शहर को हरा-भरा रखने उद्यानों का निजीकरण करने की तैयारी में मनपा

शहर को हरा-भरा रखने उद्यानों का निजीकरण करने की तैयारी में मनपा

Anita Peddulwar
Update: 2019-12-02 06:25 GMT
शहर को हरा-भरा रखने उद्यानों का निजीकरण करने की तैयारी में मनपा

डिजिटल डेस्क,  ‌नागपुर। शहर को हरा-भरा रखने के लिए मनपा उद्यानों को पालकत्व पर देने का विचार कर रही है। वर्तमान में मनपा के 125 उद्यान हैं और एनआईटी के 67 उद्यान मनपा को हस्तांतरित होने वाले हैं। इस तरह कुल 192 उद्यान मनपा के होंगे, लेकिन मनपा इन उद्यानों के रख-रखाव पर खर्च करने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में इन उद्यानों को जीवित रखने के लिए निजीकरण की ओर कदम बढ़ाया जा रहा है। महापाैर संदीप जोशी ने मनपा मुख्यालय की हरियाली पर आयोजित ‘ब्रेक फास्ट विथ मेयर’ कार्यक्रम में विविध सुझावों के जवाब में शहर के उद्यानों का निजीकरण करने के संकेत दिए। 

मनपा आर्थिक रूप से सक्षम नहीं
शहर के विकास में आम नागरिकों की सहभागिता बढ़ाने विविध स्वयंसेवी संगठनों को महापौर ने नाश्ते पर आमंत्रित किया गया। 300 से अधिक संगठनों के प्रतिनिधि कार्यक्रम में सहभागी हुए। उपस्थितों ने विकास की दृष्टि से अनेक सुझाव दिए। इन सुझावों पर सकारात्मक निर्णय लेकर अमल करने का महापौर ने आश्वासन दिया। उद्यानों की बदतर हालात को सुधारने का सुझाव दिया गया। इस पर महापौर ने कहा कि उद्यान बेहतर होने चाहिए, लेकिन इस पर खर्च करने मनपा आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है। उद्यानों को बेहतर बनाने के लिए इच्छुकों को पालकत्व देकर हालात सुधारे जा सकते हैं। इस दिशा में विचार किया जाएगा।

शुल्क पर रखेंगे ध्यान 
उद्यान में प्रवेश के लिए नागरिकों को शुल्क देने की आवश्यता न पड़े, इसका ध्यान रखा जाएगा। महापौर का यह जवाब शहर के उद्यानों का निजीकरण करने की दिशा में एक संकेत के रूप में देखा जा रहा है। शहर की अन्य समस्याओं पर भी चर्चा हुई, जिसमें खासतौर पर सार्वजनिक शौचालयों की असुविधा, फुटपाथ की दुर्दशा और अतिक्रमण, पानी की समस्या, पार्किंग, फेरीवालों के लिए अधिकृत जगह, पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से उपाय योजना आदि विषयों का समावेश रहा। इस अवसर पर उपमहापौर मनीषा कोठे, आयुक्त अभिजीत बांगर, सत्तापक्ष उपनेता बाल्या बोरकर, वर्षा ठाकरे, नगरसेवक दयाशंकर तिवारी, सुनील अग्रवाल, प्रतोद दीव्या धुरडे, स्वास्थ्य समिति सभापति वीरेंद्र कुकरेजा, नगरसेवक निशांत गांधी, चेतना टांक, भारती बुंदे, अतिरिक्त आयुक्त राम जोशी, यातायात पुलिस विभाग के जयेश भांडारकर आदि उपस्थित थे।

पेट्रोल पंप के शौचालय सार्वजनिक हों 
महापौर ने कहा कि शहर में सार्वजनिक शौचालयों की गंभीर समस्या है। महापौर निधि का पूरा उपयोग सार्वजनिक शौचालय निर्माण के लिए किया जाएगा। महापौर निधि नगरसेवकों को उनके क्षेत्र में विकास के लिए देने की परंपरा रही है। महापौर ने इस परंपरा को ब्रेक लगाकर सिर्फ सार्वजनिक शौचालयों के निर्माणकार्य पर खर्च करने का निर्णय लेने की जानकारी दी। इसी के साथ शहर में पेट्रोल पंप के शौचालय सार्वजनिक उपयोग के लिए खोलने का अनुरोध किया गया। पेट्रोल पंप संचालकों की सहमति मिलने पर बने-बनाए 100 शौचालय नागरिकों की सेवा में उपलब्ध हो सकेंगे। महापौर ने कहा कि  6 दिसंबर को इस विषय पर चर्चा के लिए पेट्रोल पंप संचालकाें की बैठक बुलाई जाएगी। 

सुझाव भी दिए गए :
- घरों के सामने पार्किंग पर पाबंदी।
- घर के सामने 10 वर्ग फीट जगह की स्वच्छता का पालकत्व लें।
- खुले में फेंके जा रहे गोबर से जैविक खाद निर्माम पर विचार करें।
- छात्राओं को लैंगिक शोषण से बचाने विजिलेंस कमेटी की पहल करें।
- दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए स्वतंत्र उद्यान और इंटरनेट कैफे हों।
- क्रीड़ा स्पर्धा के लिए मैदान की बुकिंग राजनीतिक कारणों से रद्द न करें।
- जिस चौराहे पर ट्रैफिक सिग्नल है, वहां जेब्रा क्रांसिंग, स्टॉप लाइन स्पष्ट हो।
- मेट्रो कोरिडोर से पार्किंग हटाई जाए, ताकि सार्वजनिक यातायात को बढ़ावा मिले।
- शहर के प्राकृतिक जलस्रोतों का संरक्षण कर पानी का उपयोग करें।
- हॉकर्स के लिए जगह की वैकल्पिक व्यवस्था करें, ताकि उन्हें भटकना न पड़े।
- बंद स्कूलों का वाचनालय में रूपांतरण, पुराने वाचनालयों में अत्याधुनिक सुविधा।
- तृतीय पंथियों के लिए स्वतंत्र सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण करें।

मनपा खोलेगी सीबीएसई स्कूल
शिक्षा क्षेत्र में बदलाव की दृष्टि से एक सीबीएसई स्कूल खोलने की मनपा आयुक्त अभिजीत बांगर ने हामी भरी। उन्होंने कहा कि शैक्षणिक गुणवत्ता में पिछड़ने के चलते पालक अपने बच्चों को मनपा स्कूल में पढ़ाना नहीं चाहते। इस सूरत को बदलने के लिए मनपा ने शैक्षणिक क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए सकारात्मक कदम उठाए हैं। स्कूल में केवल संसाधनों की पूर्तता करने से यह संभव नहीं है। शिक्षा की पद्धति में बदलाव और शिक्षकों को प्रशिक्षण की आवश्यकता है। आकांक्षा फाउंडेशन के सहयोग से इस दिशा में कदम आगे बढ़ाए गए हैं। 
 

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