कच्चे हीरे की तरह होते हैं नए न्यायाधीश , उन्हें तराशती है ज्यूडिशियल एकेडमी

कच्चे हीरे की तरह होते हैं नए न्यायाधीश , उन्हें तराशती है ज्यूडिशियल एकेडमी

Bhaskar Hindi
Update: 2021-03-08 08:39 GMT
कच्चे हीरे की तरह होते हैं नए न्यायाधीश , उन्हें तराशती है ज्यूडिशियल एकेडमी

डिजिटल डेस्क जबलपुर । मप्र हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव ने कहा कि न्यायाधीश कच्चे हीरे की तरह होते हंै। उन्हें तराशने का काम ज्यूडिशियल एकेडमी करती है। न्यायाधीश सार्वभौमिक न्याय प्रदाता होते हैं, वे सिर्फ नौकरी नहीं करते, बल्कि मिशन के रूप में काम करते हैं। इसलिए उन्हें उच्च आदर्श स्थापित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों को लिटिगेशन फ्रेंडली टूल का इस्तेमाल करना चाहिए। जस्टिस श्रीवास्तव ने ये विचार ऑल इंडिया ज्यूडिशियल एकेडमीज डायरेक्टर्स रिट्रीट के समापन पर ब्यौहारबाग स्थित मप्र राज्य न्यायिक अकादमी के प्रेक्षागृह में व्यक्त किए। रिट्रीट को संबोधित करते हुए जस्टिस श्रीवास्तव ने कहा कि टाइम मैनेजमेंट और कोर्ट मैनेजमेंट का विशेष ध्यान रखना चाहिए। उन्हें इंटरनेट से जुड़ी नई तकनीकों का इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्पेन में न्यायाधीशों को हायब्रिड यानी ऑनलाइन और  ऑफलाइन ट्रेनिंग दी जाती है, इसके साथ ही उन्हें कोर्ट की ऑनलाइन स्ट्रीमिंग दिखाई जाती है, ताकि वे कोर्ट की प्रक्रिया समझ सकें। 
मप्र हाईकोर्ट के जस्टिस आनंद पाठक ने रिट्रीट में बताया कि मप्र राज्य न्यायिक अकादमी में न्यायाधीशों को मॉक ट्रायल के जरिए प्रशिक्षण दिया जाता है, ताकि न्यायाधीश न्यायालय की प्रक्रिया की बारीकी से अवगत हो सकें। ट्रेनिंग के इस तरीके को दूसरे राज्य की न्यायिक एकेडमी भी अपना सकती है। इस मौके पर देश भर की न्यायिक अकादमियों ने अपनी-अपनी कार्य संस्कृति की जानकारी साझा की। 
न्यायाधीश करें स्पष्ट निर्णय - बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि न्यायाधीशों को स्पष्ट निर्णय करना चाहिए। यदि किसी भी निर्णय में भ्रम की स्थिति बनती है, तो उस निर्णय का निष्पादन नहीं कराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों को ईमानदारी और मेहनत के साथ काम करना चाहिए। 
तकनीक का इस्तेमाल करें न्यायाधीश 8 कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अभय श्रीनिवास ओका ने कहा कि न्यायाधीशों को तकनीक का इस्तेमाल करना चाहिए, ताकि शीघ्र न्याय हो सके। इसके लिए न्यायिक अकादमियों को विशेष तौर पर प्रयास करना चाहिए।  
लॉ यूनिवर्सिटी के लिए चाहिए 100 करोड़
 उधर धर्मशास्त्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी जबलपुर की बिल्डिंग निर्माण के लिए 100 करोड़ रुपए रिलीज करने की माँग को लेकर छात्रों के एक प्रतिनिधिमंडल ने गत दिवस भोपाल में वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा से मुलाकात की। वित्त मंत्री ने छात्रों की माँगों पर विचार करने का आश्वासन दिया है। छात्रों के प्रतिनिधिमंडल में  राम तिवारी, अर्पित संजर, शैलेश्वर यादव, ऋषभ पिल्लई, सिद्धार्थ सिंह चौहान, हर्षित राठौर, नितिन सोनी, अजय प्रजापति और देव करण शामिल थे। 
दूसरे दिन हुए चार सत्र  
रिट्रीट के दूसरे दिन चार सत्र आयोजित किए गए। इन सत्रों को बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता, मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एम सत्यनारायणन, कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस आईपी मुखर्जी, मप्र हाईकोर्ट के जस्टिस सुजय पॉल, चंडीगढ़ अकादमी के डायरेक्टर प्रो. बलराम के गुप्ता ने संबोधित किया। इसके अलावा जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पंकज मिथल, कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस बीवी नागरत्न, झारखंड के हरिशचंद्र मिश्रा ने संबोधित किया। समापन सत्र को कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अभय श्रीनिवास ओका और मप्र हाईकोर्ट के प्रशासनिक न्यायाधीश जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव ने संबोधित किया। 
जारी रहे परंपरा - मप्र राज्य न्यायिक अकादमी के डायरेक्टर रामकुमार चौबे ने आभार प्रदर्शन करते हुए कहा कि देश में पहली बार 24 न्यायिक अकादमियों के डायरेक्टर्स की रीट्रीट आयोजित की गई है। इस कार्यक्रम की शुरूआत बहुत ही अच्छे तरीके से हुई है, लेकिन इस आयोजन की परंपरा जारी रहना चाहिए। श्री चौबे ने रिट्रीट में भाग लेने के लिए सभी न्यायाधीशों और डायरेक्टर्स का आभार व्यक्त किया।


 

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