घायल बाघों का रेस्क्यू ऑपरेशन करने लगाई गुहार

घायल बाघों का रेस्क्यू ऑपरेशन करने लगाई गुहार

Anita Peddulwar
Update: 2019-04-12 08:19 GMT
घायल बाघों का रेस्क्यू ऑपरेशन करने लगाई गुहार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। ताड़ोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व की घायल शिवनझरी बाघिन, नवेगांव नागझिरा के घायल नर बाघ टी-8 के रेस्क्यू अभियान के लिए वन्यजीव प्रेमी केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तक गुहार लगा रहे हैं। विदर्भ के ताडोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व की घायन शिवनझरी बाघिन और नवेगांव नागझिरा के घायल नर बाघ टी-8 के उपचार के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू करने के लिए एडीजी (वाइल्डलाइफ) व वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन के डायरेक्टर एम.एस. नेगी को पत्र भेजा जा चुका है। नेगी ने इस मामले में तत्काल एक कमेटी गठित करने का निर्देश भी दिया है। उल्लेखनीय है कि, ताड़ोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व की शिवनझरी बाघिन का एक अप्रैल, जबकि नवेगांव नागझिरा का नर बाघ टी-8 को मार्च माह के पहले सप्ताह में पर्यटकों ने घायल देखने के बाद इसकी सूचना वन विभाग के स्थानीय अधिकारियों को दी थी।  

गायब है घायल बाघिन
ताड़ोबा-अंधारी की घायल शिवनझरी बाघिन गायब है। वन विभाग की ओर से लगाए गए कैमरे और न ही उसके पैरों के निशान मिल रहे हैं। नौ दिन पहले उसे रिजर्व के कोलसा रेंज में देखा गया था। घायल शिवनझरी बाघिन को पहली बार एक अप्रैल को पर्यटकों ने वॉटर होल के पास देखा था। ताडोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व की ओर उसकी निगरानी के लिए छह सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी गायब बाघिन की तलाश में जुटी हुई है। वन विभाग ने बाघिन झड़प के दौरान घायल होने की संभावना जताई है। इसके पहले नवेगांव नागझिरा का नर बाघ टी-8 भी घायल देखा जा चुका है। वन विभाग उस मामले में भी अब तक कोई निर्णय लेने के बजाय वेट एंड वॉच नीति अपना रखी है। 

घाव की जांच जरूरी
केंद्रीय  पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधिकारी को लिखे पत्र में वनप्रेमियों की दलील है कि, घाव की जांच जरूरी है। जांच के बाद ही यह तय किया जा सकता है कि, वे अपने आप ठीक हो सकते हैं या उपचार की जरूरत है। इसके साथ कई अन्य मुद्दे भी उठाए गए हैं, जिनमें घाव का कारण आपसी लड़ाई होती तो उनके पंजों में भी चोट जरूर लगती है। फोटो में नजर आ रही सूजन से साफ है कि, घाव में संक्रमण हो चुका है। टी-8 को नाक के ऊपर चोट आई है, इससे उसे शिकार करने और खाने में भी परेशानी हो रही होगी। 

 बनाई जा रही सोच-समझकर नीति 
पिछले दिनों पाढ़रकवड़ा से 180 किमी पर स्थित टिपेश्वर वन्यजीव अभयारण्य में उपचार के लिए बाघिन टी 4 को बेहोश करने के बाद उसकी मौत हो गई थी। उसके बाद वन विभाग घायल बाघों के मामले में सोच समझकर फैसला करने की नीति अपना रहा है। वन विभाग की दलील है कि, आम तौर पर घायल पशु प्राकृतिक रूप से ठीक हो जाते हैं। 
 

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