एक उम्मीदवार ने मैदान छोड़ा, दो के फार्म महाधिवक्ता ने मंजूर किए -स्टेट बार काउंसिल चुनाव ,145 प्रत्याशी शेष

एक उम्मीदवार ने मैदान छोड़ा, दो के फार्म महाधिवक्ता ने मंजूर किए -स्टेट बार काउंसिल चुनाव ,145 प्रत्याशी शेष

Bhaskar Hindi
Update: 2019-10-25 09:25 GMT
एक उम्मीदवार ने मैदान छोड़ा, दो के फार्म महाधिवक्ता ने मंजूर किए -स्टेट बार काउंसिल चुनाव ,145 प्रत्याशी शेष

डिजिटल डेस्क जबलपुर । मप्र स्टेट बार काउंसिल के आगामी 2 दिसंबर को होने वाले चुनाव से नरसिंहपुर के अधिवक्ता जोगेन्दर सिंह चौधरी ने अपना नाम वापस ले लिया है। वहीं सजायाफ्ता होने के कारण जिन दो उम्मीदवारों के नामांकनों पर काउन्सिल ने आपत्ति जताई थी, उन दोनों के नामांकन महाधिवक्ता ने स्वीकार किए हैं। अब जबलपुर के सचिन गुप्ता और ग्वालियर के नीरज भार्गव चुनाव लड़ सकेंगे।
शोकॉज नोटिस पर हाईकोर्ट की रोक
गौरतलब है कि मप्र स्टेट बार काउंसिल ने जबलपुर के सचिन गुप्ता और ग्वालियर के नीरज भार्गव को शोकॉज नोटिस जारी कर कहा था कि उन दोनों को आपराधिक मामले में सजा हुई है, इसलिए वे अपना पक्ष महाधिवक्ता के समक्ष रखें। इसके बाद 19 अक्टूबर 2019 को काउंसिल के अध्यक्ष शिवेन्द्र उपाध्याय ने एक विस्तृत आदेश जारी कर अधिवक्ता सचिन गुप्ता की सनद निरस्त करके उसके नामांकन को भी नामांकन सूची से विलोपित करने के निर्देश दिए थे। इस आदेश को अधिवक्ता सचिन गुप्ता ने बार काउंसिल ऑफ इण्डिया में चुनौती दी थी। बीते बुधवार को बार काउंसिल ने अध्यक्ष द्वारा 19 अक्टूबर को जारी आदेश पर रोक लगा दी थी। वहीं नीरज भार्गव को दिए गए शोकॉज नोटिस पर हाईकोर्ट की ग्वालियर खण्डपीठ ने 20 अक्टूबर को रोक लगा दी थी। गुरुवार को सचिन गुप्ता अपने पैरोकार मनीष मिश्रा और विकास महावर के साथ नई दिल्ली से लौटे और उन्होंने महाधिवक्ता के समक्ष बार काउंसिल के आदेश की प्रति पेश की। महाधिवक्ता ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना विस्तृत आदेश जारी करके सचिन गुप्ता और नीरज भार्गव के नामांकनों को हरी झंडी दे दी।
वर्ष 2013 के नियम 2019 में अनुचित
सुनवाई के बाद महाधिवक्ता शशांक शेखर ने अपने विस्तृत आदेश में सभी पहलुओं पर विचार किया। उन्होंने अध्यक्ष शिवेन्द्र उपाध्याय द्वारा वर्ष 2013 के नियम वर्ष 2019 में अपनाए जाने पर ऐतराज जताया। महाधिवक्ता के आदेश के मुताबिक बार काउंसिल ऑफ इण्डिया की मंजूरी के बिना वर्ष 2013 के नियम वर्ष 2019 में लागू नहीं हो सकते। दोनों ही वकीलों के नाम वोटर लिस्ट में होने और उनके पक्ष में स्टे आदेश होने के मद्देनजर महाधिवक्ता ने दोनों को वकील मानकर उनके नामांकन स्वीकार कर लिए।
 

Tags:    

Similar News