प्रमाण पत्र की तरह है अखबार में छपी खबर: एन रघुरामन

प्रमाण पत्र की तरह है अखबार में छपी खबर: एन रघुरामन

Bhaskar Hindi
Update: 2017-06-30 07:28 GMT
प्रमाण पत्र की तरह है अखबार में छपी खबर: एन रघुरामन

दैनिक भास्कर न्यूज़ डेस्क, नागपुर। भारतीय जीवन शैली में कदम जमा चुके सोशल मीडिया को इन दिनों अखबारों या समाचार संस्थाओं के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। सोशल मीडिया की पत्रकारिता अवांछित समाचारों को भी बढ़ावा देती है। मैनेजमेंट गुरु एन.रघुरामन मानते हैं कि ट्रेंड कितना भी बदल जाए, कोई भी सोशल मीडिया या न्यूज पोर्टल किसी समाचार पत्र की जगह नहीं ले सकता। गुरुवार को दैनिक भास्कर के कार्यालय में सहयोगियों से चर्चा में उन्होंने अपने विचार रखे। उनका मानना है कि अखबार में छपी खबर एक तरह से प्रमाण-पत्र की तरह है। इसकी एक विश्वसनीयता है और समाचार संस्थान इसकी जिम्मेदारी भी लेता है। इसके उलट सोशल मीडिया की खबरों की विश्वसनीयता का जिम्मेदार कौन है, यह कोई तय नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि जमाना चाहे कितना भी आगे क्यों न बढ़े, पत्रकारिता आंकड़ों और तथ्यों पर आधारित होनी चाहिए। यही इसका एकमात्र मंत्र है।

सबको नया जानना है, चाहे कोई बताए
हर व्यक्ति खुद को समाज में हो रही घटनाओं से अपडेट रखना चाहता है। वह आसपास जो चल रहा है, उसकी जानकारी चाहता है। खबरों की जरूरत चाहे अखबार पूरी करे, या कोई और। पेट भर खाने के बाद कुछ मीठा हो जाए, तो बात ही और होती है। उसी प्रकार खबरें पाठकों की जिज्ञासा तो शांत करती हैं पर 'वांछित' खबर उसे तृप्त कर जाती है। लिहाजा, जरूरी है कि निरंतर नई और ज्ञानवर्धक सामग्री पाठकों के सामने रखी जाए।

खुद को अपडेट नहीं किया तो पिछड़ जाएंगे
रघुरामन ने लाइफ टिप्स देते हुए कहा कि जमाने के साथ हमें खुद को अपडेट करना चाहिए। ज्ञान प्राप्त करना एक धीमी प्रक्रिया है। अगर आप नया ज्ञान प्राप्त नहीं करेंगे, तो किसी भी बदलाव का विरोध करने लगेंगे। कोई आपको एक विषय के िकतने भी पहलू क्यों ना बताए, आप खुद उस विषय को कैसे देखते हैं, इससे आपका ओपिनियन बनाइए। अगर इन सारी चीजों को आप ग्रहण नहीं करेंगे तो निश्चित ही अगली पीढ़ी से खुद को जुदा कर लेंगे।

रघुरामन ने लाइफ टिप्स देते हुए कहा कि जमाने के साथ हमें खुद को अपडेट करना चाहिए। ज्ञान प्राप्त करना एक धीमी प्रक्रिया है। अगर आप नया ज्ञान प्राप्त नहीं करेंगे, तो किसी भी बदलाव का विरोध करने लगेंगे। कोई आपको एक विषय के िकतने भी पहलू क्यों ना बताए, आप खुद उस विषय को कैसे देखते हैं, इससे आपका ओपिनियन बनाइए। अगर इन सारी चीजों को आप ग्रहण नहीं करेंगे तो निश्चित ही अगली पीढ़ी से खुद को जुदा कर लेंगे।

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