मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘नमामि गंगे’ योजना का केंद्र बना नागपुर

मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘नमामि गंगे’ योजना का केंद्र बना नागपुर

Bhaskar Hindi
Update: 2017-09-04 05:05 GMT
मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘नमामि गंगे’ योजना का केंद्र बना नागपुर

डिजिटल डेस्क,नागपुर। प्रधानमंत्री के सपनों का प्रकल्प कहलाने वाले ‘नमामि गंगे’ योजना का केंद्र नागपुर बन गया है। गंगा सफाई व प्रदूषण मामले के अध्ययन की जिम्मेदारी संभालने वाला पर्यावरण अनुसंधान केंद्र नेशनल एनवायरमेंट इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (NEERI) भी नागपुर में ही है। इसके अलावा केंद्रीय जल आयोग का कार्यालय भी नागपुर में हैं। बताया जा रहा है कि गंगा को लेकर मंत्री उमा भारती के कार्यों का रिपोर्ट कार्ड ठीक नहीं था। ऑडिट रिपोर्ट में भी बताया गया था कि गंगा पर उस गति से काम नहीं हो रहा है, जो होना चाहिए।

गंगा प्रोजेक्ट पर चर्चा
मंत्री पद से इस्तीफों की चर्चा के साथ ही माना जा रहा है कि उमा भारती नाराज हैं। रविवार को मंत्रिमंडल विस्तार के समय उनकी अनुपस्थिति से नाराजगी की चर्चा को बल मिलता रहा। हालांकि यह भी चर्चा थी कि भारती की नाराजगी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या भाजपाध्यक्ष अमित शाह के लिए अधिक महत्व नहीं रखती है। अब कयास लगाए जा रहे हैं कि ‘नमामि गंगा’ प्रकल्प की जिम्मेदारी गडकरी को देने से भारती की नाराजगी दूर हो गई है। वरिष्ठ मंत्रियों की बैठक में भी गंगा विषय पर अधिक चर्चा होने का अनुमान है।

योजनाओं को मिलेगी रफ्तार
नीरी के निदेशक राकेश कुमार कहते हैं कि गंगा पर उमा भारती के कार्य व विजन को भी कम नहीं आंका जा सकता है। उन्होंने अच्छा काम किया। नितीन गडकरी के नेतृत्व में अन्य प्रस्तावित योजनाओं को जल्द गति मिलने की अपेक्षा है। गडकरी के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट नेशनल ग्रीन हाइवे मिशन को NEERI ने ही पेश किया था।  कौंसिल आफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR )के तहत गंगा से संबंधित विविध संस्थाओं के कार्य अलग किए जाते हैं। गडकरी के नेतृत्व में CSIR के कार्य एक साथ कराने का प्रयास किया जाएगा। गंगा का प्रदूषण रोकने के लिए शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में नियंत्रण उपाय योजनाओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है। 

गड़करी को अब पूरी जिम्मेदारी
गंगा विकास के लिए प्रधानमंत्री ने साल 2020 तक 20 हजार करोड़ रुपए खर्च करने का प्रावधान किया है। उसमें से 7 से 8 हजार करोड़ रुपए ही खर्च हो पाए। गडकरी के सहयोग से ही उमा भारती गंगा विकास के कार्य कर रही थीं। अब पूरी जिम्मेदारी गडकरी को मिलने से इस परियोजना की गति काफी बढ़ सकती है। वैसे भी गंगा विकास अभियान से गडकरी शुरू से ही जुड़े हुए हैं। प्रधानमंत्री ने 2014 में गंगा पुनरुत्थान विभाग के गठन के साथ ही गंगा पर एक्शन कमेटी बनाई थी। उस कमेटी में नदी विकास व जल संसाधन विकास विभाग के साथ ही भूतल परिवहन व जहाजरानी विभाग, सूचना प्रसारण, कोयला व पर्यटन विभाग को शामिल किया था। लिहाजा गंगा विकास प्रोजेक्ट के लिए उमा भारती व नितीन गडकरी के साथ अन्य 3 मंत्री काम कर रहे थे।

गडकरी ने नदी व गंगा के मामलों पर केंद्रीय स्तर पर कई बार अधिकारियों की बैठक ली। उन्होंने गंगा के लिए रोल ऑन रोल ऑफ (RORO) योजना भी शरू कर दी है। इसके तहत गंगा नदी के दोनों छोर पर 5-5 स्थानों पर विशालकाय स्टीमर यानी बार्ज खड़े करने का निर्णय लिया। स्टीमर में चढ़ाकर वाहनों को नदी के पार किया जा सकता है। एक बार में 20 से 30 बसेस, 200 कार व 4000 टन से अधिक माल ट्रांसफर किया जा सकता है। जलमार्ग से परिवहन की बड़ी योजना पर भी गडकरी पहले से ही काम कर रहे हैं।

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