हरदा से नेमावर तक पाइप लाइन शिफ्टिंग के खर्च वहन का कोई अनुबंध नहीं, याचिका खारिज

हरदा से नेमावर तक पाइप लाइन शिफ्टिंग के खर्च वहन का कोई अनुबंध नहीं, याचिका खारिज

Bhaskar Hindi
Update: 2020-10-03 08:06 GMT
हरदा से नेमावर तक पाइप लाइन शिफ्टिंग के खर्च वहन का कोई अनुबंध नहीं, याचिका खारिज

हरदा नगर पालिका ने एनएचएआई और राज्य सरकार से खर्च दिलाने के लिए लगाई थी याचिका
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
मप्र हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव और जस्टिस राजीव कुमार दुबे की डिवीजन बैंच ने हरदा नगर पालिका की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें हरदा से नेमावर के बीच पानी की पाइप लाइन शिफ्टिंग में आने वाले खर्च को एनएचएआई या राज्य सरकार को वहन करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। डिवीजन बैंच ने कहा है कि पाइप लाइन शिफ्टिंग में आने वाले खर्च को कौन वहन करेगा, इस संबंध में कोई भी अनुबंध नहीं है। भारतमाला परियोजना के तहत हरदा-इंदौर राजमार्ग पर फोरलेन निर्माण के लिए हरदा से नेमावर के बीच पाइप लाइन शिफ्टिंग में 15.72 करोड़ रुपए खर्च आ रहा है। हरदा नगर पालिका की याचिका में पाइप लाइन शिफ्टिंग का खर्च एनएचएआई या राज्य सरकार को वहन करने का निर्देश देने का अनुरोध करते हुए कहा गया कि वर्ष 2015 में स्थाई लोक अदालत में एडीजे ने हरदा नगर पालिका को पाइप लाइन हटाने को कहा था। इस संबंध में हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। हाईकोर्ट ने पाइप लाइन शिफ्टिंग में आने वाले 15.72 करोड़ रुपए के खर्च के संबंध में एनएचएआई को विचार करने के लिए कहा था। एनएचएआई ने पाइप लाइन शिफ्टिंग का खर्च वहन करने से इनकार कर दिया। इसके बाद हाईकोर्ट में दोबारा पाइप लाइन शिफ्टिंग के खर्च के संबंध में याचिका दायर की गई। सुनवाई के बाद याचिका खारिज कर दी गई।
एडमिशन के लिए दूसरे विषय की मेरिट लिस्ट से तुलना करना गलत - मप्र हाईकोर्ट ने एमएड में एडमिशन के लिए एक शिक्षक द्वारा दायर याचिका खारिज कर दी है। एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव और जस्टिस राजीव दुबे की डिवीजन बैंच ने अपने आदेश में कहा है कि एडमिशन के लिए दूसरे विषय की मेरिट लिस्ट से तुलना करना गलत है। शासकीय उमावि के शिक्षक ब्रजेश तिवारी की ओर दायर याचिका में कहा गया कि बीएड में 65.40 प्रतिशत अंक होने के बाद भी रीवा के शिक्षा महाविद्यालय में उसे एडमिशन नहीं दिया गया, जबकि शहडोल की संपूर्णा शुक्ला को 65.27 प्रतिशत पर एडमिशन दे दिया गया। सुनवाई के दौरान पता चला कि याचिकाकर्ता ने जीव विज्ञान विषय और अनावेदक ने अंग्रेजी साहित्य विषय में आवेदन किया था। दोनों विषय की मेरिट लिस्ट अलग-अलग है। सुनवाई के बाद याचिका खारिज कर दी गई। 

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