नागपुर मनपा : सिर्फ गड्ढे भरने में हर साल खर्च 6 करोड़, दुकानों सेे नहीं वसूल पाए 7 करोड़ किराया

नागपुर मनपा : सिर्फ गड्ढे भरने में हर साल खर्च 6 करोड़, दुकानों सेे नहीं वसूल पाए 7 करोड़ किराया

Tejinder Singh
Update: 2019-08-18 12:37 GMT
नागपुर मनपा : सिर्फ गड्ढे भरने में हर साल खर्च 6 करोड़, दुकानों सेे नहीं वसूल पाए 7 करोड़ किराया

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सड़कों पर गड्ढों को भरने के लिए मनपा हर साल करीब 6 करोड़ रुपए खर्च कर रही है, फिर भी सड़कों की हालत सुधरने का नाम नहीं ले रही है। साल भर में करीब 10 हजार गड्ढे भरे जाते हैं। बारिश में सड़कों पर इनकी संख्या और भी बढ़ जाती है। पैचवर्क के नाम पर साल में एक ही गड्ढे को कई बार भरा जाता है। हैरान करने वाली बात यह है कि गड्ढे भरने के बाद यदि वहां अगले दिन फिर से गड्ढा हो जाता है, तो उसकी जिम्मेदारी तय नहीं की गई है। उस काम की गुणवत्ता पर सवालिया निशान उठाने से पहले ही अधिकारी सड़क को दोषी करार दे देते हैं। यही वजह है कि 6 करोड़ खर्च करने के बाद भी सड़कें को गड्ढों से मुक्त नहीं मिल पा रही है। मजे की बात यह है कि मनपा द्वारा हर साल करीब 10 हजार गड्ढों को भरा जाता है। इस दावे के बावजूद सड़कों की हालत दयनीय बनी हुई है।  

वर्ष     गड्ढे भरे    खर्च     एरिया 

2016-17    10276     6.16 करोड़    2,44,302 वर्ग मीटर
2017-18    9466    4.61 करोड़     2,3,221 वर्ग मीटर
2018-19     11051     6.78 करोड़    2,69,758 वर्ग मीटर

मटेरियल पर सवालिया निशान

बार-बार गड्ढे होने से पैचवर्क में उपयोग किए जाने वाले मटेरियल पर सवालिया निशान खड़ा हो रहा है, लेकिन अधिकारी उसके विपरीत पानी और सड़क के आधार को दोषी बता रहे हैं, लेकिन सवाल उठाए जाने पर सीधे पल्ला झाड़ने लगते हैं।

इसलिए बनते हैं गड्ढे 

आर.जी.खोत, उप अभियंता के मुताबिक गड्ढे होने का कारण पानी और सड़क का आधार (बेस) है। हम जिस गड्ढे को भरते हैं, यदि वहां कहीं से पानी आ रहा है, तो फिर से गड्ढा हो जाता है। दूसरा सड़क का बेस भी बड़ा कारण बनता है। यदि वह ठीक नहीं है, तो फिर से गड्ढा बन जाता है। बारिश थमने के साथ ही सड़कों पर धूल के गुबार उड़ने लगे हैं। इससे वाहन चालकों को भारी परेशानी हो रही  है। शहर की लगभग सभी डामर सड़कों पर ऐसा ही हाल बना हुआ है। आंखों में धूल पड़ने  के कारण सड़कों पर बने गड्ढे दिखाई नहीं देते और दुर्घटना की आशंका बढ़ जाती है। बारिश के बाद जगह-जगह जमा पानी के चलते अनेक सड़कों पर गड्ढों की भरमार हो गई है। कुछ दिन बाद पानी के सूखते ही सड़कें उखड़ने लगीं। शहर के तुकड़ोजी पुतला से बेसा मार्ग, मेडिकल चौक से क्रीड़ा चौक मार्ग, बैद्यनाथ चौक से मेडिकल चौक मार्ग, मानस चौक से बैद्यनाथ चौक की ओर आनेवाली सड़कों का बुरा हाल है। ये सड़कें जानलेवा बन गई हैं।

निर्माणकार्य भी जिम्मेदार

शहर में लंबे समय से सड़कों का सीमेंटीकरण किया जा रहा है। निर्माणाधीन सड़कों पर वन-वे करने के कारण भी लोगों को परेशान होना पड़ रहा है। धूल और गड्ढों के कारण आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं, जिससे वाहनधारकों को परेशान होना पड़ता है। रात में उड़ती धूल कोहरे की तरह दिखती है, जिससे वाहनधारक को दूर तक साफ-साफ देखना मुश्किल हो जाता है। मानेवाड़ा रिंग रोड पर ऐसे हालत देखे जा सकते हैं।  

मनपा अपने ही दुकानों सेे नहीं वसूल पाई 7 करोड़ किराया

उधर टैक्स वसूली के लिए संपत्तिधारकाें के साथ सख्ती से पेश आ रहा मनपा प्रशासन अपने ही दुकानों का किराया वसूल करने में कमजोर पड़ रहा है। वर्ष 2005 से अब तक 7 करोड़, 6 लाख रुपए किराया दुकानदारों पर बकाया है। मनपा को दुकानों से सालाना 13 करोड़, 50 लाख रुपए किराया आता है। बकाया किराया सालाना किराया के 50 प्रतिशत से अधिक है। यह राशि बढ़ने की वजह नियमित वसूली में मनपा के कर विभाग की लापरवाही मानी जा रही है। शहर में 10 जोन हैं। सभी जोन में मनपा के मालिकी की दुकानें, ओटे, खाली जगह दुकानदारों को व्यवसाय के िलए किराए पर दिए गए हैं। रेडिरेक्नर रेट के आधार पर उनसे प्रतिमाह किराया वसूल िकया जाता है। दुकानदारों से मनपा का कर िवभाग किराया वसूली करता है। जो दुकानदार मनपा में जाकर खुद किराया भुगतान करते हैं, वही किराया मनपा की तिजोरी में जमा हो रहा है। नियमित वसूली नहीं किए जाने से बकाया बढ़ रहा है। बाजार िवभाग में कर्मचारियों की कमी के चलते काम का बोझ बढ़ने से भी नियमित वसूली नहीं हो पाने की जानकारी मिली है।
67 मार्केट परिसर में दी गई हैं दुकानें : शहर में 67 मार्केट परिसर में किराए पर दिए गए मनपा की दुकान, ओटे आैर खाली जगह का आंकड़ा 5336 है। इसमें लक्ष्मीनगर जोन अंतर्गत कामगार कॉलोनी में 5, धरमपेठ जोन के गोकुलपेठ मार्केट में 239, हनुमान नगर जोन अंतर्गत राष्ट्रीय गांधी मार्केट सक्करदरा, मेडिकल कॉलेज परिसर 238, धंतोली जोन अंतर्गत महात्मा फुले भवन, सुभाष रोड मार्केट, भापकर पार्क, न्यू एसटी स्टैंड, रेलवे फिडर रोड कांजी हाउस परिसर 581 और नेताजी मार्केट, सुपर मार्केट, यशवंत स्टेडियम, मोदी नंबर-2 सीताबर्डी परिसर में 560 तथा महात्मा फुले भाजी मार्केट में 323, गांधीबाग जोन अंतर्गत महल कॉम्प्लेक्स, महल बुधवारी मार्केट, महल मटन मार्केट, िचटणीस पार्क, टांगा स्टैंड, टक्कामोरे मार्केट, मोमिनपुरा कॉम्प्लेक्स, मोमिनपुरा बकरा मंडी, हंसापुरी मार्केट, हैदरी कॉम्प्लेक्स, संतरा मार्केट, संतरा मार्केट रेलवे फिडर रोड, हिंदी भाषा स्कूल (खोवा, पान दुकान) 1308, सतरंजीपुरा जोन अंतर्गत दही बाजार, जगनाथ बुधवारी, टी. बी. वार्ड मस्कासाथ, मस्कासाथ कॉम्प्लेक्स, तीन नल चौक, यूनानी दवाखान, मस्कासाथ जुनी प्राथमिक स्कूल, मस्कासाथ टेंपररी जगह, इतवारी लोहा ओली में 160 तथा जूना मोटर स्टैंड, इतवारी टे. जगह, क्राडक रोड मिरची बाजार, नेहरू पुतला, इतवारी अनाज ओटे, इतवारी कड़बी बाजार, इतवारी मेन रोड, इतवारी अनाज बाजार, इतवारी भाजी मंडी, दाजी काम्प्लेक्स, कांजी हाउस बिल्डिंग, जूना अनाज बाजार, पांचपावली उड़ान पुल के नीचे वाली जगह कुल मिलाकर 523, लकड़गंज जोन अंतर्गत रेलवे साइडिंग, कड़वी तनस पड़ाव आदि 211, आसीनगर जोन अंतर्गत कमाल चौक मार्केट में 168, मंगलवारी जोन अंतर्गत गड्डीगोदाम गोल बाजार, सदर लिंकरोड व डिस्पेंसरी, उड़ानपुल के नीचे वाला संकुल, मंगलवारी कॉम्प्लेक्स, मंगलवारी मछली मार्केट आदि परिसर में 1030 दुकानें, ओटे और खाली जगह किराए पर दी गई हैं।


 

 

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