मुठभेड़ में मारे गए नक्सल कमांडर तेलतुंबडे का हुआ अंतिम संस्कार, 25 वर्ष पहले इसी घर में रहता था

वणी मुठभेड़ में मारे गए नक्सल कमांडर तेलतुंबडे का हुआ अंतिम संस्कार, 25 वर्ष पहले इसी घर में रहता था

Tejinder Singh
Update: 2021-11-15 15:17 GMT
मुठभेड़ में मारे गए नक्सल कमांडर तेलतुंबडे का हुआ अंतिम संस्कार, 25 वर्ष पहले इसी घर में रहता था

डिजिटल डेस्क, यवतमाल। 50 लाख के इनामी नक्सली मिलिंद तेलतुंबडे का भतीजे विप्लव तेलतुंबडे ने अंतिम संस्कार किया। सोमवार को वणी के लालगुडा मोक्षधाम में अंतिम संस्कार हुआ। आपको बता दें, महाराष्ट्र व छत्तीसगढ़ के सीमा पर स्थित जंगल में गड़चिरोली पुलिस और नक्सलियों के बीच शनिवार को हुई मुठभेड़ में कुल 26 माओवादी ढेर किए गए थे। इनमें नक्सल कमांडर मिलिंद तेलतुंबडे की भी मौत होेने की जानकारी सामने आयी है। मिलिंद तेलतुंबडे वणी शहर से 7 किमी दूरी पर स्थित ग्राम राजुर(इजारा) का निवासी था। गांव में उसे अनिल नाम से जाना जाता था। सरकारी रिकार्ड पर उसका नाम मिलिंद लिखा गया है। उसकी प्राथमिक शिक्षा राजुर इजारा के जिला परिषद शाला से हुई तो वणी के लोकमान्य तिलक महाविद्यालय से उच्चशिक्षा प्राप्त की थी। इंजीनियर बनने के बाद कुछ समय तक मिलिंद तेलतुंबडे ने वेकोलि में नौकरी की। पद्मापुर, दुर्गापुर में कार्यरत रहते समय वह आयटक यूनियन में शामिल हुआ और कामगार यूनियन में जनरल सेक्रेटरी का पदभाल संभाला। जिसके बाद वह  नक्सलियों में शामिल हो गया। इसकी जानकारी उन्होंने अपने परिजनों को दी थी और सन 1996 में ही अपना घर व गांव हमेशा के लिए छोड़ दिया था। उनकी पत्नी प्राध्यापक है और चंद्रपुर में रहती है। मिलिंद तेलतुंबडे प्राध्यापक, लेखक आनंद तेलतुंबडे का भाई है। बीते कुछ वर्षो में नक्सली कार्रवाइयों में सक्रिय रहा है। उसने भाकप, माओवादी पार्टी महाराष्ट्र सचिव के तौर पर भी काम किया है। नक्सल गतिविधि में शामिल होने के चलते महाराष्ट्र समेत छत्तीसगढ़ और आंध्रप्रदेश पुलिस के लिए भी वांटेड था। महाराष्ट्र पुलिस ने उस पर 50 लाख रुपये का इनाम की घोषणा की थी। वह सह्याद्री उर्फ ज्योतीराव उर्फ श्रीनिवास आदि नाम लगाता था। जिसके चलते पुलिस उस तक नहीं पहुंच पा रही थी। शनिवार को हुई मुठभेड़ में उसके मारे जाने की जानकारी है। इस मुठभेड़ में मिलिंद समेत जोगन्ना विजयरेड्डी और संदीप दीपकराम की भी मौत हुई। चारों नक्सल मुव्हमेंट में उच्च पद पर कार्यरत थे। लेकिन समाचार लिखे जाने तक गड़चिरोली पुलिस द्वारा इनके मारे जाने को लेकर अधिकृत पुष्टि नहीं की थी। 

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