पूर्व सांसद नाना पटोले ने की सरकार की खिंचाई , कहा- आर्थिक नीति को कमजोर कर रही सरकार  

पूर्व सांसद नाना पटोले ने की सरकार की खिंचाई , कहा- आर्थिक नीति को कमजोर कर रही सरकार  

Anita Peddulwar
Update: 2019-08-12 09:41 GMT
पूर्व सांसद नाना पटोले ने की सरकार की खिंचाई , कहा- आर्थिक नीति को कमजोर कर रही सरकार  

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कांग्रेस नेता पूर्व सांसद नाना पटोले ने आरोप लगाया कि, सरकार डा. बाबासाहब आंबेडकर की आर्थिक नीति को कमजोर करने का काम कर रही है। जीएसटी व नोटबंदी का असर आम आदमी पर पड़ा है। नोटबंदी बगैर नियोजन के लोगों पर लाद दी गई। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (ऑनलाइन पंजीकृत) की वर्षगांठ पर कवि सुरेश भट सभागृह में आयोजित ‘असंवैधानिक गतिविधियों से देश के लोकतंत्र को खतरा व इससे बचने के उपाय’ पर बोल रहे थे। मंच पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अध्यक्ष जनार्दन मून, एड. श्रेय डंभारे व रवि डंभारे उपस्थित थे। 

उन्होंने कहा कि, कानून बदलने का षड़यंत्र हो रहा है। संविधान के विरोध में काम किया जा रहा है। किसी जाति का विरोध करने की बजाय मनुवादी सोच व मनुवादी विचारों का विरोध करने का आह्वान उन्होंने किया। उन्होंने तंज कसा कि, देश भक्ति का नारा लगाने वालों के मुख्यालय में भी कई सालों तक तिरंगा नहीं लहराया गया।  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अध्यक्ष जनार्दन मून ने कहा कि, संविधान की रक्षा व देश को बलशाली बनाने के लिए संगठन बनाया गया है। इसके लिए जो कीमत चुकानी पड़ेगी, उसके लिए संगठन तैयार है। उन्होंने अपने संगठन को असली करार देते हुए इस नाम के दूसरे संगठन पर सवाल उठाए। 

 नहीं आए  एड. प्रकाश आंबेडकर और कुमार केतकर 
कार्यक्रम में सभी की नजर वंचित बहुजन आघाड़ी के नेता एड. प्रकाश आंबेडकर पर थी, लेकिन वे कार्यक्रम में नहीं पहुंचे। उनकी अनुपस्थिति को लेकर कार्यक्रम में चर्चा होती रही। ऐन समय पर एड. आंबेडकर ने आने से मना करने की बातें लोग आपस में करते रहे। श्री मून ने यह कहकर हवा दे दी कि, एड. प्रकाश आंबेडकर कार्यक्रम में नहीं आए। आप सब उनके बारे में ज्यादा जानते हैं। इसी तरह राज्यसभा सदस्य कुमार केतकर भी कार्यक्रम में नहीं पहुंचे। 

 अंत तक खाली पड़ी रहीं कुर्सियां  
ऐसा माना जा रहा था कि, बड़ी संख्या में आंबेडकरी जनता कार्यक्रम में पहुंचेगी और सभागृह खचाखच भर जाएगा। सभागृह में अधिकांश कुर्सियां खाली रहीं। कार्यक्रम समाप्त होने तक कुर्सियां पूरी तरह नहीं भरी जा सकी थीं।  

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