सीनेट में प्रश्न शामिल करने से यूनिवर्सिटी ने किया इनकार , फिर उठे सवाल

सीनेट में प्रश्न शामिल करने से यूनिवर्सिटी ने किया इनकार , फिर उठे सवाल

Anita Peddulwar
Update: 2020-02-24 08:23 GMT
सीनेट में प्रश्न शामिल करने से यूनिवर्सिटी ने किया इनकार , फिर उठे सवाल

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय अपने परीक्षा विभाग और प्रशासन संबंधी कई मसलों पर चुप्पी बरत रहा है। दोनों विभागों से संबंधित प्रश्नों को 6 मार्च को होने जा रही सीनेट की सभा में शामिल करने से यूनिवर्सिटी प्रशासन ने स्पष्ट इनकार कर दिया है। सीनेट सदस्य सरिता महेंद्र निंबार्ते ने सीनेट में पूछने के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन को कुछ प्रश्न भेजे थे। जिसे उन्होंने रिकॉर्ड पर लेने की अनुमति मांगी थी। इसमें निंबार्ते ने यूनिवर्सिटी प्रशासन से पूछा था कि, विश्वविद्यालय परीक्षा विभाग के विविध कामकाज के लिए किन-किन निजी कंपनियों की सेवाएं लेता है? मौजूदा वक्त में प्रोमार्क कंपनी को यूनिवर्सिटी के किस विभाग का काम दिया गया, इसके लिए टेंडरिंग की गई थी या नहीं? इसके अलावा उन्होंने  यूनिवर्सिटी में जारी कुलसचिव पद की नियुक्ति प्रक्रिया और उस पर किए जा रहे खर्च का भी ब्यौरा मांगा था। 

यह थे सवाल 
यूनिवर्सिटी से पूछा था कि, कुलसचिव की नियुक्ति के लिए सितंबर 2019 में विज्ञापन जारी किया था क्या, किया था तो इस पर कितना खर्च किया गया? इसके बाद प्राप्त हुए कितने आवेदनों की पड़ताल की गई, कई आवेदनों को तीन माह बाद भी नहीं सत्यापित किया गया, उन्हें पेंडिंग में क्यों रखा गया? यह भी पूछा गया कि, यूनिवर्सिटी में पिछले पांच वर्षों में कितने विद्यार्थियों ने परीक्षा दी? इनमें से कितने पास और फेल हुए? उक्त विद्यार्थियों में से पुनर्मूल्यांकन और रिटोटलिंग के लिए कितने आवेदन आए? इनमें से कितने विद्यार्थियों के नंबर बढ़े और कितने के कम हुए? यूनिवर्सिटी द्वारा इसके जवाब में निंबार्ते को भेजे गए लिखित उत्तर में बताया गया है कि, परीक्षा से जुड़े ये सवाल गोपनीय हैं और उक्त कई मामले विविध स्तरों पर विचाराधीन हैं। इसके कारण ये सभी प्रश्न खारिज किए जा रहे हैं। निंबार्ते के अनुसार ये सभी प्रश्न यूनिवर्सिटी की पारदर्शिता की पड़ताल के लिए जरूरी थे। इन पर सीनेट पर चर्चा होती, तो कई अहम जानकारियां और गलतियां उजागर होती। यूनिवर्सिटी अधिकारी जानबूझकर इन प्रश्नों को सीनेट में शामिल नहीं कर रहे हैं। 

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