सरकारी वकीलों की कार्यप्रणाली में लाएंगे सुधार, हाईकोर्ट को सरकार ने दिया आश्वासन  

सरकारी वकीलों की कार्यप्रणाली में लाएंगे सुधार, हाईकोर्ट को सरकार ने दिया आश्वासन  

Anita Peddulwar
Update: 2018-07-05 06:32 GMT
सरकारी वकीलों की कार्यप्रणाली में लाएंगे सुधार, हाईकोर्ट को सरकार ने दिया आश्वासन  

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सरकारी वकीलों की कार्यप्रणाली में सुधार लाने का आश्वासन सरकार ने हाईकोर्ट को दिया है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने कोर्ट में सरकार की पैरवी करने वाले वकीलों की लचर कार्यप्रणाली पर बीते दिनों आपत्ति जताई थी। कोर्ट में बहस के दौरान सरकारी वकीलों का पूरी तैयारी के साथ न पहुंचना, कोर्ट के सवालाें और शंकाओं का निवारण करने में असमर्थ होना और भी ऐसे अन्य मुद्दों पर जस्टिस रोहित देव की बेंच ने न केवल सरकारी वकीलों और राज्य विधि व न्याय विभाग को जमकर फटकार लगाई, बल्कि बीते 6 महीने में जारी विविध आदेशों में सरकारी वकीलों के चयन, संख्या निर्धारण, कार्यक्षमता का परीक्षण और अन्य पहलुओं पर सरकार के सामने सवालों की झड़ी लगा दी थी । राज्य विधि व न्याय विभाग सचिव  निजामोद्दीन जमादार ने ऐसे विविध मुद्दों पर सकारात्मक जवाब न्यायालय में दायर अपने शपथपत्र में प्रस्तुत किए। जिसके बाद 6 महीने से नाराज हाईकोर्ट संतुष्ट हुआ है। 

ऐसे सुधारेंगे सरकारी वकीलों की कार्यप्रणाली 
हाईकोर्ट ने सरकार से प्रश्न किया था कि क्या सरकार अपने वकीलों का समय समय पर मूल्यांकन करती है? अगर करती है तो वकीलों के प्रदर्शन को सुधारने के लिए क्या उपाय किए जाते हैं? साथ ही कोर्ट ने 8-8 महीने सरकारी वकीलों के वेतन रोकने पर भी आपत्ति जताई थी। इस पर सचिव ने शपथपत्र में कोर्ट को आश्वस्त किया है कि विभाग सरकारी वकीलों की कार्यप्रणाली में सुधार लाने के लिए समय-समय पर वर्कशॉप और सेमिनार आयोजित करेगी। उन्होंने यह भी आश्वासन कोर्ट में दिया है कि सरकार अपने वकीलों का वेतन समयबद्ध तरीके और पूरी प्राथमिकता के साथ अदा करेगी। 

हाईकोर्ट ने बीती सुनवाई में हाईकोर्ट ने अपने निरीक्षण में पाया था कि आैरंगाबाद बेंच में ज्यादा मुकदमे होने के बावजूद सिर्फ 47 सरकारी वकील हैं, जबकि नागपुर बेंच में मुकदमों की संख्या कम होने के बावजूद 57 सरकारी वकील कार्यरत हैं। हाईकोर्ट ने दोनों खंडपीठों में सरकारी वकीलों की नियुक्ति किन मापमंडों के तहत होती है, इसकी जानकारी सरकार से मांगी थी। इस पर सचिव जमादार ने कोर्ट को बताया है कि सरकार को अपने मुकदमे लड़ने के लिए एक बेंच में आखिर कितने वकीलों की जरूरत है, एक माह के भीतर नीति निर्धारित की जाएगी। तब तक सरकार एक भी नए सरकारी वकील की नियुक्ति या पुनर्नियुक्ति नहीं करेगी। 

न्यायालयीन मित्र मनोहर के सुझाव हुए मान्य इस पूरे प्रकरण में हाईकोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता सुनील मनोहर को बतौर न्यायालय मित्र नियुक्त कर उनकी सलाह मांगी थी। उन्होंने सरकारी वकीलों की कार्यप्रणाली में सुधार के लिए कुछ मापदंड सुझाए। जिसमें सरकारी वकीलों की समयबद्धता, केस के प्रति समर्पण, जिरह की तैयारी, सामान्य अनुशासन और कोर्ट शिष्टाचार शामिल है। सुनवाई में उपस्थित मुख्य सरकारी वकील सुमंत देवपुजारी ने सरकारी की ओर से इस सुझाव को मान्य कर लिया। कोर्ट ने भी इस पर संतुष्टि जाहिर की। कोर्ट ने सरकार को आदेश दिए हैं कि वे सरकारी वकीलों के लिए जरूरी सुविधाएं, मददनीस प्राथमिकता के साथ उपलब्ध कराएं। कोर्ट ने अपने आदेश में सरकार के उत्तर से संतुष्टि जाहिर की है। 
 

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