वाहनों का फिटनेस सर्टिफिकेट देने में लापरवाही, हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

वाहनों का फिटनेस सर्टिफिकेट देने में लापरवाही, हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

Bhaskar Hindi
Update: 2017-11-14 13:59 GMT
वाहनों का फिटनेस सर्टिफिकेट देने में लापरवाही, हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

डिजिटल डेस्क, मुंबई। नियमों के खिलाफ फिटनेस सर्टिफिकेट लेने वाले वाहनों से होने वाली दुर्घटना में किसी की जान जाने पर कौन जिम्मेदार होगा? बांबे हाईकोर्ट ने मंगलवार को राज्य सरकार से यह सवाल किया। हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार साफ तौर पर बताए कि वह वाहनों को फिटनेस प्रमाणपत्र जारी करने से संबंधित नियमों को लागू करेगी की नहीं? सामाजिक कार्यकर्ता श्रीकांत कर्वे ने इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में दावा किया गया है कि वाहनों को फिटनेस प्रमाणपत्र जारी करते समय क्षेत्रिय परिवहन कार्यालय (RTO) के अधिकारी नियमों का पालन नहीं करते। 

मुद्दे को हल्के पर ले रही सरकार ?

वाहनों के फिटनेस टेस्ट में बरती जा रही लापरवाही से नाराज न्यायमूर्ति अभय और न्यायमूर्ति एके मेनन की खंडपीठ ने कहा कि अदालत ने इस विषय पर कई आदेश जारी किए हैं, ऐसा लगता है कि सरकार उन आदेशों का मजाक बना रही है और ऐसा लग रहा है जैसे सरकार इस मुद्दे को हल्के में ले रही है। इससे पहले खंडपीठ को बताया गया कि सोलापुर में तैनात आरटीओ के एक अधिकारी ने पुणे से 74 वाहनों को फिटनेस प्रमाणपत्र जारी किए हैं। इस पर हैरान खंडपीठ ने कहा कि यह कैसे संभव हुआ? क्या आरटीओ के वरिष्ठ अधिकारियों ने इसकी अनुमति दी थी या फिर अधिकारियों ने इस पर आंख बंद कर ली थी? यदि इन वाहनों से कोई दुर्घटना होती है और उसमे किसी जान जाती है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा? 

अधिकारी को कारण बताओ नोटिस

जवाब में सरकारी वकील अभिनंदन व्याज्ञानी ने कहा कि परिवहन विभाग ने सोलापुर में तैनात होकर पुणे के आरटीओ से वाहनों को फिटनेस टेस्ट जारी करने वाले अधिकारी विनोद माने को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। उसके निलंबन का भी प्रस्ताव तैयार किया गया है। जिन वाहनों को माने ने फिटनेस टेस्ट जारी किया उसे रद्द करने का निर्देश जारी किया जाएगा और यह कोशिश होगी कि वे वाहन सड़कों पर न चले। इस दौरान मामले की न्यायमित्र के रुप में पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता उदय वारुंजकर ने कहा कि माने ने जिन वाहनों को फिटनेस प्रमाणपत्र जारी किया है वे आरटीओ कार्यालय में लाए नहीं गए। सिर्फ उनके कागज अधिकारी तक पहुंचाए गए और उसने उस कंपनी के गोदाम में जाकर वाहनों का टेस्ट किया। उन्होंने कहा कि अभी भी 19 आरटीओ में ब्रेक टेस्ट ट्रैक नहीं है। 

गुरुवार तक पेश करनी होगी रिपोर्ट

इस पर सरकारी वकील ने कहा कि चार ट्रैक उस्मानाबाद, बारामती, कोल्हापुर और अन्य जगह पर दो दिन में तैयार कर लिए जाएंगे। इस पर खंडपीठ ने कहा कि सरकार गुरुवार को इस संबंध में रिपोर्ट पेश करें। इसके बाद हम तय करेंगे कि शेष ट्रैक बनाने के लिए समय देना है की नहीं। खंडपीठ ने कहा कि परिवहन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी इस बात का पता लगाए कि माने कब से दूसरे आरटीओ में रहते हुए वाहनों को फिटनेस प्रमाणपत्र दे रहा और उसने कितने वाहनों को प्रमाणपत्र जारी किया। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 16 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी है।

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