आम जनता के लिए लोकल ट्रेन शुरु होने का इंतजार कर रहे डिब्बे वाले, काली दीपावली मनाने की नौबत 

आम जनता के लिए लोकल ट्रेन शुरु होने का इंतजार कर रहे डिब्बे वाले, काली दीपावली मनाने की नौबत 

Tejinder Singh
Update: 2020-11-03 14:24 GMT
आम जनता के लिए लोकल ट्रेन शुरु होने का इंतजार कर रहे डिब्बे वाले, काली दीपावली मनाने की नौबत 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। महानगर के उपनगरीय लोकल ट्रेनों में सफर की अनुमति मिलने के लगभग एक महीने बाद भी डिब्बे वालों की सेवाएं शुरू नहीं हो सकी हैं। लोकल ट्रेनों में अब तक सामान्य लोगों को यात्रा की मंजूरी नहीं मिलने के कारण डिब्बे वाल अपनी सेवाएं शुरू नहीं कर पाए हैं। मंगलवार को मुंबई डिब्बेवाला एसोसिएशन के अध्यक्ष के सुभाष तलेकर ने "दैनिक भास्कर’ से बातचीत में कहा कि मुंबई के डिब्बे वालों के अधिकांश ग्राहक नौकरीपेशा लोग हैं जो कि लोकल ट्रेनों में सफर करते हैं। लेकिन अभी तक लोकल ट्रेनों में सामान्य लोगों को यात्रा की अनुमति नहीं मिली है।लोग नौकरी पर जाएंगे तभी दोपहर के भोजन के लिए टिफिन मांगना शुरू करेंगे। सेवाएं शुरू नहीं होने के कारण लोकल ट्रेनों में डिब्बे वाले भी सफर नहीं करते। तलेकर ने कहा किडिब्बे वाले पहले की तरह केवल दक्षिण मुंबई में साइकिल से सेवाएं दे पा रहे हैं।

फिलहाल वरली से लेकर कुलाबा तक कुछ ग्राहकों को टिफिन सेवा दी जा रही है। तलेकर ने कहा कि लोकल ट्रेनों में सभी नागरिकों को यात्री की अनुमति देने संबंधी राज्य सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव को रेलवे मंत्रालय को जल्द मंजूर करना चाहिए। इसके बाद ही डिब्बे वालों की सेवाएं शुरू हो सकेंगी। तलेकर ने कहा कि यदि रेलवे मंत्रालय सामान्य लोगों को यात्रा की अनुमति देता है तो भी हम लोगों से आह्वान करेंगे कि  कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ है, इस लिए सावधानी बरते। लोकल ट्रेनों में सफर के दौरान मुंह पर मास्क और हाथों में दस्ताने अनिवार्य रूप से सभी को पहनना चाहिए। तलेकर ने कहा कि डिब्बे वालेमुंबई के कॉन्वेंट स्कूलों में बच्चों को सुबह में टिफिन पहुंचाते थे। लेकिन तब तक स्कूल शुरू नहीं होते हैं तब तक कॉन्वेंट स्कूलों की सेवाएं भी बंद रहेंगी। इससे पहले राज्य सरकार की मंजूरी के बाद रेलवे ने मुंबई के डिब्बे वालों को बीते 5 अक्टूबर से लोकल ट्रेनों में यात्रा करने की अनुमति दी थी।

काली दीपावली मनाने की नौबत 

तलेकर ने कहा कि कोरोनाकाल में लगभग आठ महीनों से डिब्बे वाले आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं ऐसे में अबकी बार डिब्बे वालों के सामने काली दीपावली मनाने की नौबत आ पड़ी है क्योंकि डिब्बे वालों के जेब में पैसे ही नहीं है। तलेकर ने कहा कि पेट भरने के लिए अब कई डिब्बे वालों ने रिक्शा चलाने, घर-घर दूध और अखबार पहुंचाने का काम शुरू कर दिया है। 

 

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