22 महीने में 87 पर्यटकों ने ही किए नागपुर दर्शन

22 महीने में 87 पर्यटकों ने ही किए नागपुर दर्शन

Anita Peddulwar
Update: 2018-12-15 11:34 GMT
22 महीने में 87 पर्यटकों ने ही किए नागपुर दर्शन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। महाराष्ट्र पर्यटन विकास महामंडल (एमटीडीसी) की ओर से शुरू किए गए नागपुर दर्शन व खान पर्यटन को लोगों का प्रतिसाद नहीं मिला। पिछले 22 महीने में नागपुर दर्शन का केवल 87 पर्यटकों ने लाभ लेने का खुलासा आरटीआई में हुआ हैं। वहीं खान पर्यटन में 390 पर्यटकों ने दिलचस्पी ली। 

यह है हकीकत
उपराजधानी में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एमटीडीसी ने दिसंबर 2016 से "नागपुर दर्शन" नाम से पिकनिक शुरू की। इसी तरह लोगों को खानों का महत्व बताने के लिए खान पर्यटन भी शुरू किया। खान पर्यटन के लिए खास तौर पर वेकोलि से करार किया गया है। साल 2017-18 में केवल 9 लोगों ने नागपुर दर्शन का लाभ लिया। इसी तरह 2018-19 में 78 लोगों ने नागपुर दर्शन की सैर की। एमटीडीसी की ओर से पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नागपुर के आस पास रमणीय स्थलों पर पिकनिक लेकर जाई जाती है। 22 महीने में 87 लोगों ने इसका लाभ लिया और एमटीडीसी को केवल 67450 रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ। इसी तरह खान पर्यटन में 2016-17 में 112 लोगों ने दिलचस्पी ली। 2017-18 में 162 व 2018-19 में 116 लोगों ने खान देखने में दिलचस्पी ली। इससे एमटीडीसी को 2 लाख 50 हजार 250 रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ।

मारबत महोत्सव पर ध्यान नहीं 
नागपुर की मारबत देश में प्रसिद्ध है। यहां काली-पीली के अलावा कई प्रकार की मारबत व बड़ग्या की रैली निकाली जाती है। हजारों लोग इसमें शामिल होते हैं। इसकी भव्यता देखते ही बनती है। 2013 व 2014 में एमटीडीसी ने मारबत महोत्सव का आयोजन किया था। अब एमटीडीसी ने इस पर ध्यान देना बंद कर दिया। यह महोत्सव नि:शुल्क होने से एमटीडीसी को राजस्व नहीं मिलता। 2013 व 2014 में मारबत महोत्सव को सरकार से निधि प्राप्त हुई थी। 

प्रचार-प्रसार होना चाहिए
एमटीडीसी द्वारा दिसंबर 2016 से शुरू किए गए दोनों उपक्रम (खान पर्यटन व नागपुर दर्शन) तारीफ के काबिल है, लेकिन इसका प्रचार व प्रसार बहुत ज्यादा नहीं हुआ। नागपुर से बाहर के लोगों को इसकी ज्यादा जानकारी नहीं है। यही कारण है कि नागपुर दर्शन को बेहद कम प्रतिसाद मिला। नागपुर के आस-पास काफी पर्यटन स्थल है। प्रचार-प्रसार होने पर दोनों उपक्रमों को भारी प्रतिसाद मिलेगा।
-अभय कोलारकर, आरटीआई एक्टिविस्ट नागपुर
 

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