6 माह में ही अधिकांश जेरॉक्स मशीनें बंद, 15 करोड़ में खरीदी थीं

6 माह में ही अधिकांश जेरॉक्स मशीनें बंद, 15 करोड़ में खरीदी थीं

Anita Peddulwar
Update: 2019-08-14 08:30 GMT
6 माह में ही अधिकांश जेरॉक्स मशीनें बंद, 15 करोड़ में खरीदी थीं

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय द्वारा 15 करोड़ रुपए से अधिक खर्च करके खरीदी गई जेरॉक्स मशीनों में से अधिकांश ठप पड़ गई है। यूनिवर्सिटी ने यह मशीनें खरीद कर कॉलेजों को दी थी, ताकि वे यूनिवर्सिटी की परीक्षाओं के काम में आ सके। मशीन की खरीदी को अभी 6 माह भी नहीं बीते हैं, ऐसे में कॉलेजों द्वारा मशीनें बंद पड़ने की शिकायत करना यूनिवर्सिटी की कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न खड़े कर रहा है। आरोप लग रहे है कि जान-बूझ कर यूनिवर्सिटी में घटिया दर्जे की मशीनें खरीदी गई है। विश्वविद्यालय ने ऐसे करीब 145 परीक्षा केंद्रों को ये मशीनें दी थीं। जानकारी के अनुसार,  रिपेयरिंग खर्च ज्यादा होने के कारण ये मशीनें बंद अवस्था में पड़ी हैं।

आनलाइन हुआ कामकाज 
दरअसल, आईटी रिफॉर्म की ओर कदम बढ़ाते हुए नागपुर यूनिवर्सिटी ने अपना परीक्षा का सारा काम ऑनलाइन कर दिया गया है। ऐसे में अब पहले की तरह परीक्षा केंद्रों पर प्रश्न-पत्रों का लिफाफा नहीं भेजा जाता। अब परीक्षा केंद्रों की आईडी पर ऑनलाइन प्रश्न-पत्र भेजे जाते हैं। वहां इनके प्रिंट निकाल कर विद्यार्थियों में वितरित होते हैं। यूनिवर्सिटी  में हर परीक्षा सत्र में साढ़े तीन लाख से अधिक विद्यार्थी होते हैं। ऐसे में बड़ी संख्या में प्रश्न-पत्रों की जेरॉक्स के लिए परीक्षा केंद्रों/कॉलेजों ने हाथ खड़े कर दिए थे। इसके बाद यूनिवर्सिटी ने अपने खर्च पर उन्हें जेरॉक्स मशीनें खरीद कर देने का निर्णय लिया। टेंडर प्रक्रिया आयोजित करके 145 परीक्षा केंद्रों के लिए मशीनें खरीदी थी, लेकिन ये मशीनें निकृष्ट दर्जे की साबित हुई हैं। 

अच्छी मशीनें ही दी थीं
विश्वविद्यालय ने सभी परीक्षा केंद्रों को अच्छी मशीनें ही खरीदकर दी थीं। उन्हें समय-समय पर मशीनों के मेंटेनेंस के लिए भी फंड दिया जाता है। ऐसे में मशीनें खराब नहीं हो सकती। उसी स्टॉक में से जो मशीने यूनिवर्सिटी में रखी गई हैं, वो तो काम कर रही हैं। 
- डॉ.नीरज खटी, प्रभारी कुलसचिव नागपुर यूनिवर्सिटी

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