बगैर लोकल ट्रेन पटरी पर लौट नहीं सकेगी मुंबई, रोजाना 80 लाख लोग करते हैं सफर
बगैर लोकल ट्रेन पटरी पर लौट नहीं सकेगी मुंबई, रोजाना 80 लाख लोग करते हैं सफर
डिजिटल डेस्क, मुंबई। करीब बहत्तर दिनों के लॉकडाउन के बाद राज्य सरकार ने एहतियात के साथ दुकान-ऑफिस खोलने की अनुमति भले ही दे दी, लेकिन मुंबई की ‘लाइफ लाइन’ मानी जाने वाली लोकल ट्रेन चले बगैर महानगर का जन जीवन सामान्य होने के आसार नहीं दिखाई दे रहे। यहां हर रोज करीब 80 लाख लोगों को उनकी मंजिल तक पहुचाने वाली लोकल ट्रेनों को शुरू करने को लेकर फिलहाल कोई फैसला नहीं हुआ है।
मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी शिवाजी सुतार का कहना है कि लोकल ट्रेने शुरु करने को लेकर अभी तक हमें रेल मंत्रालय से कोई निर्देश नहीं मिले हैं। मंत्रालय से निर्देश मिलने के बाद लोकल ट्रेन सेवा फिर से बहाल किया जाएगा।
1853 में शुरु हुई मुंबई की लोकल ट्रेन सेवाएं महानगर और आसपास के इलाके में परिवहन का सबसे सुलभ साधन हैं। मध्य रेलवे रोजाना लोकल ट्रेनों के 1774 और पश्चिम रेलवे 1387 फेरे चलाता है। जिससे हर रोज करीब 80 लाख लोग यात्रा करते हैं।
इसके पहले 1974 में जार्ज फर्नांडिज के नेतृत्व में हुई रेलवे की हड़ताल और 26 जुलाई 2005 को मुंबई में आई बाढ़ के वक्त ही कुछ दिनों के लिए मुंबई की लोकल ट्रेनों का पहिया रुका था।
लोकल ट्रेन इन अप डाउनर्स के लिए सबसे सस्ता और कम समय में उन्हें मंजिल तक पहुचाने वाला साधन है। मध्य रेल्वे कि एक अधिकारी कहते हैं कि जिस तरह मुंबई और आसपास के इलाकों में जिस तरह से कोरोना मरीज बढ़ रहे उसे देखते हुए फिलहाल लोकल ट्रेनों को शुरू करने में समय लग सकता है, क्योंकि लोकल ट्रेनों में होने वाली भारी भीड़ में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन मुश्किल होगा।
कोरोना संकट के चलते घोषित लॉकडाउन के बाद 22 मार्च से मध्य रेलवे व पश्चिम रेलवे की सभी लोकल ट्रेनों को बंद कर दिया गया था। भारतीय रेल के इतिहास में पहली बार इतने दिनों तक रेल का पहिया थमा है। दरअसल मुंबई के विभिन्न कार्यालयों और औद्योगिक प्रतिष्ठानों में काम करने वाले लाखों लोग मुंबई उपनगर और आस पास के शहरों वसई-विरार, नालासोपारा, पालघर, मीरा-भायंदर, उल्हासनगर, डोम्बिवली, बदलापुर, कसारा जैसे दूर-दराज के इलाकों से लोकल ट्रेनों से महानगर पहुंचते हैं।