नामांकन दाखिल करने के बाद ही उम्मीदवार बनता है चुनाव लडऩे वाला

नामांकन दाखिल करने के बाद ही उम्मीदवार बनता है चुनाव लडऩे वाला

Bhaskar Hindi
Update: 2020-07-23 08:26 GMT
नामांकन दाखिल करने के बाद ही उम्मीदवार बनता है चुनाव लडऩे वाला

वन मंत्री कुंवर विजय शाह के निर्वाचन को चुनौती देने वाली चुनाव याचिका खारिज कर हाईकोर्ट ने दिया फैसला
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
खण्डवा जिले की हरसूद विधानसभा सीट से भाजपा के कुंवर विजय शाह (वर्तमान वन मंत्री) के निर्वाचन को चुनौती देने वाली चुनाव याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। गोंड़वाना गणतंत्र पार्टी के राधेश्याम दर्शिमा की ओर से दायर इस याचिका में शाह पर कई आरोप लगाते हुए कहा गया था कि उन्होंने भागवत कथा आयोजित कराकर मतदाताओं को प्रभावित करने का प्रयास किया, जो कदाचरण की श्रेणी में आता है। इस याचिका पर शाह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मृगेन्द्र सिंह, अधिवक्ता लाल हितेन्द्र सिंह व नवतेज सिंह रूपराह ने आपत्ति की। बुधवार को दिए फैसले में जस्टिस बीके श्रीवास्तव की एकलपीठ ने कहा कि शाह ने 26 अक्टूबर 2018 से 1 नवम्बर 2018 के बीच कथा आयोजित कराई थी और उन्होंने 5 नवम्बर 2018 को अपना नामांकन भरा था। ऐसे में नामांकन जमा होने के बाद ही उन्हें उम्मीदवार माना जा सकेगा। इस मत के साथ कथा को लेकर लगाए आरोपों को अनुचित मानते हुए अदालत ने चुनाव याचिका सुनवाई योग्य न पाते हुए खारिज कर दी।
हाईस्कूल टीचर पद पर नियुक्ति से क्यों वंचित किए गए याचिकाकर्ता?
चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने बुधवार को राज्य सरकार व अन्य को नोटिस जारी कर पूछा है कि हायर सेकेन्डरी एलिजिविलिटी एक्जामिनेशन 2018 में सफल होने के बाद भी याचिकाकर्ताओं को हाईस्कूल टीचर्स (बायोलॉजी) के पद पर नियुक्तियों से क्यों वंचित किया गया? मामले पर अगली सुनवाई 10 अगस्त को होगी। सिवनी की निधि पवार सहित कुल 87 दावेदारों की ओर से दायर इस याचिका में दावा किया गया है कि हकदार होने के बाद भी उन्हें नियुक्तियों से वंचित किया गया, जो अवैधानिक है। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता मनोज शर्मा पैरवी कर रहे हैं। रिटायर्ड सूबेदार से ब्याज की वसूली का आदेश निरस्त जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकलपीठ ने एसएएफ की दसवीं बटालियन सागर के रिटायर्ड सूबेदार सुरेन्द्र सिंह ठाकुर से रिकवरी की राशि पर ब्याज की वसूली के आदेश को निरस्त कर दिया है। आवेदक की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता अतुल कुमार राय की दलील थी कि उनके मुवक्किल के खिलाफ 12 लाख 29 हजार रुपए की वसूली के आदेश जारी हुए थे, जो उन्होंने 8 जनवरी 2018 को चैक के जरिए जमा कर दी गई। अब उनसे ब्याज के रूप में 9 लाख 89 हजार रुपए की वसूली किया जाना अनुचित है।

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