पैरामेडिकल घोटाला : चार साल से लोकायुक्त में पेंडिंग प्रकरण, धूल खा रही फाइल

पैरामेडिकल घोटाला : चार साल से लोकायुक्त में पेंडिंग प्रकरण, धूल खा रही फाइल

Bhaskar Hindi
Update: 2018-08-03 08:10 GMT
पैरामेडिकल घोटाला : चार साल से लोकायुक्त में पेंडिंग प्रकरण, धूल खा रही फाइल

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। जिले के बहुचर्चित पैरामेडिकल घोटाले की फाइल पिछले चार साल से लोकायुक्त में धूल खा रही है। लोकायुक्त के जांच अधिकारी बदल गए, लेकिन प्रकरण में लिप्त घोटालेबाज पैरामेडिकल संचालकों पर कोई पुलिस कार्रवाई नहीं की गई। इस पूरे मामले में जनजाति कार्य विभाग के अधिकारियों से पैरामेडिकल कॉलेज की रिपोर्ट तैयार करने वाले कॉलेज के प्राचार्य भी शामिल थे। जिनकी अनदेखी की वजह से करोड़ों का पैरामेडिकल कॉलेज छात्रवृत्ति घोटाला किया गया था।

इस घोटाले की गूंज पूरे प्रदेश में गूंजने के बाद लोकायुक्त को जांच सौंपी गई थी। जबलपुर सहित अन्य जिलों में जांच के बाद आरोपियों के विरुद्ध प्रकरण भी कायम कर लिए गए। लेकिन छिंदवाड़ा के मामले में लोकायुक्त अफसरों ने भी आंख मूंद ली। इस प्रकरण में कॉलेज संचालकों से लेकर विद्यार्थियों और वेरिफिकेशन करने वाले कॉलेज प्राचार्यों पर भी कार्रवाई प्रस्तावित की गई थी। नगर के ही दो कॉलेज प्राचार्य इस मामले में फंसे थे।  

क्या था मामला
पैरामेडिकल कॉलेजों में हुए छात्रवृत्ति घोटाले में कॉलेज संचालकों ने एक बच्चे का नाम दो-दो जिलों में नाम दर्ज कराकर छात्रवृत्ति हासिल कर ली थी। जिन बच्चों ने पेपर दिए ही नहीं उनके नाम से भी छात्रवृत्ति हासिल कर ली गई। करोड़ों की चपत छात्रवृत्ति के नाम पर इस मामले में शासन को लगाई गई थी। 

वसूली में भी दिक्कत
अधिकारियों ने जांच के बाद 1 करोड़ 69 लाख की वसूली इन पैरामेडिकल कॉलेज संचालकों पर निकाली थी। उसमें से बाद में हुई जांच में सिर्फ 32 लाख रुपए निकाले गए। रिकवरी इतनी कम होने से इस मामले में अफसरों पर भी उंगली उठ रही थी। ये रिकवरी भी अधिकांश पैरामेडिकल संचालकों ने जमा नहीं की है। मामला छिंदवाड़ा तहसील में अटका हुआ है। दोषियों पर कार्रवाई के लिए पीडि़त छात्रों के माता-पिता बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। लेकिन लेट-लतीफी के कारण लगता नहीं कि उन्हें जल्द ही न्याय मिल पााएगा।

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