38 संवेदनशील गवाहों को सुरक्षा प्रदान करने एनआईए करेेगी मांग, मालेगांव मामले की सुनवाई इस कारण हो "इन कैमरा"

38 संवेदनशील गवाहों को सुरक्षा प्रदान करने एनआईए करेेगी मांग, मालेगांव मामले की सुनवाई इस कारण हो "इन कैमरा"

Tejinder Singh
Update: 2019-08-02 12:32 GMT
38 संवेदनशील गवाहों को सुरक्षा प्रदान करने एनआईए करेेगी मांग, मालेगांव मामले की सुनवाई इस कारण हो "इन कैमरा"

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बांबे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि वह साल 2008 के मालेगांव बम धमाके से जुड़े 38 संवेदनशील गवाहों को पुलिस सुरक्षा प्रदान किए जाने की मांग को लेकर निचली अदालत में आवेदन दायर करेगी। एनआईए के वकील संदेश पाटील ने न्यायमूर्ति इंद्रजीत महंती व न्यायंमूर्ति एएम बदर की खंडपीठ के सामने यह बात कही। पाटील ने कहा कि धमाके से जुड़े 475 गवाहों में से 186 गवाहों के बयान के कुछ हिस्से को ढका गया है। 186 में से 38 संवेदनशील गवाह है। जिन्हें पुलिस सुरक्षा प्रदान किए जाने की जरुरत है। और इनकी गवाही को इन कैमरा रिकार्ड किए जाने की आवश्यकता है। इसलिए एनआईए इस संबंध में निचली अदालत में आवेदन दायर करेगी। हम मामले में आरोपी पुरोहित को कुछ गवाहों के बयान की प्रति देने को तैयार है जिनके बयान के कुछ हिस्से को ढका गया है। खंडपीठ के सामने मामले में आरोपी कर्नल प्रसाद पुरोहित की ओर से दायर किए गए आवेदन पर सुनवाई चल रही है। इस बात को जानने के बाद खंडपीठ ने मामले की सुनवाई दो सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी। याचिका में पुरोहित ने मांग की है कि उन्हें ऐसे गवाहों के बयान की प्रति दी जाए जिनके बयोनों को ढंका गया है। क्योंकि एनआईए ने इन गवाहों के बयान को आरोपपत्र का हिस्सा बनाया है। भोपाल से भारतीय जनता पार्टी की सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर व कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित अन्य पांच लोग इस मामले में आरोपी है। सभी आरोपियों पर अवैध गतिविधि प्रतिबंधक कानून व भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए है। 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में एक मस्जिद में हुए बम धमाके में 6 लोगों की मौत हो गई थी जबकि सौ लोग घायल हो गए थे। 

समाजिक सौहार्द की सुरक्षा के लिए एनआईए मालेगांव मामले की सुनवाई चाहती है इन कैमरा

उधर राष्ट्रीय जांच एजेंसी की विशेष अदालत ने शुक्रवार को एनआईए की ओर से मालेगांव बम धमाके की सुनवाई इन कैमरा किए जाने की मांग को लेकर दायर आवेदन पर आरोपियों के वकील (बचाव पक्ष) को जवाब देने के लिए सोमवार तक समय दिया है। एनआईए ने गुरुवार को मामले की सुनवाई इन कैमरा किए जाने की मांग को लेकर कोर्ट में आवेदन दायर किया है। आवेदन में एनआईए ने आवेदन में दावा किया है कि इस मामले की सुनवाई का अनावश्यक प्रचार समाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए मामले की सुनवाई इन कैमरा की जाए। आवेदन में एनआईए ने कहा है कि मामले से जुड़े आरोपियों पर आरोप है कि उन्होंने मुस्लिम जिहादी गतिविधियों से बदला लेने व दो समुदाय के बीच मनमुटाव पैदा करने के लिए अपराध को अंजाम दिया है मुस्लिम बाहुल्य इलाका होने के चलते अपराध के लिए मालेगांव का चुनाव किया गया था। 
आवेदन में एनआईए ने हाईकोर्ट की एक टिप्पणी की भी उल्लेख किया गया है जिसमें हाईकोर्ट ने एनआईए से इस मामले की सुनवाई इन कैमरा किए जाने को लेकर प्रश्न किया था। आवेदन में एनआईए ने कहा है कि हमने हाईकोर्ट की टिप्पणी व सामाजिक सौहार्द,राष्ट्रीय सुरक्षा व सार्वजनिक व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए मामले की सुनवाई इन कैमरा चाहते है। मालेगांव मामला एक संवेदनशील मामला है इस मामले की सुनवाई का अनावश्यक प्रचार समाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए मामले की सुनवाई इन कैमरा की जाए। शुक्रवार को न्यायाधीश वीएस पडलकर के सामने एनआईए का आवेदन सुनवाई के लिए आया। इस दौरान बचाव पक्ष(आरोपियों) के वकीलों ने  एनआईए के आवेदन पर न्यायाधीश से अपना जवाब देने के लिए समय की मांग की। इसके बाद न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी। इस मामले में भारतीय जनता पार्टी की सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर व कर्नल प्रसाल पुरोहित सहित पांच लोगों को आरोपी बनाया गया है। 

बूचड़ खाने के बार कुर्बानी की अनुमति देने के खिलाफ याचिका पर सोमवार को सुनवाई

इसके अलावा कसाईखाने के बाहर बकरीद के दिन कुर्बानी की अनुमति दिए जाने के खिलाफ बांबे हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। जीव मैत्री ट्रस्ट नामक संस्था ने इस बारे में हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में कसाईखाने के बाहर कुर्बानी की अनुमति दिए जानेवाले मुंबई महानगरपालिका की ओर से जारी की गई सार्वजनिक नोटिस को रद्द करने की मांग की गई है। न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी की खंडपीठ ने सोमवार को इस याचिका पर सुनवाई रखी है।  
 

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