चालू शैक्षणिक वर्ष में 621 स्कूलों ने RTE अंतर्गत मजबूरी में 6 हजार 47 विद्यार्थियों को प्रवेश दिए गए। कोंडे ने कहा कि सरकार दबाव डालकर विद्यार्थियों को प्रवेश लेने के लिए मजबूर कर रही है, परंतु RTE अनुदान के लिए सरकार ने बजट में प्रावधान ही नहीं किया है। सरकार की दोहरी नीति के विरोध में सड़क पर उतरकर आंदोलन छेड़ने की उन्होंने चेतावनी दी।

जिला परिषद के प्राथमिक शिक्षणाधिकारी दीपेंद्र लोखंडे ने कहा कि RTE अनुदान 3 साल से स्कूलों को नहीं मिला है। इसके बावजूद इस वर्ष नागपुर जिला RTE प्रवेश प्रक्रिया में राज्य में दूसरे स्थान पर रहा। 7099 में से 6 हजार 47 सीटों पर प्रवेश दिए गए।

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