अकेले पड़े कांग्रेस उम्मीदवार, सहयोगी दलों के सदस्यों का भरोसा जीतने की कवायद

नागपुर अकेले पड़े कांग्रेस उम्मीदवार, सहयोगी दलों के सदस्यों का भरोसा जीतने की कवायद

Tejinder Singh
Update: 2021-12-05 12:02 GMT
अकेले पड़े कांग्रेस उम्मीदवार, सहयोगी दलों के सदस्यों का भरोसा जीतने की कवायद

डिजिटल डेस्क, नागपुर। विधान परिषद की नागपुर स्थानीय निकाय संस्था सीट के लिए चुनाव रोचक स्थिति में पहुंच गया है। 10 दिसंबर को मतदान होगा। इस लिहाज से चुनाव के लिए 5 दिन ही शेष हैं, लेकिन चुनावी हलचल साफ नहीं हो पा रही है। भाजपा ने अपने पाले के सदस्यों का मत सुरक्षित रखने के लिए मतदाताओं को पर्यटन पर भेजा है। भाजपा के कुछ नेता विविध रणनीतियों पर काम भी कर रहे हैं। भाजपा उम्मीदवार चंद्रशेखर बावनकुले ने कांग्रेस सहित अन्य दलों के सदस्यों से भी संपर्क जारी रखा है, लेकिन कांग्रेस की चुप्पी कायम है। उम्मीदवार के तौर पर रवींद्र उर्फ छोटू भोयर का नामांकन दर्ज कराने के बाद कांग्रेस के लगभग सभी प्रमुख नेता चुप्पी साधे हुए हैं। ऐसे में कांग्रेस उम्मीदवार अकेले पड़ते दिख रहे हैं। 

अहम सवाल, उम्मीदवार किसका

कांग्रेस सहित महाविकास आघाड़ी के नेताओं में अहम सवाल है कि कांग्रेस उम्मीदवार तय करने में किसकी प्रमुख भूमिका रही है। कांग्रेस उम्मीदवार ने नामांकन के एक दिन पहले कांग्रेस में प्रवेश लेते समय पशु संवर्धन मंत्री सुनील केदार के प्रति कृतज्ञता जताई थी। पालकमंत्री नितीन राऊत ने भी केदार के नेतृत्व की सराहना की थी। लिहाजा समझा जा रहा था कि कांग्रेस उम्मीदवार केदार की पसंद का होगा, लेकिन उम्मीदवार के नामांकन के बाद कांग्रेस नेताओं की पहली बैठक के बाद से ही स्थिति अस्पष्ट हो गई। बताया जाता है कि सक्करदरा में कांग्रेस नेताओं की बैठक में उम्मीदवार को लेकर मतभेद सामने आया। राजेंद्र मुलक, प्रफुल गुडधे जैसे टिकट दावेदारों को दरकिनार किए जाने को लेकर उभरा असंतोष टिकट तय होने के बाद भी कायम रहा। अब सवाल किया जा रहा है कि कांग्रेस उम्मीदवार कांंग्रेस के किस नेता का है। 

गुप्त प्रचार में घेरने की तैयारी  कांग्रेस उम्मीदवार को लेकर गुप्त प्रचार में कई बातें सुनने को मिलती हैं। कुल 556 में से 314 मतदाता यानी निकाय संस्था सदस्य भाजपा के हैं। कांग्रेस के 144, राकांपा 25 व शिवसेना के 12 सदस्य हैं। कांग्रेस उम्मीदवार भोयर 35 साल तक भाजपा के सक्रिय सदस्य रहने के अलावा आरएसएस के स्वयंसेवक हैं। महाविकास अाघाड़ी के सदस्यों से कहा जा रहा है िक वे संघ के कार्यकर्ताओं को जिताएंगे, तो उनकी पार्टी की क्या इज्जत रह जाएगी। 12 से अधिक सदस्य मुस्लिम समुदाय के हैं। उन्हें भोयर के वे वीडियो फुटेज सुनाए जा रहे हैं, जो संघ स्वयंसेवक के तौर पर उन्होंने तीखे हिंदूवादी कार्यकर्ता के तौर पर बोले हैं। जिला ही नहीं राज्य में राकांपा में प्रफुल पटेल का दबदबा है। 

पटोले और कांग्रेस को सबक सिखाएगी राकांपा

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले के साथ उनकी गोंदिया-भंडारा जिले की राजनीतिक स्पर्धा कई रूपों में सामने आती है। कुछ दिन पहले पटोले ने राकांपा को लेकर कहा था कि विदर्भ में उसकी एकमात्र दुकान भी बंद हो जाएगी। लिहाजा राकांपा इस चुनाव में पटोले व कांग्रेस को सबक सिखाने की तैयारी कर रही है। उधर शिवसेना व राकांपा के बीच छिपा सबसे मजबूत गठबंधन भी कांग्रेस उम्मीदवार के विरुद्ध काम करेगा। कांग्रेस में टिकट पाने से चूके मुलक व गुड़धे के अलावा उनकी समर्थक टीम भी कांग्रेस उम्मीदवार से किनारा करने लगी है। हालांकि इन मामलों पर कांग्रेस उम्मीदवार भोयर ने कहा है कि उन्हें किसी तरह की चुनौती नहीं लगती है। भाजपा को उनके मतदाताओं में फूट का संदेह इतना है कि उन्हें मतदाताओं को छिपाना पड़ रहा है। यही नहीं 60 से अधिक भाजपा सदस्य नागपुर में ही घूम रहे हैं। सोमवार से कांग्रेस की असली रणनीति दिखने लगेगी। 
 

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