नागपुर मनपा स्कूलों में बच्चों की सेहत से खिलवाड़, अब तक नहीं लगे RO

नागपुर मनपा स्कूलों में बच्चों की सेहत से खिलवाड़, अब तक नहीं लगे RO

Tejinder Singh
Update: 2018-03-05 13:41 GMT
नागपुर मनपा स्कूलों में बच्चों की सेहत से खिलवाड़, अब तक नहीं लगे RO

डिजिटल डेस्क, नागपुर। चंद्रकांत चावरे। महानगर पालिका संचालित स्कूलों की हालत किसी से छिपी नहीं है। यह एक बड़ा कारण है कि साल दर साल मनपा की स्कूलें बंद हो रही हैं। लोगों का रुझान निजी स्कूलों की तरफ बढ़ रहा है। जो स्कूल बंद हो चुके हैं, उनमें कुछ खंडहर बन रहें, तो कुछ असामाजिक तत्वों के अड्‌डे बन चुके हैं। इसके बावजूद मनपा प्रशासन अपने स्कूलों पर ध्यान नहीं दे रही। जो स्कूल बंद हो चुके हैं, उन्हें छोड़ो, जो शुरू हैं उनके प्रति भी मनपा प्रशासन संवेदनहीन नजर आ रहा है।

दो साल पहले मनपा स्कूलों में पीने के पानी का मुद्दा उठा था। उस समय स्कूलों में आरओ लगाने पर जोर दिया गया था। कुछ स्कूलों में मशीनें लग चुकी हैं। यह और भी कड़वा सच है कि स्कूलों में इस्तेमाल किया जाने वाला पानी पीने योग्य है या नहीं इसका कोई रिकॉर्ड मनपा के पास नहीं है। डेढ़ साल पहले स्वास्थ्य विभाग ने शिक्षा विभाग को एक पत्र देकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली थी। वहीं शिक्षा विभाग ने पत्र लेकर अपने आप को धन्य मान लिया।

पीने के पानी की हर छह महीने में जांच जरूरी
सरकार के स्वास्थ्य विभाग के नियमानुसार सभी सार्वजनिक स्थानों के लिए इस्तेमाल किया जाने वाले पीने के पानी की हर छह महीने में जांच होनी चाहिए। पानी पीने योग्य है या नहीं इसकी रपट आने के बाद उसके अनुसार कार्रवाई की जानी चाहिए। स्कूलों और कॉलेजों पर भी यह नियम लागू होता है। निजी स्कूलों और कॉलेजों में इस पर ध्यान भी दिया जाता है, लेकिन महानगर पालिका इसकी दखल नहीं लेती। यहां के हर विभाग यह जिम्मेदारी एक-दूसरे पर सौंपकर मुक्त हो जाते हैं।

डेढ़ साल पहले मनपा स्कूलों में पेयजय को लेकर सवाल उठे थे। उस समय स्वास्थ्य विभाग ने शिक्षा विभाग को एक पत्र देकर स्कूलों के पेयजल की जांच कर रिपोर्ट लेने को कहा था। लेकिन डेढ़ साल बाद भी मनपा की किसी स्कूल ने शिक्षा विभाग को रिपोर्ट नहीं दी है। एक विभाग ने पत्र देकर तो दूसरे ने पत्र लेकर अपनी जिम्मेदारी से इतिश्री कर ली। इस समय मनपा द्वारा 163 स्कूलों का संचालन किया जा रहा है। इनमें से 134 प्राइमरी और 29 माध्यमिक स्कूलों का समावेश है।

पानी की नहीं करवाते जांच
जिला परिषद, मनपा या निजी सभी तरह की स्कूलों को हर छह महीने में पेयजल की जांच करनी पड़ती है। इसके लिए रीजनल हेल्थ लेबोरेटरी में पानी के सैंपल जमा करने पड़ते हैं। यहां पानी की जांच के बाद रिपोर्ट दी जाती है। पानी पीने योग्य है या नहीं, इसका उल्लेख रिपोर्ट में होता है। वर्तमान में जिला परिषद की 1550, मनपा की 163, निजी स्कूलें 70, कॉलेजेस 120 व अन्य इंस्टीटयूट 100 से अधिक हंै। इस तरह कुल मिलाकर 2003 शिक्षा संस्थानों का संचालन नागपुर जिले में हो रहा है।

इनमें से निजी संस्थानों को छोड़ दिया जाए तो जिला परिषद व मनपा की स्कूलों में लापरवाही बरती जा रही है। इन स्कूलों से पानी के सैंपल लेबोरेटरी में नहीं भेजे जाते। सन 2016 में केवल 17 शिक्षा संस्थानों ने पानी की जांच करवाने सैंपल भेजे थे। यह आंकड़ा 1 फीसदी से भी कम है। मनपा स्कूल का तो नामोनिशान तक नहीं है।

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