मास कम्युनिकेशन की गलत डिग्रियों की नहीं सुलझ रही गुत्थी

मास कम्युनिकेशन की गलत डिग्रियों की नहीं सुलझ रही गुत्थी

Anita Peddulwar
Update: 2019-06-27 07:07 GMT
मास कम्युनिकेशन की गलत डिग्रियों की नहीं सुलझ रही गुत्थी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। यूनिवर्सिटी द्वारा संचालित पोस्ट ग्रेजुएट इन मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को गलत डिग्रियां देने का मामला सामने आने के बाद अब विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्टूडेंट्स को नई डिग्रियां जारी करने का फैसला तो ले लिया है। लेकिन स्टूडेंट्स को अवैध डिग्री आवंटित करने के पीछे गलती किसकी है और इसका जिम्मेदार कौन है, नागपुर यूनिवर्सिटी   ने अभी तक इसका निर्णय नहीं लिया है। हां, प्राथमिक जांच के नाम पर विवि ने प्रभारी परीक्षा नियंत्रक डॉ. अनिल हिरेखण और विवि जनसंपर्क विभाग प्रमुख डॉ. धर्मेश धवनकर से स्पष्टीकरण तो मांग है, लेकिन यूनिवर्सिटी  की यह प्राथमिक जांच महज खानापूर्ति साबित हो रही है। 

यूनिवर्सिटी  अधिकारियों के अनुसार डॉ. हिरेखण ने अब तक अपना स्पष्टीकरण प्रकुलगुरु डॉ. प्रमोद येवले को नहीं सौंपा। वहीं डॉ. धवनकर के स्पष्टीकरण में भी कुछ साफ नहीं लिखा गया है। ऐसे में यूनिवर्सिटी   कुलगुरु डॉ. सिद्धार्थविनायक काणे ने कहा है कि प्राथमिक जांच के बाद विश्वविद्यालय इस मामले में विस्तृत जांच करेके गलती के लिए कसूरवार अधिकारियों की जवाबदेही तय करेगा, साथ ही उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी। डॉ. काणे ने गलत कैसे हुई इस प्रश्न पर जवाब दिया कि डिग्रियां प्रिंट करते वक्त पुराने फार्मेट के उपयोग के कारण यह चूक हुई है। जिसे विवि प्रशासन सुधार रहा है। 

यह हुई थी गड़बड़ी 

वर्ष 2002 में यूजीसी ने मास्टर ऑफ मास कम्युनिकेशन कोर्स बंद करके सभी विश्वविद्यालयों को अपने यहां ‘मास्टर ऑफ आर्ट्स इन मास कम्युनिकेश्न’ नाम से पाठ्यक्रम चलाने के आदेश दिए। नागपुर विवि ने वर्ष 2008-09 में इस बदलाव को स्वीकार किया। लेकिन विवि ने बीते कुछ वर्षों में कुछ विद्यार्थियों को ‘मास्टर ऑफ आर्ट्स इन मास कम्युनिकेश्न’ की डिग्री दी है, तो कुछ को मास्टर ऑफ मास कम्युनिकेशन’ (एमएमसी) की डिग्री दी है। ऐसे में जो पाठ्यक्रम बंद हो गया है, इसकी डिग्री देकर विवि ने विद्यार्थियों का भविष्य संकट में डाल दिया। विश्वविद्यालय प्रशासन ने जब मामले की जांच शुरू की तो पता चला है यह त्रुटि वर्ष 2016 और वर्ष 2017 की बैच की डिग्रियों में हुई हैं। इस दौरान यूनिवर्सिटी ने कुल 59 विद्यार्थियों को डिग्रियां दीं, इसमें से करीब 30 विद्यार्थियों को गलत नाम की डिग्रियां जारी हुई हैं। इसके बाद विद्यार्थियों की गलत डिग्रियां वापस मंगा कर नई डिग्रियां जारी करने का निर्णय लिया गया है।
 

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