अ.भा. मराठी साहित्य महामंडल का ऐलान: साहित्य सम्मेलन अध्यक्ष पद के लिए अब नहीं होंगे चुनाव

अ.भा. मराठी साहित्य महामंडल का ऐलान: साहित्य सम्मेलन अध्यक्ष पद के लिए अब नहीं होंगे चुनाव

Anita Peddulwar
Update: 2018-07-02 08:23 GMT
अ.भा. मराठी साहित्य महामंडल का ऐलान: साहित्य सम्मेलन अध्यक्ष पद के लिए अब नहीं होंगे चुनाव

डिजिटल डेस्क,नागपुर। अ.भा. मराठी साहित्य महामंडल के इतिहास में पहली बार अध्यक्ष पद के लिए चुनाव नहीं होगा। अध्यक्ष का चयन होगा। इसके लिए महामंडल के संविधान में संशोधन को विशेष बैठक में मंजूरी प्रदान की है। अ.भा. मराठी साहित्य महामंडल के अध्यक्ष डॉ. श्रीपाद जोशी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि यह प्रक्रिया 93वें अ.भा. मराठी साहित्य सम्मेलन से अपनाए जाने की संभावना है। 

यह है पूरा मामला
विदर्भ साहित्य संघ के पास महामंडल का यजमान पद आने के बाद 17 जुलाई 2017 को संविधान संशोधन समिति का गठन किया गया था। इसके बाद समिति द्वारा तीन विशेष बैठक ली गई। सम्मेलन के अध्यक्ष पद के चुनाव की बजाए चयन हो, इसके लिए मौजूदा महामंडल अध्यक्ष पहले से आग्रही थे। इस कारण विशेष बैठक में चुनाव की बजाए चयन करने के लिए महामंडल के सभी घटक संस्थाओं की सहमति बनाई की गई। इसके बाद महाराष्ट्र साहित्य परिषद, पुणे की ओर से कुछ महीने पहले इस संबंध में प्रस्ताव पारित किया गया। 

तत्पश्चात संविधान संशोधन समिति के प्रयासों को बल मिला। विदर्भ साहित्य संघ की इस प्रस्ताव पर विशेष बैठक हुई और उसमें इस संविधान संशोधन को मंजूरी प्रदान की गई। डॉ. श्रीपाद जोशी ने कहा कि अब इस संशोधन का प्रस्ताव महामंडल से संबंधित सभी घटक संस्थाओं को मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। अंतिम निर्णय उनसे प्राप्त हुए प्रस्ताव अनुसार लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सामान्यत: सभी घटक संस्था इस प्रस्ताव के लिए अनुकूल हैं। 93वें अ.भा. मराठी साहित्य सम्मलेन की प्रक्रिया से यह संशोधन अमल में लाया जाएगा।

संशोधन अनुसार, प्रत्येक घटक संस्था अध्यक्ष पद के लिए योग्य तीन व्यक्तियों के नाम महामंडल को भेजेंगे। इसी तरह समाविष्ट, संलग्न और सहयोगी संस्था से प्रत्येक एक-एक नाम और उस समय के सम्मेलन अध्यक्ष ने एक नाम व सम्मेलन विषयक निमंत्रक संस्था को एक नाम सूचित करना है। इस तरीके से प्राप्त नामों में से महामंडल एक व्यक्ति की सम्मेलन अध्यक्ष के रूप में चयन करेगा। इस अवसर पर महामंडल के कोषाध्यक्ष डॉ. विलास देशपांडे, कार्यवाह डॉ. इंद्रजीत ओरके उपस्थित थे। 

अब चुनाव की जरूरत नहीं 
डॉ. जोशी ने कहा पहले हम भी चुनाव के लिए उत्साहित थे। चुनाव के माध्यम से अनेक मान्यवर अध्यक्ष पद पर चुने नहीं जाने से यह संविधान संशोधन अत्यंत महत्वपूर्ण है। अब चुनाव की जरूरत नहीं है। इस प्रक्रिया के कारण महामंडल का खर्च बढ़ता है। नई प्रक्रिया से संपर्क का समय बचेगा और लंबी यात्रा टलेगी।
 

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